भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को 4 अक्टूबर को और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल
गांधी को 10 अक्टूबर को बीकानेर में
होना है—वजह, दो माह बाद ही राजस्थान विधानसभा के चुनाव हैं।
राजनीतिक चर्चा-परिचर्चाएं करते रहे हैं—आगे भी करेंगे ही। चूंकि इन दोनों दिग्गजों की रैलियां मेडिकल कॉलेज मैदान में
हैं सो इसी बहाने बीकानेरी मैदानों की श्रोता-क्षमता की पड़ताल कर लेते हैं,
ऐसा करना गूगल मैप की सुविधा मिलने के बाद आसान
हो गया है। जब गूगल मैप की सुविधा नहीं थी तब राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर
जैसे मीडिया समूह ऐसी पैमाइश करवाने में सक्षम थे—नहीं करवाई, इसलिए मीडिया
रिपोर्टर श्रोताओं की संख्या गोल-माल भाषा में सैकड़ों-हजारों लिखकर या आयोजकों के
दावों का उल्लेख कर काम चलाते रहे हैं।
बीते वर्षों में दो रैलियों में जुटी भीड़ के दावे चर्चा में रहे हैं।
देवीसिंह भाटी की तब की रैली जब उन्होंने भाजपा से रूठ कर सामाजिक न्यायमंच के
माध्यम से दबाव की राजनीति की। यह रैली करणीसिंह स्टेडियम में हुई थी। उस रैली की
चर्चा इसलिए भी है क्योंकि तब अच्छे प्रबन्धक माने जाने वाले भाटी के ज्येष्ठ
पुत्र पूर्व सांसद महेन्द्रसिंह भाटी उस रैली को सफल बनाने में जुटे थे।
लाखों पहुंचने के दावे के बरअक्स लगभग 40 हजार लोग ही पहुंचे—ऐसा उदार विश्लेषकों का मानना है। स्टेडियम के एक तरफ लगे
मजमे में इतने ही लोग हो सकते हैं। उपस्थित विश्लेषकों का मानना है कि पैविलियन
सहित लगभग सवा तीन लाख वर्गफीट के करणीसिंह स्टेडियम में यदि रैली एक तरफ सिमटी हो
तो 40 हजार के अनुमान को गलत
नहीं कहा जा सकता। भीड़ आकलन के अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार जमीन पर बैठा
व्यक्ति औसतन 4 वर्गफीट जगह को
घेरता है तो खड़ा 3 वर्गफीट को। ऐसे
में भाटी की उस रैली के आयोजकों को लग गया था कि रैली के लिए बड़े स्थान के चयन का
निर्णय सही नहीं था। पहले जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी वाले बीकानेरी
इसीलिए अपनी आम सभाएं परम्परागत स्थानों को छोड़ संकुचित और चारों ओर से घिरे भीड़
भरे उद्बुदे स्थानों पर करते रहे हैं। जैसे 1967 के विधानसभा चुनावों में अटलबिहारी वाजपेयी की मीटिंग
मोहता भवन के आगे रखी गई तो 1993 में प्रमोद
महाजन की आमसभा जेलरोड स्थित धुनीनाथ मन्दिर के आगे। हाल ही के वर्षों में ऐसी आमसभाओं और रैलियों के लिए भाजपा का पसंदीदा स्थान जूनागढ़ के सामने वाली चौड़ी सड़क हो गया है।
दूसरी बड़ी रैली में पहुंचे लोगों की गिनती के अनुमान की चर्चा हाल में मेडिकल
कॉलेज मैदान में जाट नेता हनुमान बेनीवाल की रही। 11 लाख वर्गफीट के शहर के इस सबसे बड़े मैदान में हुई रैली को
भीड़ के हिसाब से अब तक की सबसे बड़ी रैली कहा जा सकता है। आधे मैदान में भरी इस
रैली में जहां भीड़ को नियंत्रण करने के मकसद से बाड़ेबंदी का प्रबन्धन किया गया
वहीं मैदान भरा-पूरा दीखे, इसलिए आगे के कुछ
बाड़ों में कुर्सियां भी लगाई गईं।
मैदान भरे दीखें इसलिए धनिकों की पार्टियां अपनी रैलियों में कुर्सियां लगाने
लगी हैं। इन कुर्सी व्यवस्था वाली रैलियों में पहुंचा एक व्यक्ति 6 वर्गफीट जगह घेरता है वहीं बाड़ेबन्दी की
व्यवस्था मैदान की क्षमता का 15 से 20 प्रतिशत स्थान घेर लेती है। हनुमान बेनीवाल की
इस रैली में इन सभी व्यवस्थाओं के बावजूद एक से सवा लाख लोगों के पहुंचने का
अनुमान गलत नहीं कहा जा सकता। जातीय उन्माद में आयोजित इस रैली से बड़ी रैली भाजपा
या कांग्रेस हाल-फिलहाल कर पाएंगे लगता नहीं है। हालांकि राहुल गांधी की रैली के
संबंध में नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने कहा है कि 10 अक्टूबर को इसी मेडिकल कॉलेज मैदान में होने वाली रैली में
5 लाख लोगों को लाने का
लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में कोई उनसे प्रतिप्रश्न करे कि 5 लाख लोगों को लाने के लिए कितने वाहनों की जरूरत होगी और
जितने वाहनों की जरूरत होगी उतने वाहन जिले में छोड़ संभाग में भी हैं क्या?
