Saturday, October 27, 2018

नंदलाल व्यास (21 नवंबर, 2011)

1998 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जब बीकानेर शहर के अपने विधायक नन्दलाल व्यास को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया तो विरोधस्वरूप निर्दलीय चुनाव लड़ा और पार्टी से निष्कासित हुए। 2003 में होने वाले चुनावों से पहले व्यास चाहते थे कि उन्हें पार्टी में ले लिया जाय। पार्टी के एक धड़े को भी लगने लगा कि नन्दलाल व्यास पार्टी की जरूरत हैं। नन्दलाल व्यास ने भी पार्टी पर दबाव बनाने के लिए अलग तरीका निकाला। उन्होंने अपनी निजी क्षमता से जय जन यात्रा की घोषणा की। कई दिनों तक चली उस यात्रा में वे विधानसभा क्षेत्र के लगभग हर हिस्से में गए। तब वे यात्रा के पड़ाव में आए मुहल्ले में ही रात्रि विश्राम करते थे। माहौल भी बना और पार्टी पर दबाव भी। व्यास को न केवल पार्टी में लिया गया बल्कि 2003 के चुनावों में टिकट भी दे दिया गया। लेकिन वे हार गए। 2008 के चुनावों में दावेदारी के बावजूद पार्टी ने उम्मीदवार नहीं बनाया। उन्होंने एक बार तो 1998 को दुहराने की घोषणा कर दी। लेकिन लगता है कि 1998 से 2003 के बीच का सबक उन्हें याद आ गया। अब पार्टी में ही हैं, चुनाव दो साल बाद होने हैं। लगभग ताल ठोंकने के अंदाज में वे जनचेतना यात्रा पर निकल पड़े हैं।
--दीपचंद सांखला
21 नवंबर, 2011

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