Thursday, July 27, 2023

'युवा दृष्टि'पर काक-दृष्टि

 युवा कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन का बीकानेर संभागीय सम्मेलन कल सम्पन्न हुआ। घोषित आगंतुक मेहमानों में से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. चन्द्रभान और सूबे के एक मंत्री डॉ. जितेन्द्रसिंह ही आये। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राजस्थान के प्रभारी महामंत्री मुकुल वासनिक को आना था-चूंकि अस्वस्थता के चलते गहलोत नहीं पाए सो वासनिक भी नहीं आये। कहने को राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. बी.डी. कल्ला भी समारोह में थे-लेकिन कल्ला ने अपनी हैसियतघर का जोगी जोगड़ाजैसी ही बना रखी है। राजनीति में कल्ला से कनिष्ठ वीरेन्द्र बेनीवाल धाक और हैसियत दोनों के हिसाब से उनसे आगे निकलते दीख रहे हैं।

इस कार्यक्रम की जिस दिन पुख्तगी हुई या कहें कि की गई (बीकानेर का यह कार्यक्रम पूर्व घोषित सुजानगढ़ और फेफाना के कार्यक्रमों के बीच मिड-वे पड़ाव के रूप में तय किया गया) तभी से आयोजक उत्साहित थे-शुरू में तो अति उत्साह के चलते कार्यक्रम का स्थान खुले में तय किया गया-किशोरीदेवी बालिका विद्यालय में। लेकिन तभी किसी ने चेताया होगा कि चौबेजी छब्बेजी बनने के चक्कर में दुबे जी ही रह जायं। खुले के पंडाल को भरा-पूरा दिखाना जरूरी होता है। ऐसा यदि हो तो ऊपर तक संदेश गलत जाता है। सो समझदारी दिखाकर कार्यक्रम को वेटेनरी सभागार में शिफ्ट कर दिया। वेटेनरी प्रशासन ने सभागार सहजता से या कहें आगूंच हो कर दे भी दिया। देखने वाली बात भविष्य में तब होगी जब भारतीय जनता युवा मोर्चा अपनी जमात के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के ऐसे ही किसीकॉकटेली कार्यक्रमके लिए इस सभागार को मांग ले तो वेटेनरी प्रशासन का क्या रवैया रहेगा। एनएसयूआई और एबीवीपी जैसे छात्र संगठनों के कार्यक्रमों के लिए किसी सरकारी शैक्षिक संस्थान का सभागार मुहैया कराने का तर्क तो समझ में आता है लेकिन युवा कांग्रेस और भाजयुमो जैसे शुद्ध राजनैतिक संगठनों के कार्यक्रमों के लिए इस तरह के स्थान उपलब्ध करवाने की बात कुछ हजम नहीं हो रही है। वेटेनरी प्रशासन ने लीक डाल ही दी है तो उस पर चलने से दूसरों कोे कैसे रोकेगा?

लोक की कहावत में तो ब्राह्मण को भोला बताया गया हैभोळे बामण भेड़ खाई, भळे खावै तो राम दुहाईलेकिन अपने डॉ. चन्द्रभान भी कम भोले नहीं हैं-वे अपने भोलेपन में अकसर ऐसा कुछ कह जाते हैं जिसे आजकल का राजनीतिज्ञ कहने की सावधानी का निर्वहन चाहे कर पाता हो-पर भाषा की चतुराई तो दिखा ही सकता है। अध्यक्ष पद सम्भालने के बाद से डॉ. चन्द्रभान को इस तरह की भाषा चतुराई से च्युत होते कई बार देखा गया है। और हर बार अपने आला औरगालादोनों कमान को बगलें झांकने का स्वांग करने को विवश किया है। आला कमान के मानी तो आम पाठक जानता ही है-मतलब तो गाला कमान का भी जान गये होंगे। नहीं तो हम जनवा देते हैं। पाठकों को यह स्मरण करवा दें कि आला उर्दू का शब्द है जिसके मानी श्रेष्ठ या आदरणीय होता है औरगालाअंग्रेजी का शब्द है जिसका मतलब उत्सव से है। और कहा जा रहा है कि डॉ. चन्द्रभान की यह उत्सवी जिम्मेदारी अशोक गहलोत की बदौलत है। इस तरह चन्द्रभान केगाला कमानअशोक गहलोत नहीं हुए क्या भाई!

खैर, बात मुद्दे पर ले आते हैं। चन्द्रभान यहां कल फिर ऐसा कुछ कह गये जिसमें कांग्रेस में भ्रष्टाचार होने की स्वीकारोक्ति का भाव है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की बात करने वालों को केवल कांग्रेस का ही भ्रष्टाचार दीखता है, भाजपा का नहीं। इस बयान का अन्तर्निहित भाव यही हुआ ना कि भ्रष्ट तो हमारी ही तरह भाजपा भी है, अन्ना-बाबा को उसका भ्रष्टाचार क्यों नहीं दीखता!

दीपचन्द सांखला

24 सितम्बर, 2012


No comments: