Monday, July 24, 2023

वाणिज्यिक कर विभाग : जल्द खत्म हो गतिरोध

 कर सलाहकारों और वाणिज्यिक कर विभाग के कर्मचारियों के एक-दूसरे पर लगाये गए दुव्र्यवहार के आरोपों से लगभग एक सप्ताह से विभाग का कामकाज ठप है। दोनों पक्षों में चल रहे इस मनमुटाव से उत्पन्न गतिरोध के समाप्त होने की फिलहाल कोई उम्मीद नहीं दिख रही। कर सलाहकार संघ ने पिछले सप्ताह वाणिज्यिक कर विभाग के दो कर्मचारियों के दुव्र्यवहार की शिकायत करते हुए ज्ञापन विभाग के आला अफसरों को दिया था। इसकी प्रतिक्रिया में कर्मचारियों ने भी कर सलाहकारों पर दुव्र्यवहार का आरोप लगाते हुए पहले तो काली पट्टी बांध कर विरोध जताया और फिर पेन डाउन हड़ताल कर दी। इससे विभाग में कर संग्रहण और अन्य कार्य प्रभावित हो रहा है।

कर सलाहकारों और वाणिज्यिक कर विभाग के कार्मिकों-अफसरों के संबंध को 'चोली-दामन का साथ' कहा जा सकता है। विभाग राज्य सरकार के लिए राजस्व जुटाने का महत्त्वपूर्ण कार्य करता है और कर सलाहकार इस राजस्व के निर्धारण और भुगतान को तर्कसंगत व न्यायसंगत रखने तथा नियम-कानूनों की पेचीदगियों को समझने में व्यवसायियों का मार्गदर्शन करते हैं। ऐसे में महत्त्वपूर्ण कार्य में लगे विभाग और कर सलाहकारों के बीच गतिरोध आना उचित नहीं है।

हालांकि विभाग के स्थानीय अफसरों ने कर सलाहकारों की शिकायत विभागीय आयुक्त को भेज दी है और कल भी कर सलाहकारों के प्रतिनिधिमंडल को मामला आयुक्त के समक्ष रखने की बात कह कर फिलहाल गेंद मुख्यालय के पाले में डाल दी है। इससे मामले के समाधान में कुछ और समय लगने की आशंका है।

कर सलाहकारों का यह पक्ष उचित ही लगता है कि एक या दो कर्मचारियों की व्यवहार संबंधी शिकायत को पूरे विभाग के कर्मचारियों का मुद्दा बनाते हुए आंदोलन जैसा कदम उठाकर विभाग का कामकाज ठप कर देने का क्या औचित्य है। इस तरह के अवांछित दबाव से तो किसी कर्मचारी की शिकायत करना और उस पर न्यायोचित कार्रवाई की अपेक्षा रखना ही मुश्किल जाएगा। जरूरत इस बात की है कि विभाग के आला अफसर बगैर किसी दबाव के कर सलाहकारों की जायज शिकायत की जांच करें। व्यक्तिगत मामलों को लेकर सांगठनिक स्तर पर आंदोलनात्मक कदम उठाने की अपने कर्मचारियों की प्रवृत्ति पर भी अंकुश लगायें। कर्मचारियों को भी कोई शिकायत हो तो उसका भी समाधान होना चाहिए। कुल मिलाकर टकराव का यह रास्ता दोनों पक्षों के लिए हितकर नहीं है और शीघ्रता से यह गतिरोध समाप्त कर स्थितियों को और बिगडऩे से रोका जाना चाहिए।

—दीपचन्द सांखला

1 अगस्त, 2012

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