Friday, July 21, 2023

एस टी सी प्रमाण-पत्रों का मामला

 इसे विडम्बना ही कहा जाएगा कि वर्ष 2007 के बाद एस.टी.सी. की परीक्षा पास कर चुके अभ्यर्थियों के प्रमाण-पत्र महज इसलिए नहीं बन पाये कि इसके लिए शिक्षा विभागीय परीक्षाओं के पंजीयक के पास आवश्यक बजट ही नहीं था। ऐसा भी नहीं है कि पंजीयक ने बजट के लिए कोई कार्रवाई ही नहीं की हो। उन्होंने निदेशक, प्रारंभिक शिक्षा को आवेदन किया और वहां से बजट की यह मांग राज्य सरकार को भेज दी गई जो अब तक स्वीकृत होकर नहीं लौटी। नतीजा यह हुआ कि परीक्षा शुल्क के रूप में हर साल करोड़ों रुपए का राजस्व अर्जित करने वाला यह पंजीयक कार्यालय बजट की मंजूरी के अभाव में पिछले पांच साल में एसटीसी कर चुके परीक्षार्थियों के प्रमाण-पत्र ही नहीं छपवा पाया। 

यह बात शायद आम हो भी नहीं पाती लेकिन पिछले सप्ताह अपने प्रमाण-पत्र लेने पंजीयक कार्यालय पर उमड़ी एसटीसी परीक्षा पास युवाओं की भीड़ के कारण मीडिया का ध्यान इस ओर गया। इतनी बड़ी संख्या में एक साथ युवाओं का पंजीयक कार्यालय पहुंचना इस कारण हुआ कि तृतीय श्रेणी शिक्षक परीक्षा के प्रथम लेवल में उत्तीर्ण एसटीसी योग्यताधारियों को अब अपने प्रमाण पत्र चैक करवाने हैं। निर्धारित तिथि तक ये प्रमाण-पत्र चैक करवाने की बाध्यता के कारण राज्यभर से आए एसटीसी परीक्षा पास परीक्षार्थी एक साथ शिक्षा विभागीय परीक्षाओं के पंजीयक कार्यालय पर पहुंच गए। उन्हें दो दिन बाद बताया गया कि प्रमाण-पत्र तैयार नहीं होने के कारण प्रोविजनल प्रमाण-पत्र दिए पाएंगे, और जो उनके जिलों के डाइट कार्यालयों से प्राप्त होंगे। इसके लिए रविवार को डाइट कार्यालय खुले रहने की सूचना दी गई लेकिन इस दिन बीकानेर डाइट पहुंचे युवाओं को फिर तब निराश होना पड़ा जब कार्यालय बंद मिला। सोमवार से इन प्रोविजनल प्रमाण-पत्रों का वितरण होने की उम्मीद है।

प्रमाण-पत्र वितरण की अव्यवस्थाओं को एक बार नजरंदाज भी कर दिया जाए तो भी बजट के अभाव में पांच साल से प्रमाण-पत्र ही नहीं छपवा पाना प्रशासनिक अव्यवस्था की पराकाष्ठा कहा जा सकता है। इस अवधि में लगभग डेढ़ लाख परीक्षार्थी एसटीसी परीक्षा पास कर चुके हैं और अब वे प्रमाण-पत्र के लिए पंजीयक व डाइट कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं। इस संदर्भ में कई प्रश्न उठते हैं कि प्रमाण-पत्र छपवाने के बजट की मंजूरी के लिए पत्रावली को लटकाये रखने वाले अधिकारी की जिम्मेदारी कौन तय करेगा? यदि बजट की मंजूरी के लिए पंजीयक कार्यालय की पहली पत्रावली का कोई प्रत्युत्तर नहीं मिला तो उन्होंने सिर्फ इंतजार करने के अलावा अपने स्तर पर आगे कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? यदि कोई कार्रवाई हुई भी तो उसका नतीजा क्या रहा?

परीक्षायें आयोजित करवाने के बाद इनके प्रमाण-पत्र तैयार करवाने में ही पांच साल गुजर गए! इस लापरवाही के मामले की विस्तृत जांच करवाकर दोषी लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिये। यह न केवल बड़ी प्रशासनिक लापरवाही है, वरन् उन डेढ़ लाख बेरोजगार युवाओं के साथ भी भद्दा मजाक है जिन्होंने एसटीसी परीक्षा के लिए अपने परिजनों के खून-पसीने की गाढ़ी कमाई खर्च कर प्रशिक्षण लिया है। अब प्रमाण-पत्रों के लिए वर्षों से दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं?

—दीपचन्द सांखला

2 जुलाई, 2012

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