Thursday, October 25, 2018

बीकानेर की सबसे बड़ी समस्या कोटगेट क्षेत्र का यातायात : कुछ ताजा फेसबुक पोस्ट


कल्लाजी!
क्या आप आश्वस्त करेंगे कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर कोटगेट क्षेत्र की यातायात समस्या का आप द्वारा सुझाया समाधानबीच बाजार से रेलवे लाइन हटवा कर रेल बायपास का काम आगामी पांच वर्षों में पूरा नहीं तो आधा-पड़दा तो करवा देंगे! (19 अक्टूबर, 2018 प्रात: 11.44 बजे)
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कोटगेट क्षेत्र की यातायात समस्या के समाधान की जब भी बात होती है तो डॉ. बीडी कल्ला 2002 में राज्य सरकार की ओर से बायपास प्रस्ताव के लिए रेलवे को भिजवाए गए 60 करोड़ रुपये का जिक्र करते हैं।
रेलवे ने उस प्रस्ताव को तकनीकी, आर्थिक और व्यावहारिक आधार पर बिंदुवार अस्वीकार कर ना केवल 2005 में ही लौटा दिया था बल्कि पिंक बुक से हटाने की सूचना भी राज्य सरकार को दे दी थी। बाद में रेलवे ने साठ करोड़ की वह रकम भी लौटा दी।
कल्ला को या तो उस निरस्ती पत्र की जानकारी नहीं है या अवाम से इसे छिपाते हैं।  (21 अक्टूबर, 2018 प्रात: 15.58 बजे)
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एक बात तो समझ आ गई
आलोचना बर्दाश्त करने के मामले में डॉ. कल्ला के अनुगामियों के मुकाबले डॉ. गोपाल जोशी के अनुगामी ज्यादा उदार हैं, बल्कि स्वयं डॉ. जोशी भी। (21 अक्टूबर, 2018 प्रात: 17.29 बजे)
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कोटगेट क्षेत्र की यातायात समस्या के समाधान पर जिन्हें लगता है कि केवल कल्लाजी से ही सवाल किए जाते हैं, उन्हें मेरे आलेख पढ़ लेने चाहिए, ब्लॉग में ऐसे और भी कई आलेख हैं जिनमें ना केवल बीकानेर के राजनेताओं और जनप्रतिनिधियों को कठघरे में खड़ा किया गया है बल्कि अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे पर भी बीकानेर की अनदेखी के आरोप जड़े गए हैं। (21 अक्टूबर, 2018 प्रात: 19.43 बजे)
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कल्लाजी!
राजनीतिक अनुमानों के अनुसार राजस्थान में ना केवल आपकी पार्टी कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है, बीकानेर पश्चिम से आपकी उम्मीदवारी भी लगभग तय मानी जा रही है। जैसा कि माहौल है आपकी जीत की संभावनाएं भी पूरी हैं। रही बात मंत्री पद की तो वह इस पर तय होगा कि रामेश्वर डूडी से आपने क्या पैक्ट किया है। कैबिनेट मंत्री तो जिले से एक ही बनना है और डूडी भी जीतते हैं तोजो संभावित हैपैक्ट के अनुसार आपस में आपने जो तय किया है उस पर कायम रह बर्दाश्त करेंगे या डूडी से दो-दो हाथ कर लेंगे।
खैर! छोडि़ए इसे तो। मेरी शेयर यह पोस्ट अभी तक अनुत्तरित है। हालांकि न चाहते हुए भी इस पोस्ट पर आपकी ट्रोल टीम के अधिकांश को ब्लॉक करना पड़ा। वह इसलिए जरूरी था कि शहर की इस सबसे बड़ी समस्या का समाधान जरूरी है और आपके ट्रौलर इसे चिगदना चाह रहे थे।
ट्रौलरों को ब्लॉक कर दिया तो क्या? आपकी फिर हाइ प्रोफाइल टीम उतर आई जिसमें यूनिवर्सिटी के डिप्टी रजिस्ट्रार से लेकर लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल और जर्नलिस्ट तक शामिल थे लेकिन वे भी या तो बगलें झांकते देखे गए या लीपापोती भर करते। मानता हूं यह सब चुनावी दस्तूर हैं और ऐसा करने की अपनों की ड्यूटी बनती है।
लेकिन आपको आपकी ड्यूटी का ध्यान दिलाना जरूरी है इसलिए उस पोस्ट को फिर साझा कर रहा हूं। आशा करता हूं 'उतर भीखा म्हारी बारीÓ के इस राजनीतिक दौर में आप ना केवल पार्टी से उम्मीदवारी ले आएंगे बल्कि चुनाव जीत कर प्रभावी मंत्री बनेंगे। ऐसे में शहर के बाशिंदे इसे पक्का क्यों ना मानें कि फिर आगामी पांच वर्षों में शहर के बीच से रेलवे लाइन हटवा कर आप बायपास बनवा देंगे।
