Friday, July 21, 2023

जनता का विश्वास फिर जीतना होगा

 राज्य के एक आला पुलिस अधिकारी यहां अपराधों की रोकथाम पर जिले के अपने विभाग के अफसरों को भाषण दे रहे थे और इसी दौरान पवनपुरी में ज्वैलर के यहां हथियारबंद लुटेरों ने लूट की घटना को अंजाम दे दिया। इसके 12 घंटे बाद ही कल सुबह तुलसी सर्किल के निकट एक युवक की बुरी तरह पिटाई कर उसके पैर तोड़ दिए गए और फायरिंग भी की गई। ये दोनों घटनायें और जयपुर से आये आला अफसर के दौरे का समय इसकी बानगी ही है कि अपराधियों के हौसले कितने बुलंद होते जा रहे हैं। दिन-दहाड़े और व्यस्त इलाकों में आये दिन होने वाली इन घटनाओं से आम शहरी में असुरक्षा की भावना बढ़ती जा रही है लेकिन पुलिस प्रशासन उनमें विश्वास जगा पाने में नाकारा साबित हो रहा है।

लूट, चोरी और छीना-झपटी की वारदातें तो लगातार बढ़ती जा रही हैं, साथ ही संगठित अपराधों का ग्राफ भी ऊपर जा रहा है। संगठित गिरोहों की आपसी रंजिश के कारण उनमें मारपीट, घातक हथियारों से हमला और हत्या तक की वारदातें हो रही हैं। इन वारदातों को अंजाम देने वाले अपराधी तत्त्वों को पुलिस और कानून का कोई डर दिखाई नहीं देता। इस सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि पुलिस का रवैया ढुल-मुल और प्रशासन अपनी सख्ती खोता जा रहा है।

राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (इन्टेलीजेंस) दलपतसिंह दिनकर ने कल जिले के थाना प्रभारियों और वृत्ताधिकारियों की बैठक में ठीक ही कहा है कि दस-बीस अपराधियों को काबू में करने से यदि जनता में भय खत्म होता है तो ऐसा करने में कठिनाई क्या है। जातिय निकटता अथवा अपने सम्पर्क वाले पुलिस अधिकारी से जांच करवा अपने पक्ष में परिणाम पाने की आकांक्षा में जांच बदलवाने की प्रवृत्ति पर भी दिनकर ने ठीक ही टिप्पणी की। उनका कहना था कि जांच बदलने से तथ्य नहीं बदलते। समान प्रकृति के मामले में यदि जांच अधिकारी दूसरा नतीजा देता है तो पुलिस अधीक्षक इसके जिम्मेदार होंगे। साथ ही ऐसे अधिकारी चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस क्रॉइम मीटिंग और पूर्व में होती रही ऐसी ही मीटिंगों में आला अधिकारियों के दिए दिशा-निर्देशों के एक अंश की भी पालना हो तो अपराध नियंत्रण की दिशा में कुछ तो सफलता मिलेगी ही। पुलिस के लोग सामान्य राजसेवक मात्र नहीं हैं। उनसे समर्पण और निष्पक्षता से काम करने की अपेक्षा रहती है। यदि इसी भावना से वे अपनी ड्यूटी को अंजाम दें तो जनता का विश्वास जीतने में उन्हें कोई समय नहीं लगेगा। आमजन के विश्वास के साथ उनसे दूरियां कम होने से अपराधों की पूर्व सूचनायें मिलने के रास्ते भी खुलेंगे। इससे अपराधों की रोकथाम कारगर तरीके से हो सकेगी।

—दीपचन्द सांखला

31 जुलाई, 2012

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