Monday, July 24, 2023

सहधर्मी पत्रकारों से

 भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कण्डेय काटजू ने कहा है कि पत्रकार में गुण-दोष के आधार पर विवेचन की क्षमता होनी चाहिए और यह भी कहा कि उन्हें घटना का तार्किक विश्लेषण करना चाहिए। मार्कण्डेय काटजू की पत्रकारों से यह उम्मीद विचारणीय इसलिए है कि पत्रकार होने की इन न्यूनतम योग्यताओं की पत्रकारों से उन्हें उम्मीद ही क्यों करनी पड़ी। क्या सचमुच आज के पत्रकारों में घटनाओं का तार्किक विश्लेषण करने और गुण-दोष के आधार पर विवेचन करने की क्षमता का-अभाव है। काटजू ने तो यह बात अन्ना आन्दोलन के सन्दर्भ से कही लेकिन हम अपने शहर के सन्दर्भ में ही विचारें कह सकते हैं कि ऐसे बहुत से मुद्दे हैं जिनको मीडिया द्वारा उठाने या सुर्खियां दिए जाने से पहले इस तरह से विचार नहीं होता।

सामान्यत: होता यही है कि किसी के भी व्यक्तिगत, जातिगत या समूहगत हितों को कुछ नुकसान पहुंचता है तो वे इकट्ठा होते हैं, विज्ञप्ति बनाते हैं, सम्बन्धित अधिकारी से मिलते हैं, प्रेस फोटोग्राफर को फोटो की जरूरत होती है तो फोटो भी खिंच जाता है, अखबारों को पेज भरना होता है तो खबर लग जाती है। गुंजाइश हो तो फोटो भी लग जाती है। किसी ने कोई अपनी बात कही है तो उसकी सूचनात्मक रिपोर्ट छपे तब तक तो वाजिब है, लेकिन इस तरह के या अन्यान्य मुद्दों को बिना तार्किक विश्लेषण या बिना उनका गुण-दोष जांचे अतिरिक्त सुर्खी देना पत्रकारिता धर्म या कर्तव्य के विपरीत काम करने की श्रेणी में आयेगा। यह भी हो सकता है कि इस पत्रकारीय कर्तव्य की कसौटी पर विचार करने के बाद आप किसी मुद्दे या खबर को सुर्खियां देते हैं और हो सकता है तब भी कइयों की असहमतियां हो। लेकिन तब जिस वैचारिक-तार्किक प्रक्रिया से आप गुजरें हैं उसका आत्मबल आपके पास होगा, अपने तर्क होंगे। कभी यह भी हो सकता है कि किसी मुद्दे पर वैचारिक-तार्किक प्रक्रिया के अपने परिणाम बदलने भी पड़ें। इस बदलाव पर तब आपको ग्लानि नहीं होगी। लेकिन केवल लोकप्रियता के लिए या किसी को सन्तुष्ट करने के लिए या इस रेलमपेल में मात्र धकियाते हुए ही मुद्दा उठाना या सुर्खी देना पत्रकारीय धर्म से च्युत होना ही है और जब धर्मच्युत होकर कुछ कर रहे हैं तो फिर पत्रकारिता ही क्यों करें कुछ और ऐसा क्यों नहीं करें जिनसे प्राप्त होने वाली मैली उपलब्धियां पत्रकारिता से ज्यादा हों।

—दीपचन्द सांखला

7 अगस्त, 2012

No comments: