Thursday, March 4, 2021

कोटगेट क्षेत्र की यातायात समस्या : पाती डॉ. बीडी कल्ला के नाम फिर

 माननीय कल्लाजी!

आपको संबोधित 6 फरवरी, 2020 के अपने पिछले पत्र के संदर्भ से ही बात शुरू करना चाहता हूं, अन्यथा यह पत्र उस सुदीर्घ पत्र से भी लम्बा हो जाना है। बीकानेर कोटगेट क्षेत्र की यातायात समस्या से संबंधित वह पत्र 1976 के मास्टर प्लान से शुरू होकर समाधान के विभिन्न विकल्पों के साथ वर्तमान स्थिति को समेटे था। उस पत्र में कोटगेट क्षेत्र की विकराल होती यातायात समस्या के समाधानों का जिक्र तथ्यात्मक और विस्तार से किया जा चुका है। मुझे नहीं लगता कि उस पत्र को पढऩे के लिए आपने समय निकाला होगा। पढ़ते तो उत्तर चाहे ना देते लेकिन आपके कर्मक्षेत्र की उक्त उल्लेखित मुख्य समस्या के समाधान पर व्यावहारिकता से विचार करते और सक्रिय होते। खैर, अब भी समय है, ढाई वर्ष कोई कम नहीं होते समाधान की शुरुआत करने के लिए।

ताजे सन्दर्भ के साथ अपनी बात शुरू करता हूँ पिछले सप्ताहान्त उत्तर-पश्चिम रेलवे के महाप्रबन्धक बीकानेर मण्डल के दौरे पर थे। पत्रकारों से रू-बरू भी हुए। कुछ पत्रकारों ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए रेल बायपास से संबंधित प्रश्न भी किया। जैसा कि तय था उन्होंने साफ कह दिया कि रेलवे ने बायपास को सिरे से खारिज कर दिया है।

'नौ दिन चले अढाई कोस' जैसी कहावत हम अकसर सुनते हैं, रेलवे महाप्रबन्धक के उक्त बयान के बाद बायपास के संदर्भ में इसे 'ढाई वर्ष चले... रहे वहीं के वहीं' कहने वाले कह सकते हैं कल्ला को बागडौर संभाले अभी ढाई नहीं सवा दो वर्ष ही हुए हैं। लेकिन वे भूल जाते हैं कि मुख-सुख में तथ्य पर तुक हावी होती है। फिर भी आप इसे सवा दो वर्ष ही मान लें। 2023 के अन्तिम छह माह चुनाव में चले जाने हैं, उस हिसाब से आधा समय सवा दो वर्ष जाया कर दिया है। महाप्रबन्धक के बयान पर जैसी ढुलमुल प्रतिक्रिया आपने दी, उससे लगता है, बायापास से उम्मीद आप छोड़ने को तैयार नहीं हैं। जबकि इस मिशन में आपके जोड़ीदार केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल जीएम के बयान पर छिपले खाने लगे।

खैर! आप बताएं ना बताएं, लेकिन पिछले दिनों इन्हीं महाप्रबन्धक से आपकी जयपुर मुलाकात के बाद आपका बायपास मिशन डगमगाने लगा था। तभी आप सांखला फाटक और रेलवे स्टेशन के बीच अण्डरपास योजना पर बात करने लगे।

यह अण्डरपास भी सिरे चढ़ता लगता नहीं। महाप्रबन्धक ने रेलवे की तरफ से हाथ ऊपर कर दिये है-उन्होंने कह दिया कि अण्डरपास बनवाना है तो अपने खर्च से बनवा लें। लेकिन क्या धन देने पर भी बन जायेगा? रानी बाजार अण्डरपास निर्माण में रेलवे लाइन के समान्तर चल रहा गंदे पानी का नाला आडे रहा है। अण्डरपास निर्माण शुरू करने से पूर्व उसे डायवर्ट करना होगा। नाले को वहां डायवर्ट करना तो फिर संभव है, पूर्व न्यास अध्यक्ष महावीर रांका द्वारा बताये अनुसार गन्दे पानी के उस नाले को सोहन कोठी के पीछे से डायवर्ट करके शिशु चिकित्सालय के पास वाले नाले में मिलाना होगा यद्यपि यह भी आसान नहीं है, कई समस्याएं खड़ी होंगीफिर भी हो सकता है। 

