Friday, January 11, 2019

पांच राज्यों के चुनाव और चुनाव आयोग (6 मार्च, 2012)

यह टिप्पणी जब आप पढ़ रहे होंगे तब तक लगभग सभी नतीजे भी आपके पास होेंगे! इन चुनावों को मिनी आम चुनाव माना जाता रहा है और इसीलिए टीवी और अखबारों में इन चुनावों को अधिकतम समय और स्थान दिया गया। इन चुनावों में बढ़े उल्लेखनीय मतदान प्रतिशत की भी चर्चा रही। अभी तक इस बढ़े प्रतिशत के हवाई कारणों पर ही विचार ज्यादा होता रहा। लेकिन चुनाव आयोग की ओर से इसके लिए पहली बार जो प्रयास हुए उन को मीडिया की तवज्जोह कम ही मिली, यदि मिलती तो वह सकारात्मक होती। चुनाव आयोग ने इसके लिए पहली बार मतदान पर्चियां अपनी ओर से बंटवाई जो अब तक विभिन्न उम्मीदवारों और पार्टियों की तरफ से बंटती थी। दूसरा, आयोग द्वारा बहुत ही व्यवस्थित रूप से अभियान चला कर मतदाताओं को इसके लिए प्रेरित किया कि उन्हें मतदान अवश्य करना चाहिए। मीडिया ने ये बातें नज़रअन्दाज़ कर दी। इस तरह की खबरें नागरिकों को एक लोकतान्त्रिक देश के नागरिक के रूप में शिक्षित करने का काम भी करती है। पता नहीं क्यों मीडिया अपनी इस जिम्मेदारी से मुँह मोड़े हुए है।
-- दीपचंद सांखला
6 मार्च, 2012

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