दूसरा प्रश्न यह हो सकता है कि पांच लाख लोग आ
भी गये तो उन्हें खड़ा कहां करेंगे। बीकानेर के इस सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज मैदान
में बिना कुर्सियों और बिना बाड़ेबन्दी एक से एक सटाकर मिनख खड़े किए जाएं तब भी
ठसाठस भरे इस मैदान में तीन लाख लोग ही समा पाएंगे, वह भी तब जब बिना बाड़ेबन्दी की व्यवस्था की प्रशासन इजाजत
दे। हालांकि नेताओं की कही अब जुमलों की गत को हासिल होने लगी है।
ये बातें तो यूं ही होती रहेंगी। थोड़ी नजर उन स्थानों पर डाल लेते हैं जहां
आजादी बाद राजनीतिक दलों की आमसभाएं होती रही हैं। पिछली सदी के सातवें-आठवें दशक
तक आम सभाओं के लिए बीकानेर के सभी राजनीतिक दलों का पसन्दीदा स्थान रतनबिहारी
पार्क का वह हिस्सा रहा है जो खजांची मार्केट के ठीक सामने है। हालांकि उससे भी
बड़ा स्थान रतनबिहारी के दोनों मन्दिरों के पिछवाड़े का है,जहां दो कारणों से मीटिंग करने से राजनीतिक दल बचते रहे हैं—पहला, यह स्थान काफी बड़ा है इसलिए इतनी भीड़ जुटाएं कैसे? दूसरा, सड़क से लगते
मैदान में सभा होगी तो चलते फिरते लोग रुककर सुन भी लेंगे या अन्दर भी आ लेंगे,
ऐसा होता भी रहा है।
हाइ प्रोफाइल आम सभाएं हमेशा ही करणीसिंह स्टेडियम में होती रही हैं। वहां
नेहरू से लेकर खान अब्दुल गफार खान, जयप्रकाश नारायण, इन्दिरा गांधी और
नरेन्द्र मोदी तक की सभाएं हो चुकी हैं।
अलावा इसके शहर में जहां-जहां आमसभाएं होती रही उनमें बड़ा बाजार स्थित दांती
बाजार, मोहता चौक, साले की होली, बारह गुवाड़ चौक, आचार्यों का चौक, सुथारों की बड़ी
गुवाड़, कोचरों का चौक, रांगड़ी चौक, सुनारों की बड़ी गुवाड़, सिक्का मस्जिद, कसाइयों का मोहल्ला, फड़ बाजार जैसे
स्थान आमसभा करने वालों के पसंदीदा रहे हैं। हालांकि पिछले बीसेÓक वर्षों के चुनावी माहौल में इस तरह स्थान
बदल-बदल कर होने वाली आम सभाओं में लोगों की रुचि लगभग समाप्त हो गई जिसकी भरपाई
राजनीति दल दो-तीन बड़ी रैलियां कर करने लगे हैं। हालांकि इस तरह की रैलियां करना
अब बहुत महंगा सौदा हो गया है, पहले तो रैली में
शामिल होने वाले को दिहाड़ी देकर किराए के वाहनों में लेकर आओ, उनके खाने के लिए खाने-नाश्ते-पानी की व्यवस्था
करो, रैली स्थल पर महंगे टैंट
लगाओं, मंचों पर एयर कंडीशनर,
श्रोताओं के लिए कूलर, बड़े एलइडी स्क्रीन-बड़े एलइडी टीवी, महंगे साउण्ड सिस्टम, नीचे कालीन, श्रोताओं के
बैठने के लिए कुर्सियां, इन सबकी व्यवस्था
करने में आयोजकों को पचास लाख से एक करोड़ तक का खर्चा मामूली बात हो गई है। इन सब
के बावजूद विडम्बना यही है कि मासूम जनता ने अभी यह समझना शुरू ही नहीं किया है कि
तेल तो तिलों में से ही निकलता है।
अब जब रैलियों का चलन हो गया है तो उसमें शामिल श्रोताओं और तमाशबीनों की
संख्या के कयास लगाना लाजिमी है। ऐसे में बीकानेर के मुख्य मैदानों के क्षेत्रफल
अरबन प्लानर और आर्किटेक्ट अरुंधती सांखला की मदद से निकलवाया है। जो राजनीतिक
विश्लेषकों और मीडिया वालों के लिए भीड़ के सटीक अनुमान लगाने में सहायक हो सकते
हैं।
बीकानेर के मैदान :- मेडिकल कॉलेज ग्राउण्ड : 11,50,000 वर्गफीट; रेलवे स्टेडियम : 2,00,000 वर्गफीट; करणीसिंह
स्टेडियम : 2,25,000 वर्गफीट,
पैविलियन सहित 3,25,000 वर्गफीट; फोर्ट स्कूल
मैदान : 1,00,000 वर्गफीट;
सादुल स्कूल मैदान : 70,000 वर्गफीट; छोटा मैदान 17,000 वर्गफीट; एम.एम. ग्राउण्ड : 1,30,000 वर्गफीट; पुष्करणा
स्टेडियम : 1,50,000; डूँगर कॉलेज
मैदान: 2,70,000 वर्गफीट; (आगे का),
1,32,0000 वर्गफीट (पीछे का);
सादुल क्लब ग्राउण्ड : 7,70,000 वर्गफीट; पॉलिटेक्निक
कॉलेज ग्राउण्ड : 6,00,000 वर्गफीट (पीछे का), 1,35,000 वर्गफीट (आगे का) 1,40,000 वर्गफीट (भाभा छात्रावास के पीछे);
धरणीधर मैदान : 3,00,000 वर्गफीट, जूनागढ़ के सामने
की सड़क : 40,000 वर्गफीट।
(उल्लेखित सभी क्षेत्रफल लगभग हैं)
नोट : अन्तरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार जमीन पर बैठा व्यक्ति 4 वर्गफीट, कुर्सियों पर बैठा व्यक्ति 6 वर्गफीट और खड़ा व्यक्ति 3 वर्गफीट अनुमानित जगह घेरता है।
—दीपचन्द सांखला
4 अक्टूबर, 2018
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