Friday, October 26, 2018

दुरुपयोग के फायदे (17 नवंबर, 2011)

रीढ़ की हड्डी को प्रकृति ने बहुत ही लचीला बनाया है। इस लचीलेपन का हम कई बार दुरुपयोग भी करते हैं। परिणामस्वरूप इस हड्डी से संबंधित स्थाई-अस्थाई शारीरिक व्याधियों से ग्रसित हो जाते हैं। यह व्याधियां तो ठहरीं--शारीरिक। लेकिन रीढ़ की हड्डी का दुरुपयोग केवल शारीरिक ही नहीं होता। अधिकतर इसका दुरुपयोग मानसिक  भी होता देखते और देख सकते हैं। जब ऐसी जगह दुरुपयोग करते हैं जहां कई लोग देखने वाले होते हैं, उनमें से कई जायज ठहरा देते हैं तो कई चापलूसी कह देते हैं। रीढ़ की हड्डी के ऐसे दुरुपयोग में कई बार घुटनों को भी साथ देना पड़ जाता है।
अब कल की ही बात है। राज्य मंत्रिमंडल के फेरबदल के चलते राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह था। समारोह के बाद पदोन्नत हुए एक मंत्रीजी ने अपनी रीढ़ की हड्डी और घुटनों की जुगलबंदी का उपयोग करते हुए मुख्यमंत्री के चरण-स्पर्श की कोशिश की। प्रेस फोटोग्राफरों को मौका मिल गया और यह फोटो अखबारों में छपा भी। कई पत्रकार भी बिना इधर-उधर की सोचे कमियां ही निकालने में लगे रहते हैं। बिना यह सोचे कि मंत्रीजी मुख्यमंत्रीजी से उम्र में छोटे जो हैं। क्या ये पत्रकार बंधु भी अपने घर में खुद की किसी उपलब्धि पर अपनों से बड़ों के चरण-स्पर्श करके आशीर्वाद नहीं लेते? वैसे भी हमारे यहां विनम्रता कहें या आत्मविश्वास की कमी, अकसर अपने को अपनी उपलब्धि के योग्य पाते ही नहीं। या तो किसी देवता की या अपने से बड़ों की या अपने अफसर की या अपने नेता की कृपा मान कर अपनी उपलब्धि ग्रहण करते हैं।
कल वाले मंत्रीजी तो मुख्यमंत्रीजी से चलो उम्र में छोटे भी थे। लगभग तेरह वर्ष पहले अभी वाले मुख्यमंत्री ने जब अपने मंत्रिमंडल के साथ पहली बार शपथ ली तो उसमें हमारे शहर के विधायक भी मंत्री बने थे। वे तब भी मुख्यमंत्री से लगभग दो साल बड़े थे, जैसे आज हैं। इस बात को नजरअंदाज करते हुए अपनी रीढ़ की हड्डी का दुरुपयोग किया और झुककर मुख्यमंत्री के चरण-स्पर्श की मुद्रा में आ गये थे। हां, अपने घुटनों को मुड़ने से तब उन्होंने जरूर बचाये रखा। शायद तभी वे आजकल पीछे से इन्हीं मुख्यमंत्रीजी से ताल ठोंकने से नहीं चूकते। कल के पदोन्नत मंत्रीजी भी क्या हमारे शहर के इन वरिष्ठ नेता से कभी प्रेरित होंगे।
--दीपचंद सांखला
17 नवंबर, 2011

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