Saturday, November 10, 2018

चुनावी बिसात बिछने लगी है (3 जनवरी, 2012)

वैसे तो प्रदेश में विधानसभा चुनाव लगभग दो वर्ष दूर है लेकिन विभिन्न कारणों से राजनीतिक दल और चुनाव लड़ने के इच्छुक दलीय और गैरदलीय दावेदार अभी से अपनी जमीन तलाशने-संवारने में जुटने लगे हैं। राष्ट्रीय राजनीति में तो लोकपाल के लिए अन्ना हजारे का आंदोलन और बाद में इसे लेकर शुरू हुई राजनीति को देखते हुए नए राजनीतिक समीकरण तलाशे जाने लगे हैं। इन परिस्थितियों का प्रभाव प्रदेश की राजनीतिक हलचलों पर भी पड़ा है, गोपालगढ़ कांड व भंवरी प्रकरण को लेकर कांग्रेस सरकार की छीछालेदार और कुछ जातीय समूहों में उपजे असंतोष का फायदा उठाने के उद्देश्य से चुनावी माहौल बनने से पहले ही राजनीतिक दल तथा दावेदार अपनी गोटियां बैठाने में जुट गए हैं।
एक ओर निर्दलीय सांसद किरोड़ीलाल मीणा कांग्रेस से नाराज कुछ जातीय समूहों से निकटता कायम कर तीसरे मोर्चे की जमीन तलाशने के लिए अपने कार्यक्षेत्र के बाहर सम्पर्क और सभाएं करने में जुटे हुए हैं। दूसरी तरफ सबसे बड़ा विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी गोपालगढ़ कांड को लेकर अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए जी-जान से जुट गया है। वहीं दलीय बंधनों से मुक्त कुछ अन्य राजनेता भी बड़े दलों से छुटे ‘वैक्यूम’ के बीच अपनी जगह बनाने में लग गए हैं।
बदले हुए राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में बीकानेर में कल दो महत्त्वपूर्ण आयोजन हुए जिन्हें आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़े बिना नहीं देखा जा सकता। अल्पसंख्यकों के धुर विरोधी माने-जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इन्द्रेशकुमार ने यहां करीब-करीब अनजाने से मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के बैनर तले आयोजित नागरिक सम्मेलन को सम्बोधित किया और संघ के प्रति मुस्लिम समुदाय में पैठे नकारात्मक भाव को दूर करने का प्रयास करते हुए  उन्होंने मुसलमानों के कल्याण के लिए गठित सच्चर कमेटी का समुचित लाभ इस वर्ग को नहीं होने की भी चर्चा की। दूसरी तरफ भाजपा के ही अल्पसंख्यक मोर्चे के प्रदेशाध्यक्ष आमीन पठान के बहाने इस दल ने अल्पसंख्यकों से दूरियां घटाने का कोशिश की। पत्रकार वार्ता के जरिये पठान ने अल्पसंख्यकों को मात्र वोटबैंक मानने की कांग्रेस की प्रवृत्ति को इस समाज की समस्याओं के बहाने उजागर करने का प्रयास किया वहीं मुसलमानों की समस्याओं को लेकर मोर्चे की तरफ से आंदोलनात्मक कदम उठाने तक की घोषणा भी की।
एक अन्य घटनाक्रम में विधानसभा में भाजपा विधायक के रूप में नोखा का प्रतिनिधित्व करते हुए संसदीय सचिव रह चुके गोविन्दराम मेघवाल ने खाजूवाला से अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा ही कर दी। भाजपा का टिकट नहीं मिलने के बाद सामाजिक क्रांतिमंच बनाकर पिछला चुनाव निर्दलीय के रूप में खाजूवाला से लड़कर हारने वाले गोविन्दराम के इस पैंतरे से उनकी पुरानी पार्टी के कान अवश्य खड़े हुए होंगे। वैसे भाजपा और कांग्रेस से समान दूरी की बात कहते हुए गोविन्दराम किसी भी बड़े दल के लिए अपने दरवाजे खुले होने की बात की घोषणा कर भावी रणनीति का स्पष्ट संकेत भी दे चुके हैं। हालांकि मंच का कार्यकर्ता सम्मेलन जनसमस्याओं पर ध्यानाकर्षण के घोषित उद्देश्य के लिए आयोजित किया गया था पर इस बहाने पिछले चुनाव में मात खा चुके गोविन्दराम संभवतः अपनी शक्ति ही तौलना चाह रहे थे।
-- दीपचंद सांखला
03 जनवरी, 2012

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