Thursday, October 25, 2018

तोड़ने के लिए बनते कानून (3 नवंबर, 2011)

लगता है काम करने के सरकारी ढर्रे को सुधारने की जरूरत शिद्दत से महसूस की जाने लगी है। पहले राज्य सरकार ने लोक सेवा गारंटी कानून पास किया जो 14 नवंबर से लागू हो जाएगा। अब केंद्र सरकार ने शिकायत निवारण नागरिक अधिकार विधेयक (सिटीजन चार्टर) का मसौदा तैयार किया है। इसे संसद के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत किया जायेगा।
राज्य सरकार के लोकसेवा गारंटी कानून और केंद्र के सिटीजन चार्टर, दोनों में तय समय सीमा में काम न होने पर आर्थिक जुर्माने का प्रावधान भी है। पाठकों को ध्यान हो तो सूचना के अधिकार कानून में सूचनाओं में देरी के लिए भी जुर्माने का प्रावधान है। बीकानेर में तो शायद ही किसी कर्मचारी-अधिकारी को सूचना देने में देरी करने के लिए किसी तरह से दंडित किया गया हो। सरकारी अमले में नीचे से ऊपर तक एकमेक और अंतर्प्रवाहित भ्रष्टाचार के चलते शायद यह संभव भी नहीं है। क्योंकि हर एक की नाड़ दूसरे की नाड़ से यहां दबी रहती हैं। लगता है सरकारें कई नियम औ़र कानून तोड़ने के लिए ही बनाती हैं। जैसे रिश्वत ना लेना और ना देना, सार्वजनिक स्थानों पर बीड़ी-सिगरेट ना पीना, प्लास्टिक की थैलियां और कैरी बैग का उपयोग ना करना, मिठाई के डिब्बों को साथ ना तौलना, घी, दूध, मसालों आदि खाद्य पदार्थों में मिलावट ना करना, और अपने बीकानेर में तो हेलमेट लगाना, सीट-बेल्ट बांधना, चौराहे पर लगे ट्रैफिक सिग्नल का लिहाज करना आदि-आदि।
--दीपचंद सांखला
3 नवंबर, 2011

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