Thursday, November 22, 2018

जनवरी : सम्मान जुगाड़ू महीना (28 जनवरी, 2012)

जनवरी माह को हमारे यहां तिकड़म और जुगाड़ का महीना घोषित कर देना चाहिए। दो बड़े राष्ट्रीय पर्वों में से एक गणतंत्र दिवस जनवरी की 26 तारीख को आता है। लेकिन अब इस दिन का एक महातम और भी है। इस अवसर पर ग्राम, तहसील, जिला, संभाग, राज्य स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के सम्मानयोग्य लोगों की फेहरिस्त जारी होती है या वे सम्मानित हो जाते हैं। जितने बड़े स्तर का सम्मान उतनी ही बड़ी अवधि की प्रक्रिया भी उसे पाने की। कहते हैं कि राष्ट्रीय स्तर के पद्म पुरस्कारों की प्रक्रिया कई-कई महीने पहले शुरू हो जाती है। अपना शहर संभागीय मुख्यालय भी है इसलिए स्थानीय स्तर के सम्मानों की फेहरिस्त लगभग जनवरी माह में ही तय होती है।
आजकल इन सम्मानों को पाना आसान माना जाने लगा है। जो लोग इन्हें पाने की जुगाड़ और तिकड़म में लगे होते हैं, उनका मानना है कि यह काम बहुत मुश्किल है। लेकिन जब इस तरह का सम्मान पाये व्यक्ति के सामने आप सम्मान पाने की अपनी आकांक्षा जाहिर करेंगे तो वो सहज ही रास्ता बताने को उत्सुक दिखलाई देगा। दबी जबान से वह अनुभव प्रक्रिया का इस तरह बखान करेगा कि आपको करणीसिंह स्टेडियम के उस मंच पर होने का अहसास होने लगेगा, जहां मुख्य अतिथि खड़े होते हैं। हो सकता है वो इस प्रक्रिया की शुरुआत एक जनवरी से बताये कि किस-किस को एसएमएस भेजें और किस-किस के यहां बुके या मिठाई का डिब्बा लेकर पहुंचें। आप यदि किसी कम आत्मविश्वास वाले सम्मानित शख्स से पूछ बैठें तो हो सकता है वो एक साल की लम्बी व जटिल प्रक्रिया बताते हुए होली से शुरू कर अक्षयतृतीया, 15 अगस्त, दिवाली, ईस्वी नववर्ष तक की लम्बी प्रक्रिया में आपको डाल सकता है। हो सकता है कि इस तरह के लोग आपको भण भांगु लगने लगें और ये मान लें कि यह झंझट अपने बस का नहीं। तब आप में दो प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं, एक तो यह कि आप इन सम्मानों से निर्लिप्त हो जाएं। दूसरी प्रतिक्रिया यह कि आप को लगे कि इससे तो अपने कार्यक्षेत्र में पूर्ण निष्ठा से कार्य करना ज्यादा आसान है। इसलिए जिसको भी सलाहकार चुनें सोच-समझ कर चुनें।
यह खुद आपको ही तय करना है कि इस तरह के सम्मानों के लिए कब से लगना है। आत्मविश्वास हीनता के चलते अभी से लग गये तो इस हीनता के चलते ही हो सकता है कि अन्त तक ही सफल न हों। पर इसमें एक संभावना जरूर बनती है कि इस तरह की हीन भावना के साथ लगातार कई वर्षों तक प्रयास करके आप कइयों में अपने प्रति दयालुता जगा दें और ऐसे ही किसी मंच पर अपने को खड़ा पायें!
-- दीपचंद सांखला
28 जनवरी, 2012

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