Thursday, January 3, 2019

पाती डॉ. बीडी कल्ला के नाम


कल्लाजी!
बीकानेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने और फिर राजस्थान के मंत्रिमंडल में वरिष्ठतम मंत्री बनने पर बधाई और शुभकामनाएं। पिछले अड़तीस वर्षों से आप सक्रिय राजनीति कर रहे हैं, जीतने-हारने, सरकार बनने-ना बनने, मंत्री बनने या ना बन पाने के कारणों से आप वाकिफ होंगे। लेकिन बहुत से फीडबैक ऐसे व्यक्तित्वों के पास इसलिए भी नहीं पहुंच पाते कि वे सिर्फ सकारात्मक ही सुनने के आदी हो जाते हैं। क्षमा करना आपको वैसे ही व्यक्तियों में माना जाता रहा है। यही कारण है कि अपने किए-धरे की लम्बी-चौड़ी सूची आपके पास होने के बावजूद तीन चुनाव हारे हैं। अन्यथा ना लें तो यह बताने में भी कोई संकोच नहीं है कि यह चुनाव आपने जीता नहीं, आपके प्रतिद्वंद्वी गोपाल जोशी ने जिस तरह इस बार हारा हुआ मान इसे लड़ा, तभी जीत पाए। जितने कम वोटों का अंतर आप दोनों के बीच रहा है उससे जाहिर होता है कि गोपाल जोशी ने पिछले दोनों चुनाव जिस मुस्तैदी से लड़े, वैसी तैयारी और मंशा से वे चुनाव में उतरते तो आप जीत नहीं पाते।
खैर! अब जीतकर सरकार में अच्छी-खासी स्थिति में आप आ लिए हैं! उम्मीद इसलिए करते है कि आपकी यह पारी उल्लेखनीय बने, अत: कुछ ऐसे काम आप कर जायें कि जनता खुद इसे याद रखे, इसके लिए लम्बे-चौड़े इश्तिहार आपको निकलवाने ना पड़ें।
सबसे पहला और जरूरी काम जिसे प्राथमिकता से आपको करना-करवाना चाहिए, वह है, कोटगेट क्षेत्र की यातायात समस्या का समाधान। चूंकि आप बायपास समाधान की बात करते रहे हैं इसलिए सबसे पहले तो इस पर एक्सरसाइज करना जरूरी है।
यह कोई समय खाऊ काम भी नहीं। राज्य सरकार की ओर से केन्द्र को भेजे गए बायपास के प्रस्ताव के बाद उत्तर-पश्चिम रेलवे, जयपुर के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण) ने रेलवे बोर्ड कार्यकारी निदेशक (वर्क्स) को जो पत्र क्रमांक NWR/SQC/W623/BKN BYPASS भिजवाया है, उसका अध्ययन राज्य के संजीदा और तकनीकी अधिकारियों से करवा लें। उस पत्र से साफ जाहिर होता है कि बायपास प्रस्ताव चूंकि सर्वथा अव्यावहारिक है, इसलिए राज्य सरकार द्वारा पूरा खर्च उठाने के बावजूद उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसमें एक बात ध्यान करने लायक यह है कि रेलवे ने साफ कर दिया है कि बायपास बन भी जाय तो भी बीकानेर, और लालगढ़ जक्शनों के बीच की रेललाइन को हटाया नहीं जायेगा, क्योंकि सवारी गाडिय़ां इसी रेल मार्ग से गुजरेंगी। ऐसे सभी बिन्दुओं के मद्देनजर केवल बायपास पर रेलवे के साथ पत्राचार की कवायद पर पांच वर्ष और जाया करना बीकानेर की जनता के साथ धोखा करना होगा।
अब इसके समाधान के विकल्प की बात कर लेते हैं। 2005-2006 में जो एलिवेटेड रोड योजना भारत सरकार के परिवहन मंत्रालय से सेवानिवृत्त ट्रांसपोर्ट इंजीनियर अजितसिंह की देखरेख में बनी उसमें जिन इंजीनियरों ने सहयोग कियाअशोक खन्ना और हेमन्त नारंग दोनों स्थानीय रहे हैं। तब बनी उस योजना पर इतना ही फेरबदल करने की जरूरत है कि बिना किसी टूट-भांग के उस एलिवेटेड रोड की चौड़ाई जितनी बढ़ाई जा सके उतनी बढ़वा दें। उससे होगा यह कि टूट-भांग से रुष्टों का विरोध नहीं रहेगा। दूसरा, उस योजना में एलिवेटेड रोड का एक हिस्सा चूंकि राजीव गांधी मार्ग पर उतारा जाना था उसे कायम रखा जाए। इससे शहर के अन्दरूनी लोगों की यह शिकायत भी दूर हो जायेगी जिसमें कहा जाता है कि नयी बनी एलिवेटेड रोड योजना में कोटगेट फाटक से हो गुजरने वाले लोगों को कोई लाभ नहीं होना है। इस पर तुरंत काम शुरू किया जाए तो 2023 के चुनावों से पूर्व उद्घाटन संभव किया जा सकेगा। मंशा तो आपकी ही काम करेगी कि कोटगेट क्षेत्र की विकराल होती इस यातायात समस्या का समाधान आपकी प्राथमिकता में है कि नहीं। यदि एलिवेटेड रोड से समाधान की मंशा बनाते हैं तो वसुंधरा सरकार की तरह वित्तीय संसाधन जुटाने मात्र के लिए इसे राष्ट्रीय राजमार्ग का हिस्सा बनाकर एनएचएआई को सौंपने की भूल नहीं करेंमामला कोर्ट में फिर उलझ जायेगा। अभी इस कार्य का बजट इतना नहीं है कि राज्य सरकार वहन नहीं कर सके।
