Wednesday, August 31, 2022

बीकानेर : स्थापना से आजादी तक-17

 इस आदेश के पहले तक बीकानेर रियासत में गृहमंत्री के कहने पर डाक तार सेंसर करने और आपत्तिजनक पाये जाने पर रोक के आदेश अमल में लाये जा रहे थे। इस आदेश से मूलचन्द पारीक, दाऊदयाल आचार्य को बाहर समाचार भेजने में काफी दिक्कत होती थी लेकिन जैसे-तैसे कहीं-ना-कहीं से वे समाचार पहुंचा ही देते। अंग्रेज हुकूमत के डाक तार रोकने के आदेश के बाद इनकी पौ-बारह हो गयी। छद्म नामों से इधर-उधर से नेहरू के नाम से रोज तार जाने लगे। बीकानेर के गृहमंत्री ने पोस्ट मास्टर को बुलाकर सख्त आदेश भी दिया। लेकिन अंग्रेज हुकूमत के आदेश के आगे उन्होंने मानने से इन्कार कर दिया। वाइसराय की मौजूदगी में बीकानेर से आने वाले तार अपनी अहमियत दिखाने लगे। बीकानेर रियासत में हड़कंप मच गया।

इसी दौरान दाऊदयाल आचार्य को हिरासत में ले एक दिन गिराई (पुलिस लाइन) में रखा। मूलचन्द पारीक चूंकि गुरिल्ला कार्रवाही में लगे थे इसलिए उनके खिलाफ वारंट जारी किया गया, लेकिन वे बच निकले और रियासत से बाहर आसाम, कलकत्ता चले गये और वहां प्रवासी बीकानेरियों को संगठित करने में लग गये। वहां उन्होंने तुलसीराम सरावगी तथा तारानगर निवासी और बीएचयू के विद्यार्थी रहे सीताराम अग्रवाल से मुलाकात की। सीताराम अग्रवाल ने सभी समाचार जानकर बीकानेर के प्रधानमंत्री को लम्बा तार भेजकर हनुमानसिंह और मघाराम के साथ हो रही ज्यादतियां और अन्य कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर चिंता जताई, लेकिन प्रधानमंत्री ने इसका कोई उत्तर नहीं दिया। बीकानेर में गिरफ्तारियां जारी रहीं। मघाराम की 90 वर्षीय माता और छोटा भाई शेराराम, खादी मन्दिर के व्यवस्थापक मेघराज पारीक, नोखा में राज के कर्मचारी कुंजबिहारी आदि को भी गिरफ्तार कर लिया। महाराजा ने दूधवाखारा के किसानों को राहत दिखाने के नाम पर जांच कमीशन बिठाया, इस कमीशन ने भेदभाव करते हुए राजा के खासम-खास सूरजमालसिंह को तो वकील करने की इजाजत दे दी, लेकिन पीडि़त किसानों को वकील करने की इजाजत नहीं दी। हनुमानसिंह चौधरी को भी गोईल की तरह ही लालच दिखाकर तोड़ने की कोशिश की, लेकिन वे भी गोईल की तरह अलग ही मिट्टी के बने थे। 

इसी बीच अनूपगढ़ में नजरबंदी के दौरान गंगादास की हालत चिन्ताजनक हो गयी। खुद अस्वस्थ होते हुए भी पत्नी ने भागदौड़ की, और अनूपगढ़ गयी। पति की हालत देखकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा कि या तो पति गंगादास को छोड़ दिया जाए या मुझे भी बच्चों सहित वहां नजरबन्द कर दें। इसी दौरान गंगादास कौशिक की नजरबंदी को एक वर्ष हो गया। गंगादास को बिना अवधि बताये पैरोल दे दी गयी। हिदायत दी गयी कि अवांछित गतिविधियां में संलग्नता पायी गयी तो पुन: नजरबन्द कर दिये जावोगे। लेकिन गंगादास दूसरी मिट्टी के बने ही नहीं थे। फिर लग गये और दूधवाखारा आन्दोलन की रिपोर्टिंग करने में लगे। उधर गोईल ने लगभग एक माह दिल्ली में बिताकर जयपुर, अजमेर में साथियों से मिलते हुए बीकानेर रियासत के किनारे नागौर की एक धर्मशाला में डेरा डाल लिया। इन सभी यात्राओं की जानकारी सीआईडी के माध्यम से गृहमंत्री के पास लगातार पहुंच रही थी। बीकानेर में गोईल के परिवार को लगातार तंग किया जा रहा था। मूलचन्द पारीक को गोईल के नागौर प्रवास की जानकारी मिलने पर मिलने पहुंच गए और सभी तरह की स्थितियों से अवगत करवाया। गोईल ने आइजीपी को लम्बा पत्र लिखा जिसमें उन्होंने अवगत करवाया कि देश जो करवट ले रहा है, उसे अंग्रेज शासक भी समझने लगे हैं। ऐसे में उम्मीद है कि आपकी रियासत भी इसे समझे। जेल की काल कोठरी में यातनाओं से परेशान होकर वैद्य मघाराम ने 22 जुलाई 1945 . को भूख हड़ताल शुरू कर दी।

6 से 8 अगस्त 1945 . को कश्मीर में मिर्जा अफजल बेग के निवास पर .भा. देशी राज्य लोक परिषद् की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक पं. नेहरू की अध्यक्षता में हुई, जिसमें रियासत के गंगानगर के निर्वासित राव माधोसिंह अहीर ने बीकानेर की स्थितियों से विस्तार से अवगत करवाया। उधर निर्वासित विद्यार्थी नेता दामोदर सिंघल जयपुर, जोधपुर, अजमेर, पिलानी आदि-आदि स्थानों पर घूम कर वहां के विद्यार्थियों को बीकानेर की स्थितियों से अवगत करवा रहे थे।

18 नवम्बर, 1945 . से शुरू मघाराम की भूख हड़ताल पर राज ने आंखें मूंद ही रखी तो 22 नवम्बर को रामनारायण और 23 नवम्बर को किशनगोपाल गुटड़ ने भी काल कोठरियों में भूख हड़ताल शुरू कर दी। 01 दिसम्बर को भूख हड़ताल के तेरहवें दिन तक वैद्य मघाराम की हालत खराब हो गई। इस हाल में भी उनकी पिटाई कर जबरदस्ती माफीनामा लिखवाने की कोशिश की गयी। लेकिन तीनों की भूख हड़ताल जारी रही। 11 दिसम्बर तक वैद्य मघाराम दिन में बार-बार बेहोश होने लगे। अपने सहयोगी धनिये माली के साथ सक्रिय गंगादास सेवक जोधपुर की प्रेस से छपा पेम्पलेट शहर में बांटने और पढ़ाने लगेजिसमें उक्त तीनों सेनानियों की जेल में भूख हड़ताल और उनको दी जा रही यातनाओं की जानकारी थी।

इधर जब शहर के व्यापारियों को पता चला कि इन्कम टैक्स सादुलसिंह पुन: लगाने जा रहे हैं तो वे भी उद्वेलित हो लिये। बीकानेर से लेकर कराची-कलकत्ता तक के व्यापारी विरोध में लिये। क्रमश...

दीपचंद सांखला

1 सितम्बर, 2022