लेकिन सांखला फाटक के पास रेलवे लाइनों के साथ चल रहे उसी नाले को डाइवर्ट कहां करेंगे, इसे डायवर्ट करना लगभग असंभव है। इस समस्या के अलावा तीन-तीन रेलवे लाइनों के नीचे से गुजरने वाले इस अण्डरपास को कम से कम 200 मीटर लम्बा बनाना होगा, वहीं बीच में रेलवे के अपने निर्माण भी हैं।

कल्लाजी! आपके कहने पर इन सबके लिए राज्य सरकार धन भी उपलब्ध करवा देगी लेकिन स्टेशन रोड की ओर गोल कटले के आगे इतनी जगह है ही कहां कि अण्डरपास को लाकर तय मानकों के अनुसार ऊपरी सड़क से मिला दिया जाए। जगह तो कोयला गली में बिन्नाणी बिल्डिग की तरफ भी नहीं है लेकिन कुछ मकान अधिगृहीत करके उधर फिर भी संभव किया जा सकेगा। आपसे अनुरोध है कि सवा दो वर्ष बायपास के नाम पर जाया कर दिये, अब अण्डरब्रिज के नाम पर और समय जाया करें।

यह सब बताने का मकसद यही है कि तीन वर्ष हमने कोटगेट क्षेत्र की यातायात समस्या का समाधान तय करने में लगा दिये, फिर भी हम खड़े वहीं के वहीं है। आप दीर्घायु हों-कामना यह भी है कि 2023 के अगले चुनाव में आप फिर जीतें। कोटा के लिए मोहनलाल सुखाडिय़ा साबित हुए शान्ति धारीवाल आपसे उम्र में छह वर्ष बड़े है जो कोटा के भगीरथ साबित हो रहे हैं। हम चाहते हंै वैसा-उतना सही कुछ तो ऐसा अपने शहर के लिए कीजिए कि हमारी अगली पीढ़ी आपके नाम का स्मरण करे। 

अब यह जरूरी हो गया है कि अन्तिम निर्णय लें और उसे तुरन्त अमली जामा पहनाएं। 2023 आते देर नहीं लगेगी। कोटगेट क्षेत्र की यातायात समस्या का समाधान असंभव नहीं है। लेकिन समाधान होगा वैसा ही जैसे दिल्ली, जयपुर, जोधुपर में हुए हैं। आप चांद पाने की ख्वाहिश नहीं छोड़ेगे तो बीकानेर की जनता तो महासन्तोषी है, भुगतती रहेगी, हो सकता आपको या आपके किसी परिजन को फिर जिता भी दे। लेकिन आत्मा आपको कचोटेगी कि जनप्रतिनिधि होने के धर्म का पालन नहीं किया। बाकी पानी-बिजली समस्या का काम करना तो वे आपके विभाग से संबंधित हैं, इनका समाधान अपने ही शहर में आप ही नहीं करेंगे तो कौन करेगा? थोड़े कहे को ज्यादा मानें, कुछ तीखा कह दिया है तो अपना विद्यार्थी समझ कर क्षमा कर दें, लेकिन गुस्सा अपने शहर की उस जनता पर नहीं निकालें जो आपको जिताती भी रही है। मन करे तो 6 फरवरी, 2020 के उक्त उल्लेखित पत्र को एकबार पढ़ लें, पत्र नहीं मिले तो सूचित करें, प्रति तुरन्त उपलब्ध करवा दूंगा।

प्रणाम।

दीपचंद सांखला

04 मार्च, 2021