महत्त्वपूर्ण महकमें जो आपके जिम्मे आए हैं, उनसे संबंधित बीकानेर और प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में काम तो आप करेंगे ही-पीएचइडी मंत्रालय से संबंधित बात करें तो विशेष तौर पर बीकानेर के लिए शहरी पेयजल और सिवरेज की व्यवस्था को पुख्ता करना होगा ही अलावा इसके जो एक काम आपको करना चाहिए वह यह कि शहर में रियासतकालीन परम्परागत कई कुएं हैं उनकी सार-संभाल करवाना और बोरिंग होकर जो चालू हो सकते हैं उन्हें करवाया जाए। महबूब अली ने इसी विभाग का मंत्री रहते शहरी पेयजल की समस्या का फौरी समाधान इसी तरह करवाया था। वहीं कुछ कुएं ऐसे भी हैं जिन पर काबिज होकर लोगों ने घर बना लिए हैं, जो पूरी तरह अवैध हैं। इनमें जगमण और केशोराव, दो कुओं की जानकारी तो है बाकी आप पता करवाएं। जो काबिज हैं उन्हें सम्मानजनक तरीके से नगर विकास न्यास और नगर निगम की योजनाओं के भूखण्ड और जरूरी मुआवजा दिलवा उन कुओं को मुक्त करवाया जाना चाहिए। इनमें जो कुएं बन्द हैं और चालू नहीं हो सकते, उन्हें संस्कृति मंत्रालय के अन्तर्गत लेकर संरक्षित किए जाने पर काम हो सकता है। यह आसान इसलिए भी है कि संस्कृति मंत्रालय भी आपके अधीन है।
संस्कृति मंत्रालय की बात चली अत: उससे संबंधित भाषा, कला, साहित्य आदि अकादमियों की बात भी कर लेते हैं। क्या यह संभव नहीं है कि इन अकादमियों का ढांचा दिल्ली स्थित केन्द्रीय साहित्य अकादेमी जैसा कर दिया जाएï? इस अकादेमी का गठन पं. नेहरू की लोकतांत्रिक सूझ-बूझ का बड़ा उदाहरण है। ऐसा संभव नहीं हो तो इनमें अध्यक्ष और अन्य नियुक्तियां जिनकी की जाय वे किसी गुट विशेष के चाहे हों लेकिन संकीर्ण मानसिकता लिए ना हों। उनकी प्राथमिकता में व्यक्ति, विचार आदि ना होकर सृजनात्मकता हो। खासकर बीकानेर स्थिति राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ऐसे लोगों को सौंपी जाए जो ना क्षेत्रीय संकीर्णताओं से ग्रसित हों और ना केवल सृजनात्मक साहित्य ही से। इन वर्षों में देखा गया है कि राजस्थानी भाषा जहां जोधपुर-बीकानेर संभाग तक सिमट गई है वहीं इस संस्था के गठन से लेकर आज तक भाषा और संस्कृति पर खास तो क्या कोई उल्लेखनीय काम भी नहीं हुआ। केवल कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना ही को प्रोत्साहित करना अकादमी ने अपना काम मान लिया है। जबकि राजस्थानी को लेकर भाषा संबंधी कई जरूरी काम बाकी हैं, जिन्हें किए बिना राजस्थानी भाषा की प्रतिष्ठा और भविष्य दोनों ही संभव नहीं है।
इसी संबंध में दूसरी बात यह है कि पूरे राजस्थान को जोड़कर और बराबर का महत्त्व देकर चलने वालों को ही मनोनीत किया जाए तो कुछ सार्थक काम की संभावना बनती है। और यह भी कि ये सभी मनोनयन यदि सरकार के अन्तिम दो वर्षों में करेंगे तो खानापूर्ति ही होगी। मनोनयन के इस काम को सरकार बनने के शुरू के छह महीनों में किए जाने पर ही कुछ सार्थक परिणाम मिल सकते हैं।
कल्लाजी! जैसा कि शुरू में कहा आपको इस कार्यकाल को बहुत महत्त्वपूर्ण मानना चाहिए और कुछ उल्लेखनीय बना जाने की मंशा बनानी चाहिए।
दीपचन्द सांखला
03 जनवरी, 2019

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