Monday, July 17, 2023

वेटेनरी छात्र आंदोलन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता

 वेटेनरी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों का आंदोलन आज 12वें दिन में प्रवेश कर गया है। परीक्षाओं का भी बहिष्कार किया जा रहा है। विशेष बात यह है कि विद्यार्थियों के दो समूह परस्पर विरोधी मुद्दों को लेकर आंदोलनरत हैं। विश्वविद्यालय से जुड़े छात्र निजी वेटेनरी महाविद्यालयों की मान्यता रद्द करने, कुलपति को हटाने और वेटेनरी काउंसिल ऑफ इण्डिया तथा इण्डियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च से संबंधित कुछ मुद्दों को लेकर यह आंदोलन चला रहे हैं। विश्वविद्यालय से संबंधित छात्र जिन मुद्दों को लेकर आंदोलनरत हैं, ठीक उन्हीं मुद्दों के खिलाफ निजी वेटेनरी महाविद्यालय के छात्रों ने प्रतिक्रिया में अपना आंदोलन शुरू किया है।

यहां यह स्मरण कराना जरूरी है कि लम्बे समय से चल रही मांग और बीकानेर के वेटेनरी महाविद्यालय के तत्कालीन डीन व वर्तमान में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए. के. गहलोत के सतत् प्रयासों तथा स्थानीय मीडिया व जननेताओं के सहयोग का ही नतीजा है कि सरकार को नए वेटेनरी विश्वविद्यालय के लिए बीकानेर के दावे को स्वीकार करना पड़ा और बीकानेर में वेटेनरी विश्वविद्यालय कायम हो सका। वर्तमान आंदोलन अपने शैशवकाल में चल रहे वेटेनरी विश्वविद्यालय की प्रगति में बाधक हो सकता है लेकिन शायद बीकानेर के राजनेताओं को इसका अहसास नहीं हो रहा। पूर्व मंत्री और कोलायत के विधायक देवीसिंह भाटी इसके लिए साधुवाद के पात्र हैं कि उन्होंने छात्र आंदोलन के मुद्दे पर अपनी राय बड़े स्पष्ट शब्दों में जाहिर की है। मोटे तौर से ऐसी ही राय बीकानेर के आमजन की है जो विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ चलाये जा रहे एक छात्रसमूह के आंदोलन से इत्तेफाक नहीं रखती। स्पष्ट ही है कि निजी वेटेरनरी महाविद्यालयों की मान्यता रद्द करने जैसी मांग का कोई समर्थन भी कैसे कर सकता है।

इस सारे प्रकरण में अफसोस की बात यह है कि देवीसिंह भाटी के अलावा बीकानेर जिले अथवा संभाग के जनप्रतिनिधियों ने इस आंदोलन के संदर्भ में अपना कोई स्पष्ट मत व्यक्त करने की जरूरत नहीं समझी। शायद यह मुद्दा उन्हें सीधे-सीधे वोटों से जुड़ा नहीं लगता। यही कारण है कि वे इस मामले में पूरी तरह मौन साधे हुए हैं।

इस मौके पर यह बताना उपयुक्त होगा कि लगभग डेढ़ दशक पहले बीकानेर में शुरू हुआ इंजीनियरिंग कॉलेज भी इसी तरह के छात्र आंदोलन का शिकार होकर एकबारगी तो बंद हो गया था। तब मीडिया ने जनप्रतिनिधियों और सरकार में बैठे हमारे नुमाइंदो की नींद उड़ाई। यह इंजीनियरिंग कॉलेज अगले सत्र में फिर शुरू हो पाया। आज इंजीनियरिंग कॉलेज ऑफ बीकानेर ने प्रदेश के अपने जैसे कॉलेजों में अलग पहचान ही नहीं बनाई बल्कि एक और कॉलेज भी संचालित कर रहा है। बीते वर्षों में दो निजी कॉलेज भी यहां खुल गए हैं। इन सबसे बीकानेर क्षेत्र के लोगों को तकनीकी शिक्षा के अच्छे साधन उपलब्ध हुए हैं। वेटेरनरी विश्वविद्यालय को भी इसी नजरिये से देखा जाना चाहिये। इसकी समुचित प्रगति में उत्पन्न की जा रही बाधाओं के प्रति उदासीनता बरतना आत्मघाती कदम हो सकता है।

—दीपचन्द सांखला

22 जून, 2012

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