Friday, October 26, 2018

वीरेंद्र बेनीवाल-2 (18 नवंबर, 2011)

इस फेरबदल को संभाग और जिले की प्राप्तियों के रूप से देखें तो सर्वाधिक फायदे में बीकानेर रहा है। इसे स्वतंत्र प्रभार और गृह जैसे महत्त्वपूर्ण विभाग के साथ एक राज्यमंत्री, दूसरा एक और राज्यमंत्री तथा दो संसदीय सचिव के पद मिले हैं। एक व्यक्ति के तौर पर देखें तो पूरे मंत्रिमंडल में नई ताकत के रूप में उभर कर आए हैं वीरेन्द्र बेनीवाल। वीरेन्द्र बेनीवाल ने विभागों के बंटवारे के तुरन्त बाद जो वक्तव्य दिया वो उनके परिपक्व राजनीतिज्ञ होने का संकेत देता है। अब उनकी यह जिम्मेदारी भी है कि अपने विभिन्न विभागों से संबंधित जो वक्तव्य उन्होंने दिया है उस पर वे कायम भी रहें। यह इसलिए भी जरूरी है कि मुख्यमंत्री ने उनमें सर्वाधिक भरोसा जताया है। वीरेन्द्र बेनीवाल में ऐसी परिपक्वता होने का एक कारण उनके चुनावी चिर-प्रतिद्वंद्वी मानिकचन्द सुराना हैं जिन्हें प्रदेश के जमीनी और व्यावहारिक राजनीतिज्ञों में माना जाता है, आखिर मानिकचन्द सुराना से लम्बे समय तक दो-दो हाथ करने वाले को कुछ तो उन जैसा होना ही होगा।
पार्टी लेवल पर भी वीरेन्द्र बेनीवाल का खुले मन का होना अब और भी जरूरी है। उन्हें जिले में पार्टी को मजबूत करने के कार्य को भी चुनौती के रूप में लेना होगा क्योंकि फिलहाल जिले की सात विधानसभा सीटों में से केवल दो ही कांग्रेस के पास है और चुनाव मात्र दो साल बाद ही होने हैं। बेनीवाल के बयानों में इस उदारता के सकारात्मक संकेत भी देखे भी जा सकते हैं।
--दीपचंद सांखला
18 नवंबर, 2011

No comments: