Friday, July 21, 2023

हम्माम से बाहर ही आ लिए चिदंबरम

 पिछली सदी के शुरू में महात्मा गांधी जब दक्षिण अफ्रीका से लौट आये तो उन्होंने तय किया कि भारत के बारे में अपनी जानकारियों को पुख्ता करने और शेष अनभिज्ञताओं से भिज्ञ होने को पूरे देश का भ्रमण करेंगे-किया भी-ज्यादातर यात्रा उन्होंने रेलगाड़ी से की और तीसरे दर्जे में की। पाठकों को शायद याद हो कि पिछली सदी के आठवें दशक तक भारतीय रेल में तीसरा दर्जा भी हुआ करता था। गांधी अपनी इस यात्रा से देश को बहुत कुछ जानने-समझने के बाद ही आजादी के आंदोलन में शरीक हुए।

इस घटना का स्मरण कल तब हो आया जब हमारे देश के वित्त और वाणिज्य जैसे मंत्रालयों में मंत्री रह चुके और अब के गृहमंत्री पी चिदम्बरम का यह बयान आया कि लोग पानी की बोतल पर 15 रुपये और आइसक्रीम खाने को 20 रुपये खर्च करते झिझकते नहीं हैं, गेहूं और चावल पर प्रति किलो अगर एक रुपया भी बढ़ा दिया जाय तो उन्हें बर्दाश्त नहीं होता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार हर मुद्दे को मिडिल क्लास के नजरिये से नहीं देख सकती।

यह बयान बहुत चिन्ताजनक है। बावजूद इसके हमारे मीडिया ने इसको ज्यादा चिन्ता के साथ नहीं लिया। आप कल्पना कीजिये कि देश की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों से पूरी तरह नावाकिफ यह व्यक्ति कल को देश का प्रधानमंत्री बन गया तो! वे वाणिज्य, वित्त और गृह जैसे मंत्रालयों को देख चुके और देख रहे हैं। उनकी सोच उस उच्च मध्यम, उच्च और उच्चतम वर्ग तक ही सीमित है जो इस देश की आबादी का कुल जमा पांच प्रतिशत भी नहीं है। चिदम्बरम ने जब यह कहा कि हमेशा मिडिल क्लास के नजरिये से नहीं देखा जा सकता तो लगे हाथ उन्हें यह भी बता देना चाहिए था कि देश की आबादी के आधे से ज्यादा वे लोग जिनके खर्चे का पूरा गणित गेहूं-चावल पर बढ़ा एक रुपया बदल देता है, आबादी के इस बड़े हिस्से  को चिदम्बरम भारतीय नागरिक मानते हैं कि नहीं-क्योंकि उन्होंने जो दो उदाहरण-पानी की बोतल और आइसक्रीम के दिये हैं, इन दोनों की इच्छा भर करना भी इस वर्ग के बूते में नहीं है।

गांधी के एक्शन को संदेश मानें तो उन्होंने आजादी के आन्दोलन में शामिल होने से पहले जो यात्रा देश की की उसका संदेश यही है कि लोकसेवकों-जिन्हें आजकल शालीनता से जनप्रतिनिधि और व्यंग्य में नेता कहा जाने लगा है-को लोक की समझ का सांगोपांग होना जरूरी है। इस तरह की कसौटी पर यह सभी नेता कसे भी जा सकेंगे या नहीं कहना मुश्किल है। लेकिन कल का उक्त बयान देकर चिदम्बरम तो हमाम से बाहर ही आ गये! जबकि सभी के नंगे होने की कहावत का स्थान तो हमाम के अंदर का माना गया है।

दीपचन्द सांखला

11 जुलाई, 2012

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