Monday, July 17, 2023

तेरह बुलाये– तीन आये

 उत्तर-पश्चिम रेलवे के महाप्रबन्धक आर.सी. अग्रवाल कल बीकानेर में थे। अवसर था इलाके की रेलवे संबंधी जरूरतों और समस्याओं पर चर्चा करने का। चर्चा के लिए तेरह सांसदों को निमन्त्रित किया। इन सभी तेरह सांसदों के चुनाव क्षेत्र से बीकानेर रेल मण्डल के कार्यक्षेत्र का थोड़ा या ज्यादा वास्ता है। मीटिंग करके रेलवे ने तो अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली-लेकिन जिन तेरह सांसदों को इस बैठक में शिरकत करनी थी उनमें से केवल तीन सांसद बैठक में पहुंचे। राजस्थानी में एक कहावत है 'तीन बुलाया तेरा आया, भई राम की बाणी। राधो चेतन यूं कहे, द्यो दाळ में पाणी' यानी जीमण के न्योते पर तीन को बुलाने पर तेरह आ जायें तो फिर दाल में पाणी ही टिकाना पड़ता है। लेकिन अपने यहां तो इससे ठीक उलट हुआ-बुलाया तेरह सांसदों को आये तीन ही। मानो बाकी सांसदों के क्षेत्रों में उत्तर-पश्चिम रेलवे के बीकानेर मंडल से संबंधित न तो कोई समस्या है और न कोई जरूरतें। यानी सब धाये-धापै हैं। फिर पता नहीं क्यों आये दिन ये मीडिया वाले रेलवे संबंधी जरूरतों और समस्याओं का रोना रोते रहते हैं!

अब देखो, अपने इलाके के सांसद अर्जुनराम मेघवाल भी नहीं पहुंचे-शायद किसी संस्था से सांसद भूषण का सम्मान लेने गये हों-सांसद रत्न सम्मान तो दो-तीन जगह से वे पहले ही ले चुके हैं। हां, उन्होंने इतनी जिम्मेदारी जरूर निभाई कि अपने इलाके की रेलवे संबंधी जरूरतों की एक फेहरिस्त मंडल रेल प्रबंधक को भिजवा दी-इस फेहरिस्त को भिजवाने का काम वह अन्यथा भी कर सकते थे-करते ही हैं-फेहरिस्त में नया कुछ नहीं है। वही मुद्दे हैं जिन्हें समय-समय पर सांसद भी और अन्य नेता भी और संस्थाएं अखबारों के माध्यम से उठाते रहे हैं। सांसद की मांगों में एक मांग अजब और अविवेकपूर्ण भी देखी गई-उन्होंने यह मांग कर दी कि सभी तरह की गाडिय़ां चाहे वो सुपरफास्ट हों या एक्सप्रेस-मेल हो या पैसेंजर इन सभी गाडिय़ों का ठहराव उनके क्षेत्र के अधिकतर स्टेशनों पर होना चाहिए। अब बतायें कि सभी स्टेशनों पर सभी गाडिय़ां रुकेंगी तो उन्हें कैसे तो सुपरफास्ट रहेंगी और कैसे मेल-एक्सप्रेस?

बीकानेर-जयपुर इंटरसिटी में सुपरफास्ट का किराया लिया जाता है लेकिन यह गाड़ी मेड़तारोड-जयपुर के बीच आते और जाते पैसेंजर की तरह चलती हैं। अपने सांसद को शायद इसका भान नहीं है। वैसे भी आजकल के राजनेता रेलों में चलते ही कब हैं जो उन्हें रेलों से संबंधित जरूरतों का ज्ञान हो। बीकानेर के सांसद को अभी तक यह भी समझ में नहीं आया है कि बीकानेर-कोयम्बटूर के लिए घोषित गाड़ी का रास्ता बदलवाने से बीकानेर के यात्रियों को तीन अतिरिक्त लाभ होंगे-एक तो पुणे के लिए गाड़ी मिलेगी, दूसरा बैंगलुरू के लिए गाड़ी मिलेगी और तीसरा कोयम्बटूर तक पहुंचने में यात्रियों को सतहत्तर कि.मी. का सफर कम तय करना पड़ेगा। समझ में नहीं आयी तभी उन्होंने इस मांग को अपनी फेहरिस्त में नहीं जोड़ा जबकि, क्षेत्रीय रेल उपयोगकर्ता परामर्शदात्री समितिÓ ने इस जरूरत को रेखांकित किया है।

दीपचन्द सांखला

6 जून, 2012


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