Monday, July 17, 2023

जनसंख्या विस्फोट

 राजीव गांधी जनसंख्या और स्वास्थ्य मिशन के सलाहकार पद्मभूषण टीवी एन्टोनी के इस कथन से कि जनसंख्या विस्फोट राष्ट्र की चहुंमुखी प्रगति में बाधक है, कोई भी असहमत नहीं हो सकता। पर मुद्दा यह है कि देश में आबादी बढऩे की तीव्रगति और इससे प्रगति का समुचित लाभ नहीं मिल पाने के हालात से लगातार जूझते रहने के बावजूद परिवार को सीमित रखकर इस स्थिति पर काबू पाने के लिए हम कितने प्रयास कर रहे हैं। कुछ समय पहले तक परिवार को सीमित रखने के सरकारी कार्यक्रमों में थोड़ी-बहुत जनभागीदारी दिखाई देती थी। अब हालत यह है कि सरकारी पहल पर इस उद्देश्य के लिए चलने वाले कार्यक्रमों में सरकारी अमला भी औपचारिकता निभाता सा लगने लगा है।

जिले में जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कल यहां हुई बैठक में तमिलनाडु के मुख्य सचिव रहे एन्टोनी ने उसी राज्य के अनुभवों के आधार पर तुलनात्मक आंकड़े पेश किए और इनके आधार पर राजस्थान में आबादी में वृद्धि की तेज गति की ओर इशारा किया। उनका कहना था कि तमिलनाडु में जन्म दर 16 प्रतिशत है और राजस्थान में यह 26.4 प्रतिशत है। यही अंतर राजस्थान में आबादी बढऩे का सबसे बड़ा कारण है। परिवार को दो बच्चों तक सीमित रखने पर जोर देते हुए एन्टोनी ने इसके लिए नसबंदी जैसे कार्यक्रम प्रभावी ढंग से चलाने की भी सलाह दी।

एन्टोनी के आंकड़ों के बगैर भी देखा जाए तो जनसंख्या वृद्धि की तेजगति ने हमारी सारी योजनाओं को फैल कर दिया है। प्राथमिक स्वास्थ्य, शिक्षा और पीने योग्य पानी की जरूरतें पूरी करने के लिए नित नई योजनाएं बनती हैं पर सुरसा के मुंह की तरह फैलती आबादी इन सेवाओं में बढ़ोतरी को इस तरह निगल लेती है कि हालात पहले से भी खराब दिखाई देने लगते हैं। यही नहीं, बढ़ती आबादी और इसके लिए आवास, जन सुविधाओं और रोजगार के प्रबंध की व्यवस्थाओं के बीच की खाई लगातार चौड़ी होती जा रही है। योजनाकार वर्तमान आबादी को ध्यान में रखकर जो योजनायें बनाते हैं, पूरी होते होते बढ़ती आबादी के रेले में ये औचित्यहीन दिखाई देने लगती हैं।

इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि बढ़ती आबादी हमारे संसाधनों पर जो दबाव बना रही है उससे तभी निबटा जा सकता है जब इसे काबू में लाया जाए। यह केवल सरकारी प्रयासों की औपचारिकता से होना संभव नहीं है। इसके लिए जरूरी है कि आमजन को बढ़ती आबादी के खतरों के प्रति पुन: जागरूक किया जाए। जनसंख्या नियंत्रण के उपायों में आमजन की भागीदारी बढ़ाई जाए। दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ यदि सार्थक प्रयास नहीं किए गए तो जनसंख्या वृद्धि का विस्फोट न केवल हमारी योजनाओं की उपलब्धियों को बेमानी कर देगा वरन् हमारी सामाजिक, आर्थिक व प्रशासनिक व्यवस्था को भी धराशायी कर देगा। बढ़ते अपराध और शनै: शनै: बढ़ रही अराजकता के रूप में हमें इसके संकेत तो मिलने ही लगे हैं, हालात और खराब हो सकते हैं।

—दीपचन्द सांखला

29 जून, 2012

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