उम्मीद करता हूं इस पोस्ट पर किसी ट्रौलर को ब्लॉक नहीं करना पड़ेगा। (23 अक्टूबर, 2018 प्रात: 07.06 बजे)
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कल्लाजी!
कोटगेट क्षेत्र की यातायात समस्या का समाधान राज्य सरकार के अधीन है ना कि केंद्र सरकार के, चूंकि समस्याग्रस्त क्षेत्र पहले संपूर्ण बीकानेर और अब बीकानेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है इसलिए सीधे तौर पर इसके लिए उत्तरदायी यहीं के विधायक हैं।
इस समस्या पर जारी उद्वेलन 1991 से शुरू हुआ, तब से अब तक के इन 28 वर्षों में विधानसभा में इस क्षेत्र का सर्वाधिक प्रतिनिधित्व 13 वर्ष (डॉ. बीडी कल्ला) आप ही का रहा है, बाद इस के 10 वर्ष डॉ. गोपाल जोशी और 5 वर्ष नंदलाल व्यास का, व्यास रहे नहीं। डॉ. जोशी ने इस समस्या के समाधान में केवल अपने स्वार्थों को तरजीह दी। आगामी चुनावों में डॉ. जोशी खुद दावेदार नहीं हैं और हों तो भी उनको इस वय में कोई पार्टी उम्मीदवार शायद ही बनाए।
जब अखबारी विज्ञापनों के माध्यम से आपने प्रचार शुरू किया तो लगा कि आप बीकानेर पश्चिम से पुन: दावेदार हैं और चूंकि कोटगेट क्षेत्र की इस बड़ी समस्या के बायपास समाधान का ही जिक्र आप जब तब करते रहे हैं इसलिए आगामी सरकार की संभावनाओं के मद्देनजर आपसे आश्वस्ति चाही गई कि अपने द्वारा पोषित और समर्थित बायपास समाधान को अमली जामा पहनाएंगे ही! इसीलिए अपनी जिज्ञासा को एकाधिक बार आपसे टेग भी किया।
जब खुद अपनी आइडी और पेज के माध्यम से आप फेसबुक पर सक्रिय हैंबावजूद इसके इस समस्या पर मौन हैं। हालांकि आपका बौद्धिक समूह और ट्रौलर अच्छे से सक्रिय होते हैं, उनकी शालीन पोस्टों-प्रतिक्रियाओं का जवाब भी देने की कोशिश करता हूं लेकिन निरी भक्तिमय या अभद्र और धमकी भरी पोस्ट का हरगिज नहीं। उन्हें या तो हटा देता हूं या लिखने वाले को अमित्र या ब्लॉक करने में भी देर नहीं लगाता। ऐसा इसलिए कि शहर की इस सबसे बड़ी समस्या पर बात गंभीरता से हो सके। अब तो ऐसी पोस्टों और प्रतिक्रियाओं को हटाने व आइडी ब्लॉक करने से पूर्व स्क्रीनशॉट भी रखने लगा हूं ताकि सनद रहेवक्त जरूरत काम आए।
आपके खेमें की ओर से एक अन्य रोष जिस बात पर जताया जाता है वह यह कि इसके लिए और भी नेता-जनप्रतिनिधि जिम्मेदार हैं। उनसे कोई क्यों नहीं पूछते? जानकारी के लिए बता दूं कि जो भी जिम्मेदार हैं उन्हें भी खूब पूछा गया! अच्छे से पूछा गया और अधिकृत दावेदार होंगे, तो उनसे भी पूछेंगे। इस समस्या के समाधान के लिए जो जिम्मेदार रहे उनसे क्या और किस तरह पूछा गया वे लगभग चालीस आलेख http://deepsankhla.blogspot.com/ पर रखे हैं, पढ़कर अपनी जिज्ञासा और चित्त के उद्वेलन को शांत कर सकते हैं।
देवीसिंह भाटी, रामेश्वर डूडी, अर्जुनराम मेघवाल, सिद्धिकुमारी आदि आदि के बारे में जो लोग प्रतिप्रश्न करते या करना चाह रहे हैं उन्हें भी जानकारी हो कि उक्त ब्लॉग पर एक हजार से ऊपर आलेख हैं, उनमें ऐसे सभी जिम्मेदारों से समय-समय पर संवाद किया गया है, देखने-टटोलने की जहमत तो प्रश्न करने से पहले उठानी चाहिए।
कल्लाजी!
आप प्रोफेसर रहे हैं, आपने डॉक्टरेट की है, अत: यह उम्मीद भी रखते हैं कि आपका बौद्धिक प्रकोष्ठ पूरे होमवर्क के साथ मैदान में उतरें और समर्थक शालीनता के साथ--आज बस इतना ही। (24 अक्टूबर, 2018 प्रात: 06.00 बजे)
दीपचन्द सांखला
25 अक्टूबर, 2018

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