Monday, November 12, 2018

वकीलों की उग्रता (12 जनवरी, 2012)

वकील मुरलीधर यादव ने कल तड़के जयपुर के पास सामोद में यादवों की ढाणी स्थित अपने घर के पास ही कुएं में कूद कर जान दे दी। कहा जा रहा है कि एक भूमि विवाद में पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर उसने ऐसा किया। वकील मुरलीधर पर आरोप था कि उसने दीपू नाम के व्यक्ति के मकान की रजिस्ट्री कूटरचित दस्तावेजों के जरिये अपने नाम करवा ली थी। दीपू ने इस संबंध में मामला दर्ज करवाया हुआ था। जैसा कि सामान्यतः इस तरह के मामलों के बाद में दोनों तरफ से और भी झूठे-सच्चे मामले दर्ज होते हैं, इसमें भी हुए। यह तो थी घटना लेकिन इसकी प्रतिक्रिया जितनी त्वरित और उग्र हुई वह चिन्ता का विषय होना चाहिए। देखा गया है कि इस तरह से आनन-फानन में होने वाली प्रतिक्रियाएं बिना पूरी जानकारी प्राप्त किये और बिना पूरे मामले को समझे केवल सुनी-सुनाई बातों पर आवेश में आकर की जाती हैं, हो सकता है कल की उग्र प्रतिक्रिया ऐसी ही हो। जयपुर में रास्ते रोके गये और राहगीरों से हाथा-पाई भी की गई। सरकारी सम्पत्ति जो प्रकारान्तर से हम सभी की है, को भी नुकसान पहुंचाया गया। हाइकोर्ट ने भी बार एसोसिएशन की याचिका पर तुरंत संज्ञान लेते हुए सीबीआई को जांच सौंपकर दो दिन में उसकी प्रगति रिपोर्ट चाही है। लगभग उक्त सभी बातें आज की खबरों का हिस्सा हैं लेकिन कोर्ट ने वकीलों के उग्र प्रदर्शन पर कोई प्रतिक्रिया दी हो ऐसा समाचार नहीं देखा गया। कहने को तो कहा जा सकता है कि प्रशासन या कि सरकार उग्र प्रदर्शन की ही भाषा समझते हैं, यह पूर्णतया झूठ भी नहीं है। ऐसे में सरकार और प्रशासन दोनों की यह बड़ी जिम्मेदारी है कि इस तरह की धारणा बदलनी चाहिए।
-- दीपचंद सांखला
12 जनवरी, 2012

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