मान्य देवीसिंहजी!
आपातकाल के दौरान 1977 के लोकसभा चुनावों में आपको जब पहले-पहल देखा, तब मैं 18 वर्ष का भी नहीं हुआ था। बीकानेर लोकसभा क्षेत्र से हरिराम मक्कासर जनता पार्टी से उम्मीदवार थे। इन चुनावों में जनता में जैसा उत्साह था वैसा माहौल उससे पहले (1967 से चुनावी राजनीति में सक्रिय हूं) और आज तक किसी चुनाव में नहीं देखा।
तब का वह दृश्य याद है जब दिनभर घूम-घुमाकर शाम को डागा बिल्डिंग पहुंचते और पांच नम्बर से लेकर नीचे सड़क तक खड़े समूहों से फीडबैक सुनते और खुश होते। उन्हीं चर्चाओं में सर्वाधिक जिस नाम की चर्चा होती वह देवीसिंह भाटी था। बिना हुड की जीप में शाम और देर शाम जब भी आप डागा बिल्डिंग पहुंचते-हमारे जैसे कई नवयुवा घेर लेते और पूछते—क्या रिपोर्ट है। आप इतना ही कहते...बढिय़ा और मुख्य चुनाव कार्यालय की ओर चल देते। नायक सी वह छवि स्मृतियों में आज भी कहीं अंकित है।
अभी पत्र लिखने का हेतु इसलिए बना कि इन दिनों आपने बीकानेर शहर से लगती ओरण (गोचर) को बचाने का बीड़ा उठाया है। इस लंबी-चौड़ी ओरण को बचाने के लिए बनवाई जा रही चारदीवारी इस काल में छोटे-मोटे भागीरथी प्रयास से कम नहीं है। इसे आप पूर्ण करवा देंगे तो महानगरीय शब्दावली में यह ग्रीन जोन कहलायेगा।
यह काम शुरू हो गया और आपकी देख-रेख में हो रहा है तो पूरा होगा ही। मेरे इस पत्र के प्रयोजन इतना ही महत्त्वपूर्ण माने या इससे ज्यादा, यह तय आपको करना है। वह प्रयोजन है—कोलायत के कपिल सरोवर के पौराणिक वैभव को लौटाने का। इसके एक सोपान के तौर पर जलकुम्भी हटाने का काम आपने कुछ वर्ष पूर्व करवाया था। यह बात अलग है कि सरोवर में जलकुम्भी फिर लौट आयी, किन कारणों से लौटी, विशेषज्ञों की राय से उसे तो हमेशा के लिए हटाना ही है। अन्य जो काम हैं सरोवर की आगोर को बचाना और उसके 52 घाटों का जीर्णोद्धार करवाना। घाटों का जीर्णोद्धार तो आपके लिए बड़ा काम नहीं है लेकिन आगोर को सुरक्षित रखना और हमेशा के लिए सुरक्षित रखना-रखवाना बड़ा काम है।
इसके लिए आपको न केवल अपनी सामाजिक हैसियत का उपयोग करना होगा बल्कि अपनी राजनीतिक हैसियत का उपयोग भी करना होगा। इस आर्थिक युग में धन के भूखों का राम होठों तक ही है—हिये तक नहीं। अन्यथा धन के ये भूखे कम से कम कोलायत सरोवर के आगोर क्षेत्र को तो अवैध खनन से मुक्त रखते। सरकारी मुलाजिमों से आगोर क्षेत्र में खनन पट्टे जारी भी हो गये हैं तो उन्हें रद्द करवाना और यह जाप्ता करना भी जरूरी है कि भविष्य में यह भूल दोहराई न जाए। आप मुनादी करवा देंगे तो पूरा भरोसा है कि आगोर के उस क्षेत्र में अवैध-खनन का काम रुक जायेगा। एक और प्रयास क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य को लौटाने का है। खनन के ओवर बर्डन से निकली मिट्टी से बने डूंगर न केवल आगोर के बहाव क्षेत्र में बाधा हैं बल्कि क्षेत्र पर बदनुमा दाग भी हैं। यह काम होगा कैसे—मुझे अनुमान नहीं है, लेकिन होना जरूरी है। आगोर क्षेत्र में खनन से जो गहरे गड्ढे बन गये उन्हें इस ओवर बर्डन से बुरवाया जा सकता है। यह काम कम अर्थ-साध्य नहीं है, मोटे बजट की जरूरत होगी। आप मन बना लेंगे तो यह सब व्यवस्था भी आप संभव करवा लेंगे। ऐसा मानना मेरा ही नहीं है, उनका भी है जो आपको अच्छे से जानते-समझते हैं।
इस बड़े काम को करने का मन बनाना आसान नहीं। कितने संसाधन जुटाने होंगे मुझे पता है। लेकिन देवीसिंह भाटी के सामथ्र्य का भी पता है कि वे मन बना लेंगे तो इस वय में कर गुजरेंगे और सार्वजनिक इतिहास में उनको इन कार्यों के लिए भी याद किया जायेगा। उम्मीद करता हूं कि इस अनुष्ठान को पूर्ण करवाने के लिए व्यवस्थित कार्य योजना की घोषणा शीघ्र ही करेंगे। अग्रिम आभार।
―दीपचन्द सांखला
22 जुलाई, 2021