Monday, July 17, 2023

पुरानी जेल की जमीन

 लम्बी उडीक के बाद लगता है स्वाति नक्षत्र की बूंद बीकानेर पर टपकेगी और शहर मोती सा दमकने लगेगा। हां, ऐसी-सीक घोषणा कल जिला कलक्टर ने की। अवसर था पुरानी जेल की जमीन के निबटारे की सूचना का, जो राज्य की सरकार से आयी और कलक्टर को उसे प्रेस के माध्यम से प्रचारित करना था।

जेल जब से बीछवाल स्थानान्तरित हुई तब से ही इसकी जमीन और इससे होने वाली आय पर कइयों की नजर थी, कुछ की गिद्धदृष्टि भी। जेल की जमीन और जमीन से होने वाली आय की सुर्खियां मीडिया में लगातार बदलती रही, बावजूद इसके कि गजनेर रोड पुल के उद्घाटन के समय मुख्यमंत्री की उपस्थिति में नगरीय विकास मंत्री ने यह घोषणा कर दी थी कि पुरानी जेल की जमीन से होने वाली आय शहरी विकास के लिए बीकानेर को दे दी जायेगी। और धारीवाल ने तब यह भी कह दिया था कि रेल बायपास यदि बनेगा तो उसके लिए राज्य सरकार अलग से धनराशि मुहैया करवायेगी।

पिछले वर्ष जेल की जमीन से प्राप्त आय के धन पर ऊहापोह तब और बढ़ गई जब शहर की तीस वर्षों से नुमाइन्दगी कर रहे और राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. बीडी कल्ला ने एक सितम्बर को प्रेस कान्फ्रेंस कर यह मांग कर डाली कि पुरानी जेल की जमीन से होने वाली आय रेल बायपास निर्माण में लगा दी जाय। शायद कल्ला जेल की जमीन की आय और रेल बायपास से संबंधित नगरीय विकास मंत्री की मुख्यमंत्री की उपस्थिति में की गई उक्त दोनों घोषणाओं को भूल गये होंगे।

खैर! अब जब राज्य सरकार ने इस संबंध में वित्तीय व्यवस्था दे दी है और प्रक्रिया के तहत नीलामी की तिथियां भी तय हो गईं तो अब इसे लेकर सभी तरह के कयासों का पटाक्षेप हो गया होगा। यह धन शहर के विकास पर खर्च होगा-मद तय हो गयी हैं और जिनके माध्यम से यह विकास होना है मोटा-मोट वो भी तय कर लिया गया है।

बीकानेर नगर निगम में कांग्रेस का बोर्ड है और महापौर भानीभाई भी कांग्रेस से हैं। नगर विकास न्यास के अध्यक्ष कलक्टर न होकर बीडी कल्ला के विश्वस्त और मुख्यमंत्री का वरद न सही हस्त हासिल हाजी मकसूद हैं। उन्हें ऐसे प्रयास करने चाहिए कि पुरानी जेल की इस जमीन से होने वाली सौ-सवा सौ या डेढ़ सौ करोड़ की आय और उम्मीद करते हैं यह आय और भी ज्यादा हो-बीकानेर के विकास में ईमानदारी और निष्ठापूर्वक खर्च हो। वैसे ईमानदारी और निष्ठा से कार्य होने की उम्मीद अब दिन में सपना देखने से कम नहीं है। वो भी तब जब कांग्रेस के ही राजीव गांधी ढाई दशक पहले यह स्वीकार कर चुके हैं कि विभिन्न योजनाओं और मदों के लिए दिये जाने वाले धन की पचासी प्रतिशत छीजत हो जाती है।

लेकिन क्या इस छीजत को कम करना या खत्म करना सम्भव नहीं है? भानीभाई और मकसूद चाहें तो यह चमत्कार सम्भव है-निगम और न्यास दोनों के ही अधिकतर अधीनस्थ अधिकारी और कर्मचारी स्थानीय हैं और कुछेक न भी हों तो इतने-इतने वर्षों से यहां जमे हैं, वे अपने को अब स्थानीय मान ही रहे होंगे। और इन विभागों से जुड़े ठेकेदार भी सब स्थानीय ही हैं। रही बात प्रशासक-सचिव की तो उन्हें जब इसका भान हो जायेगा कि महापौर, न्यास अध्यक्ष, ठेकेदार और बाकी सभी अधीनस्थ अधिकारी-कर्मचारी एकमत हैं तो वे भी अपना भाव और रुख बदल लेंगे। ये सभी मिल कर यदि यह तय कर लें कि कम से कम पुरानी जेल से होने वाली आय बिना किसी प्रकार की छीजत के शहर में पूरी की पूरी खर्च होगी तो शहर न केवल दमकने लगेगा, बल्कि पूरे देश में एक उदाहरण भी बनेगा। भानी भाई और हाजी मकसूद यदि सचमुच इसे सम्भव कर लेते हैं तो हो सकता है अगले विधानसभा चुनाव में बीकानेर की दोनों विधानसभा सीटों पर ऊंट अपनी करवट बदल भी सकता है!!

—दीपचन्द सांखला

8 जून, 2012

No comments: