Thursday, July 27, 2023

नारी ताड़न की अधिकारी

 भारतीय मूल की अमरीकी नौसेना अधिकारी सुनीता विलियम्स के हवाले से खबर है कि उन्होंने अंतरिक्ष में महिला अन्तरिक्ष यात्री के रूप में सबसे लम्बी चहलकदमी का केवल रिकार्ड बनाया बल्कि अंतरिक्ष केन्द्र की बिजली आपूर्ति को भी पुन: सुचारु कर दिया। इसके अलावा भी अन्यानेक स्त्रियों की उल्लेखनीय उपलब्धियां बताने वाली खबरें इस बात का संकेत है कि इस इक्कीसवीं सदी के समाप्त होते-होते महिलाएं कम-से-कम पुरुषों से बराबरी का अपना हक हासिल कर ही लेंगी।

एक खबर और कर्नाटक हाइकोर्ट के एक जज के हवाले से है। न्यायाधीश के. भक्तवत्सल ने घरेलू हिंसा के एक मामले की सुनवाई करते हुए यहकथितव्यवस्था दे डाली कि जो पति अपनी पत्नी की जरूरतें पूरी करता है उसे अपनी पत्नी को पीटने का भी हक है, जिसकी शिकायत नहीं की जानी चाहिए। यही नहीं उस पीड़िता के पिता को भी न्यायालय में तलब कर उस स्त्री को कहा गया कि वो अपने पिता से पूछे कि क्या उन्होंने कभी तुम्हारी मां को नहीं पीटा। मतलब उसकी मां पिटती रही हैं तो उसे भी पिटना है।

दो अलग-अलग स्त्रियों से सम्बन्धित उक्त दो खबरें अखबारों से रिश्ता रखने वालों ने पढ़ी होंगी। सुनीता विलियम्स तो इक्कीसवीं सदी के इस शुरुवाती दौर में इस जतन में लगी है कि स्त्रियों में सदियों से नदारद आत्म विश्वास की बहाली हो लेकिन अपने देश के एक हाइकोर्ट के जज तुलसीदास की उस पंक्ति को जायज ठहराने में लगे हैं जिसमें तुलसीदास नारी को ताड़न का अधिकारी मानते हैं।

यह तो नहीं पता ये जज के. भक्तवत्सल उन्हीं तुलसीदास के वंशज हैं या उनके सम्प्रदाय के लेकिन उनकी मानसिकता जरूर पांच सौ साल पुरानी उसी काल की है जिस काल की कथित उच्चवर्णीय-बौद्धिक  पुरुष-मानसिकता के शिकार तुलसीदास जैसे महाकवि भी हुए बिना नहीं रह सके। तुलसीदास ने इस पंक्ति में ढोल गंवार सूद्र पसु नारी इन पांचों को केवल एक हीगैलेक्सीमें रखा बल्कि पिटना उनका हक माना हैं। यानी पीटने वाला जिन्हें पीटता है, वह उनके अधिकारों की रक्षा कर रहा होता है।

खैर, चिन्ता की बात है कि न्यायिक सेवाओं में उच्च न्यायालय की न्यायाधीशी तक पहुंचने वाले को सांगोपांग निगरानी से गुजरना होता है, जिसमें उनकी सोच, उनका आचरण, उनके फैसलों का रिकार्ड और यहां तक कि इस कुर्सी तक आने वाले की छवि भी महत्व रखती है। बावजूद इसके भक्तवत्सल जैसे व्यक्ति उच्च न्यायालय की न्यायाधीशी तक पहुंचना इसकी पुष्टि करते हैं कि इस चयन प्रक्रिया में छेद तो हैं।

उम्मीद करते हैं कि किसी ऐसे ही जज की कभी यह सलाह भी सुनने को मिले जिसमें पुरुष अपनी पत्नी की यह शिकायत लेकर पहुंचे कि वह उसे पीटती है, तो जज सलाह दें कि जो पत्नी दिन और रात के तुम्हारे सभी काम करती है, उसे तुम्हें पीटने का भी हक है!

दीपचन्द सांखला

07 सितम्बर, 2012


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