Monday, July 17, 2023

वेटेनरी आंदोलन

 वेटेनरी विश्वविद्यालय से सम्बन्धित छात्रों के आन्दोलन का आज अठारहवां दिन है, वहीं इस आन्दोलन की प्रतिक्रिया में शुरू हुए आन्दोलन का सोलहवां। लेकिन परसों रात को विवि अनुशासन समिति के अध्यक्ष के घर जो कुछ घटित हुआ वह न तो इस आंदोलन की आंच के लिए उचित है और न ही विवि की साख के लिए। कहने को तो सीधे-सीधे इसके लिए कुलपति विरोध में चल रहे आन्दोलन के नेताओं को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है-और वे हैं भी-उन्हें किसी भी स्थिति में किसी के परिजनों को परेशान करने का कोई हक नहीं बनता है। लेकिन यह आन्दोलन इस भड़ास निकालू निराशा तक पहुंचा ही क्यों-क्या इसके लिए आन्दोलनकारी छात्रों के साथ-विवि के वे छात्र भी जिम्मेदार हैं जो मौन हैं, क्या उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती-या वे छात्र जो कुलपति विरोध के आन्दोलन के साथ हैं क्या उन्हें भी आत्मावलोकन नहीं करना चाहिए कि कहीं वे किन्हीं निहित स्वार्थों की पूर्ति करने के साधन तो नहीं बन रहे हैं-क्या आन्दोलनकारियों के मुद्दे सचमुच खरे हैं जिनके लिए न केवल विवि के शैक्षिक वातावरण को खराब किया जाय बल्कि शहर की कानून व्यवस्था को ही ताक पर लगा दिया जाय। यह भी क्या विवि के छात्रों ने जानने की कोशिश की है कि उनका नेतृत्व करने वालों का अकादमिक रिकार्ड क्या है।

और क्या विवि प्रशासन भी इस आन्दोलन को समझदारी और परिपक्वता से हैन्डिल कर रहा है? विवि प्रशासन से इस तरह की उम्मीद करना गैर वाजिब नहीं है। आन्दोलन की शुरुआत से ही ऐसा कहीं नहीं लगा कि विवि प्रशासन बहुत गहराई और गम्भीरता से इस समस्या को सुलझाने में लगा हो। कभी वह हाऊ-झुझु हुआ दीखता है तो कभी आन्दोलन की प्रतिछाया बनने की कोशिश करता। विभिन्न समूहों की कुलपति से समर्थनीय मुलाकातें और परसों रात की बदमजगी के बाद विवि के अकादमिक स्टाफ की देर रात बीछवाल थाने पर उपस्थिति यही दर्शाती है।

देवीसिंह का जनसुविधा विरोध

दबंग राजनेता देवीसिंह भाटी ने घोषणा की है कि शरह नथानिया, सुजानदेसर और भीनासर की गोचर भूमि में से सड़क निकालने की योजना को यदि बदला नहीं जाता है तो वे 9 जुलाई से धरने पर बैठेंगे। उनका आरोप है कि कुछ कॉलोनाइजरों के लाभ के लिए ऐसा किया जा रहा है। विभिन्न तरह के जितने भी 'पावर' होते हैं वे सब भाटी के पास हैं या भाटी उन्हें मैनेज करने की कुव्वत रखते हैं। इसका प्रमाण भी उन्होंने कई बार दिया है। आबादी बढऩे के साथ ही शहर पसर रहा है, ऐसी स्थिति में जनसुविधाओं के लिए इस तरह की सड़कों और अन्य सुविधा-साधनों के निर्माणों को किसी न किसी तर्क पर रोकना कितना सही है उन्हें विचारना होगा। कभी किन्हीं दबाव समूहों के लाभ के लिए सड़कों के मार्ग और सुविधा केन्द्रों के स्थान बदले जाते हैं तो कभी इन्हीं तर्कों पर इस तरह के कामों को रोका जाता है।

होना तो यह चाहिए कि जितनी गोचर भूमि का सड़क के लिए उपयोग हो उतनी या उससे दुगुनी गोचर से लगती राजस्व भूमि को गोचर के लिए सरकार से आवंटित करवाने की बात हो न कि आम-आवाम की किसी सुविधा को रोकने की।

—दीपचन्द सांखला

28 जून, 2012

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