Friday, July 21, 2023

कोटगेट फाटक पर आर यू बी

 हाजी मकसूद अहमद नगर विकास न्यास के अध्यक्ष हैं। वे अपने कार्यकाल में कुछ ऐसा कर गुजरने की ख्वाहिश रखते हैं कि लोग उनके किये कार्यों की चर्चा लम्बे समय तक करें। लगता है कोटगेट रेलवे क्रॉसिंग पर अण्डरब्रिज बनवाना उनकी महती योजना है। और सचमुच हो भी सकती है यदि सफल हो तो, यानी इस अण्डरब्रिज के बनने के बाद हर मौसम और हर समय बिना किसी अड़चन के आवागमन सुचारु रह सकेगा।

उम्मीद तो हमें यही रखनी चाहिए कि इसके निर्माण से पहले इसकी व्यवहार्यता, साध्यता या जिसे अंग्रेजी में फिजिबलिटी कहते हैं पर पूरी तरह से विचार कर लिया जायेगा। क्योंकि यहां रेल अण्डरब्रिज की साध्यता पर हम पहले भी अपनी शंका जाहिर कर चुके हैं।

अखबारों के वे नियमित पाठक जो दिल्ली के अखबार भी देखते हैं या जिन्होंने टीवी के राष्ट्रीय समाचारों को देखने-सुनने की आदत बना रखी है उन्हें याद होगा कि दिल्ली की हर अच्छी बारिश में एक फोटो या एक विडियो क्लिप सुर्खी पाता है, वह है मिण्टो रोड का रेल अण्डरब्रिज जिसे मिण्टो ब्रिज ही कहा जाता है। अंग्रेजों के जमाने में बना यह ब्रिज कनाट प्लेस को अजमेरी गेट की तरफ के नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से जोड़ता है। देश की राजधानी की नाक कहे जाने वाले कनाट प्लेस के मुहाने के इस मिण्टो ब्रिज की गहराई हर बारिश में २४ से भी ज्यादा घंटों तक बरसाती पानी से लबालब रहती है। इस अण्डरब्रिज की सड़क के दोनों और न तो बाजार है और न ही रिहायशी इलाका। राजधानी का यह मिण्टो अण्डरब्रिज जहां चौबीसों घंटे हर गाड़ी की पूंछ से नाक लगा कर चलती है, गाडिय़ां तब भी वहां की सड़क बरसात में दसियों घण्टों या कभी-कभी सैकड़ों घंटे बंद रह सकती है तो अपने बीकानेर की इस नाक कोटगेट जहां से हर बारिश में परकोटे के भीतरी आधे से ज्यादा शहर का पानी गुजरता है, उसकी निकासी के पुख्ता इंतजाम के बारे में नियंता सोच ही रहे होंगे। ऐसा नहीं है कि दिल्ली के मिण्टो ब्रिज में पानी की निकासी की व्यवस्था नहीं है, लेकिन वहां भी फेल होती है।

हो सकता है सांखला फाटक से शुरू होकर रेलवे स्टेशन के पास से होता हुआ जोड़-बीड़ तक जाने वाले नाले को गहरा कर इस बरसाती पानी की निकासी का एक उपाय सोचा जा रहा होगा, लेकिन इस निकासी को दुरुस्त करने और रखने में कितना खर्च आयेगा उस पर भी विचार होना चाहिए। लेकिन क्या इस निकासी व्यवस्था की बारहों महीना सार-सम्हाल संभव की जा सकती है, जबकि हमारे शहर में तो यह आम आदत है कि साफ-सफाई का फूस तो क्या कमठाणें का छोटा-मोटा कचरा भी इन खुले नालों में डालते हैं।

अलावा इसके कोटगेट के इस प्रस्तावित रेल अण्डरब्रिज की सड़क के दोनों और न केवल आबाद बाजार है बल्कि यह इलाका रिहायशी भी है-और तो और कैंची गली को एक बार छोड़ भी दें तो फड़ बाजार के रेल फाटक के पास की निकासी भी क्या अवरुद्ध नहीं हो जायेगी? व्यापारियों, न्यास और प्रशासन को एक बार पुन: 2007 में आयी उस ऐलिवेटेड रोड की योजना पर विचार करना चाहिए-दोनों रेल फाटकों की समस्या का शत-प्रतिशत समाधान ऐलिवेटेड रोड ही हो सकता है।

—दीपचन्द सांखला

5 जुलाई, 2012

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