शहर में इन दिनों कारों के शीशे तोड़ कर उनमें रखा सामान उठा ले जाने की घटनाएं कुछ ज्यादा ही हो रही हैं। हो सकता है कोई बाहरी गिरोह इस काम को अंजाम दे रहा हो। और यह भी कि यहीं के कुछ शातिरों ने कुछ दिन पहले श्रीगंगानगर रोड स्थित बैंक शाखा के बाहर हुई इस तरह की शुरुआती घटना से प्रेरित हो कर गिरोह बनाकर इस तरह उठाईगिरी शुरू की हो। ज्यादा गंभीर यह इसलिए है कि यह सब न केवल दिन दहाड़े हो रहा है बल्कि जहां यह घटित हो रहा है वह स्थान निर्जन नहीं होता। लोग इससे यह अनुमान लगाने लगे हैं कि इन वारदातों में कहीं पुलिस की मिलीभगत तो नहीं है? इस तरह की बाका-डाक के चलते पुलिस की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि उसे अपनी साख पर बट्टा नहीं लगने देना है। वह भी तब जब उनका मुखिया नियमित नहीं है!
-- दीपचंद सांखला
11 जनवरी, 2012
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