Monday, July 24, 2023

एलिवेटेड रोड पर क्यों न विचारें

 नगर विकास न्यास कोटगेट रेलवे फाटक पर रोड अंडरब्रिज बनाने की तैयारी में जुटा है। अपने व्यापारिक हितों के मद्देनजर उस क्षेत्र के कुछ व्यवसायी इसका विरोध कर रहे हैं। कुछ अंडरब्रिज बनाने के पक्षधर हैं तो अधिकतर राजनेताओं समेत कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अंडरब्रिज के पक्ष या विपक्ष में स्पष्ट राय व्यक्त करने का जोखिम उठाये बगैर रेल फाटक की समस्या के समाधान की बात कहते नजर आते हैं। हालांकि अंडरब्रिज बनाने की योजना तैयार करने वाले नगर विकास न्यास का कहना है कि अंतिम निर्णय से पहले लोगों की राय जानने के और प्रयास किये जाएंगे। पूर्व में भी न्यास अध्यक्ष मकसूद अहमद ऐसी बैठकों में अंडरब्रिज के संबंध में राय जानने का प्रयास कर चुके हैं।

रेल फाटकों की समस्या का त्वरित समाधान हो, इस पर कोई दो राय हो नहीं सकती। पर यह समाधान कुछ व्यापारियों अथवा समूह विशेष के हित को ध्यान में रखते हुए नहीं निकाला जा सकता। ताजा मुद्दा अण्डरब्रिज का है। इस पर मीडिया में भी निरंतर कुछ न कुछ आ ही रहा है। पक्ष और विपक्ष में विचार भी व्यक्त किए जा रहे हैं। 'विनायक' भी पूर्व में अंडरब्रिज के कारगर रहने के मुद्दे पर तकनीकी आधार पर सवाल उठा चुका है कि पानी की निकासी का उपाय क्या होगा। पिछले दो-तीन दिन में हुई वर्षा के दौरान जेल रोड से कोटगेट होते हुए सादुल सर्किल तक नदी का रूप ले चुकी सड़क का नजारा जिसने देखा है वह वहां से बहते पानी और उसकी गहराई के साथ कोटगेट फाटक पर अंडरब्रिज की कल्पना करे तो भयावह तस्वीर सामने आती है। चौबीस घंटों के अंतराल से मात्र एक-डेढ़ इंच की वर्षा में ही कोटगेट का यह हाल है तो सड़क तल से तीन मीटर नीचे अण्डर ब्रिज का क्या हाल होगा? हालांकि अंडरब्रिज के साथ बरसाती पानी के निकास की व्यवस्था की जाएगी। पर क्या ऐसी कोई भी व्यवस्था वर्षा के दौरान कोटगेट से निकलने वाले पानी की निकासी में सक्षम होगी? और यदि नहीं तो अंडरब्रिज में पानी भरने व जन-धन की हानि को कैसे रोका जा सकेगा? फाटकों की तरह पानी भरने पर क्या अंडरब्रिज पूरे पानी की निकासी तक कई घंटों के लिए ठप नहीं हो जाएगा? बरसाती पानी तो कोटगेट के ऊंचे तल के कारण कुछ घंटों में जैसे-तैसे निकल ही जाता है लेकिन अंडरब्रिज बनने पर ऐसा नहीं हो सकेगा। वैसे भी शहर में बरसाती पानी की निकासी की समस्या से ग्रस्त इलाकों का लगातार फैलाव होता जा रहा है। इस समस्या पर यह मुहावरा सटीक बैठता है, 'मर्ज बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों दवा की।' ताज्जुब तो यह है कि तीन दशक पहले एक साथ चार इंच से ज्यादा वर्षा होने पर सूरसागर, पुरानी गिन्नाणी, हनुमान हत्था व कलक्टरी आदि में जल प्लावन के हालात बने थे। अब एक-डेढ़ इंच वर्षा में ही भूतल के हिसाब से सर्वाधिक ऊंचे मुरलीधर व मुक्ताप्रसाद नगर से लेकर सबसे नीची गिन्नाणी के बीच न जाने कितने इलाकों में बरसाती पानी के जमाव की समस्या पैदा होने लगी है।

बात रेल फाटकों की समस्या के समाधान की चल रही है। शहर का तीसरा ओवरब्रिज अस्तित्व में आ रहा है। फिर भी बायपास का मुद्दा बीच-बीच में उठाया जाता रहा है। पर यदि बायपास रेलवे के गिनाये नए तकनीकी व आर्थिक कारणों के कारण बनना संभव नहीं है और ओवरब्रिज भी तीन हो ही जाएंगे तो कोटगेट व स्टेशन रोड फाटकों के लिए पूर्व में प्रस्तावित एलीवेटेड रोड के विकल्प पर विचार करना क्या समीचीन नहीं होगा? समाधान जो भी हो, इसके दूरगामी प्रभावों को विचारें बगैर यदि फैसले लिए गए तो जनहित के बजाय जन-अहित भी हो सकता है।

—दीपचन्द सांखला

16 अगस्त, 2012

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