Friday, July 21, 2023

रिंग रोड के मुद्दे पर अब बोले हैं डूडी

 बीकानेर के पूर्व सांसद और वर्तमान जिला प्रमुख रामेश्वर डूडी का कल एक 'राजनीतिक बयान' आया जिसमें पिछले दिनों गोचर के नाम पर भाटी के आन्दोलन को अवरोध पैदा करने वाला बताया गया है। डूडी से कोई पूछे कि जब आन्दोलन चल रहा था तब आप कहां थे?

भाटी का बायपास विरोध का यह आन्दोलन कई दिन पूर्व की सूचना के बाद नौ जुलाई को शुरू हुआ जो सात दिन तक चला। 15 जुलाई को राज्य सरकार के हस्तक्षेप के बाद हुए समझौते से आन्दोलन खत्म हो गया। भाटी जैसा चाहते थे समझौता वैसा ही हुआ। सरकार ने मान लिया था कि सरह नथानिया, सुजानदेसर, भीनासर की गोचर में बायपास सड़क के उस हिस्से का निर्माण नहीं होगा जो शहर के चौतरफा रिंग रोड के वृत को पूरा करता है। यह बायपास सड़कें फैलते शहरों के बढ़ते यातायात के दबाव से शहर के अन्दरूनी हिस्से को राहत दिलाने का बड़ा काम करती हैं।

सरकार ने देवीसिंह की बातों को स्वीकार करने में कोई देरी नहीं लगाई। वैसे इन सरकारों को वे आला अफसर चलाते हैं जिनकी ट्रेनिंग ही यह होती है कि शासन-प्रशासन 'स्मूथली' चल सके। इन अफसरों की मानसिकता यही होती है कि ये जिस भी शहर-कस्बे में जाते हैं उससे ज्यादा मोह नहीं पालते। जो हो गया कर दिया-नहीं हुआ तो न सही। अपने शहर बीकानेर में तो इन अफसरों को और भी आसानी है। लोक-दिखावे में कुछ करने की मजबूरी भी हो तो हमारे यहां उसके विरोध में कुछ लोग तो खड़े हो जाते हैं और शेष मूक बने रहते हैं। इससे अफसरों का काम और भी आसान हो जाता है कि उन्हें कुछ नहीं करना पड़ेगा।

शहर में एलिवेटेड रोड का प्लान आया-पूरे शहर के व्यापार-उद्योग की नुमाइंदगी का दावा  करने वाले बीकानेर व्यापार-उद्योग मण्डल ने महात्मा गांधी रोड के कुछ व्यापारियों के नासमझ विरोध में उसे रुकवा दिया। उस व्यापार उद्योग मण्डल से उन दिनों किसी ने नहीं पूछा कि आप पूरे शहर के व्यापार का प्रतिनिधित्व करते हैं या सिर्फ महात्मा गांधी रोड के कुछ व्यापारियों का। अभी हाल ही में पिछले दस से ज्यादा वर्षों से अधूरी पड़ी रिंग रोड को पूरा करने का काम शुरू होना था। देवीसिंह भाटी ने पता नहीं अपने किन स्वार्थों से उसे रुकवा दिया। बहाना गोचर संरक्षण का बनाया-अब भी शहर में कोई नहीं बोला। न वे बी.डी. कल्ला बोले जो शहर के विकास की फेहरिस्त लिए अपने को बीकानेर विकास का भगीरथ स्थापित करने में लगे हैं, न ही अन्य कोई नेता। शायद कल्ला को यह उम्मीद है कि आगामी चुनाव में भाटी की टीम पिछले चुनाव की तरह उनके विरोध में न लगे! बीकानेर पश्चिम के विधायक गोपाल जोशी तो पूरे मनोयोग से भाटी के इस आन्दोलन में साथ थे। शायद उन्हें आगामी चुनाव फिर से लडऩा है और पिछली बार की तरह भाटी का सहयोग भी लेना है। बीकानेर पूर्व की विधायक सिद्धिकुमारी ने कुछ दिन बाद 'शहर के खिलाफ इस आन्दोलन' का केवल पर्चा-समर्थन शायद इस उम्मीद में किया कि अगले विधानसभा चुनावों में भाटी की टीम उनका विरोध पिछले चुनावों की तरह नहीं करेगी।

अब आप ही बतायें कि इस शहर के साथ कौन-सा नेता और कौन-सा जनप्रतिनिधि है? फिर हम इस उलाहने से कभी नहीं चूकते कि बीकानेर प्रदेश के सातों सम्भागों में सबसे पिछड़ा है, यहां जन सुविधाओं के काम नहीं होते। हमारे सभी प्रतिनिधियों में क्या कोई एक भी ऐसा है जो यहां की जन सुविधाओं के लिए कोई दृष्टि रखता हो या कोई योजना बनवाकर काम करवाता हो! ऐसा होना तो दूर की बात है-बिल्ली के भाग से छींका टूटने की तर्ज पर कोई योजना यह अफसर बना भी लें तो उसका विरोध सबसे पहले होता है हमारे यहां।

—दीपचन्द सांखला

28 जुलाई, 2012

No comments: