Friday, July 21, 2023

पुरानी गिन्नाणी के बहाने सिविक-सेंस की बात

 नागरिक परिषद, पुरानी गिन्नानी के हवाले से खबर है कि उन्होंने अपने मुहल्ले की सड़क और नाले जैसी समस्याओं के समाधान के लिए जनसुनवाई में मुख्यमंत्री से मिल कर गुहार की।

गिन्नानी शब्द गिंदाणौ या गिंदाणी से बना है जिसका मतलब होता है 'सड़ा हुआ' यानी आबादी के आस-पास का वह गहरा स्थान जहां किसी स्रोत से आने वाला खराब या अतिरिक्त ऐसा पानी जिसका कोई उपयोग नहीं किया जा सकता हो, और जो पड़ा-पड़ा सडऩे लगता है। शहर के नगर निगम कार्यालय के पीछे का क्षेत्र कभी ऐसा ही रहा बताते हैं तभी इसे पुरानी गिन्नानी कहा जाता है।

शहर की आबादी बढ़ी तो शहर भी बढऩे लगा और बढ़ते शहर के दबाव में इस गिन्नानी के क्षेत्र में भी बसावट हो गई। नियमित स्रोतों से आने वाले अनुपयोगी पानी की निकासी के लिए तो इस गिन्नानी में नाले बने हुए हैं लेकिन इन नालों का उपयोग हम केवल गंदे पानी की निकासी के लिए ही नहीं करते हैं, घर-गवाड़ का फूस तो यह सोच कर इन नालों में डाल दिया जाता है कि वह पानी के साथ बह जाएगा-लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं कि कमठाणे का मलबा भी इन नालों में डालने से नहीं चूकते-पिछले बीसेक साल से तो प्लास्टिक की थैलियां और प्लास्टिक डिस्पोजेबल इस तरह के नालों और सीवर लाइनों को अवरुद्ध करने का बड़ा कारण बन रहे हैं। हालांकि सरकार ने पॉलिथीन की थैलियों और कैरीबैग पर रोक लगा रखी है लेकिन इस रोक को हम मानते कहां हैं?

बात तो हम गिन्नानी की कर रहे थे– लेकिन कुछ समस्याओं के सामान्य कारणों की पड़ताल के फेर  में जनसामान्य की समस्या पैदा करने वाली आदतों पर बात करने लगे।

यह गिन्नानी ठीक उस दफ्तर के पीछे है जिसकी जिम्मेदारी ही यही है कि वह शहर में साफ-सफाई रखे और नालों के बहाव को सही बनाये रखे। लेकिन बरसों से यानी तब से जब यह दफ्तर नगरपालिका नाम से जाना जाता था फिर यह नगर परिषद नाम से जाना जाने लगा और अब नगर निगम नाम से जाना जाता है, इस दफ्तर की हुई इन तरक्कियों के बावजूद गिन्नानी में हर बारिश में दो-तीन फुट तक गंदा पानी पसरा रहता है, जिन घरों की 'प्लिंथ' नीचे हैं उन सब घरों में यह गंदा पानी घुसपैठ किये बिना नहीं रहता। अनुरोध है कि जो इस तरह की परिस्थितियों से कभी दो-चार नहीं हुए हैं वे कम से कम इन परिस्थितियों में रहने की कल्पना भर करके देखें! दो वर्ष पहले भी इसके समाधान के लिए सूरसागर के पास से नाला बनाया गया था। तब यही कहा गया था कि गिन्नानी की इस बरसाती पानी की समस्या का अंत हो गया है। लेकिन पिछली दो बरसातों में देखा गया है कि समस्या कुछ कम विकरालता के साथ ज्यों कि त्यों है।

इस तरह की सभी समस्याओं का समाधान बिना नागरिकों की आदतें सुधारे या कहें कि उनमें सिविक-सेंस आये बिना सम्भव नहीं है। अगर हम अपनी आदतें सुधारते हैं या अपने में 'सिविक-सेंस' जगाते हैं तो सरकारी कामों में भी दक्षता अपने आप आ जायेगी।

—दीपचन्द सांखला

12 जुलाई, 2012

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