Friday, July 14, 2023

शहरवासियों की बढ़ती जरूरतें

 इसी गुरुवार के सम्पादकीय में पैट्रोल मूल्यवृद्धि पर बात करते बताया था कि बीकानेर में औसतन 2700 दुपहिया वाहन और लगभग 350 चौपहिया वाहन प्रतिमाह बिक जाते हैं। शहर फैल भी काफी गया है, तो यह मशीन चलित वाहन कुछ की जरूरत है तो कुछ की सुविधाएं। अधिकांशत: पाया गया है कि इस जरूरत और सुविधाओं के बीच का फर्क बहुत झीना होता है-आप जिसे सुविधा कहें वह अन्य के लिए जरूरत हो सकती है या जिसे आप जरूरत कहें वह किसी अन्य को सुविधा नजर आ सकती है और विलासिता भी। खैर यह मुद्दा लगभग अनिर्णित बहस का है। हम तो बात शहर की जरूरतों की करें। शहर की आबादी लगातार बढ़ रही है, न केवल जन्मदर के चलते बल्कि दूसरे शहरों और आस-पास के गांवों से आकर यहां बसने वालों से भी। आबादी बढ़ती है तो शहर की सड़कों पर आवागमन भी बढ़ता है। और इस स्थिति से निपटने के लिए सड़कों को चौड़ा करने की एक सीमा होती है। अत: इसके विकल्प रूप में या तो मौजूदा सड़कों पर इक तरफा यातायात की व्यवस्था की जा सकती है और अगर इससे भी काम न चले तो फिर नये रास्तों की तलाश की जाती है। इसी के चलते रेलवे स्टेशन के आसपास के इलाकों में यातायात के दबाव को कम करने के लिए राज्य शासन के नगरीय विकास विभाग के विज्ञापन साया हुए हैं। जिसमें रेलवे स्टेशन स्थित पीडब्लूडी डाकबंगले से लेकर रानी बाजार स्थित सूरज सिनेमा सर्किल तक के मार्ग को व्यवस्थित करने के मकसद से भूमि अवाप्ति हेतु सूचना दी गई है। इस तरह की कार्यवाहियों में देखा गया कि विस्थापित लोगों को वैकल्पित स्थान या धनराशि देने का प्रावधान होता है, सामान्यत: यह सब संतुष्टीदायक किया जाता है, वैसे लालच की कोई सीमा होती नहीं है। इस तरह के मसलों पर पूरे शहर की जरूरतों को ध्यान में रख कर ही विचार किया जाना चाहिए।

इस मार्ग को सुचारू बनाने के लिए पिछले कई वर्षों से कवायद चल रही हैं और किसी न किसी बहाने इसमें लगातार देरी होती रही है जिसे उचित नहीं कहा जा सकता।

ऐसे ही स्टेशन के दूसरे प्रवेश द्वार पर भी एक मार्ग डीआरएम ऑफिस की तरफ से आता है। उसे भी सुचारू किया जाना चाहिए-इस मार्ग को चौड़ा किया जा सकता है और डीआरएम ऑफिस के आगे से जहां से यह मार्ग शुरू होता है उस कोने का अधिग्रहण रेलवे से किया जाना चाहिए ताकि इस तिराहे को भी व्यवस्थित किया जा सके। इसकी कवायद शुरू हुई थी लेकिन कहीं अटक गई लगती है। रेलवे अधिकारियों को भी शहर की इस तरह की जरूरतों पर उदारतापूर्वक रवैया अपनाना चाहिए।

हमारे नेताओं को कोटगेट के आस-पास की ट्रैफिक समस्याओं का समाधान एलिवेटेड रोड में जब तक न दिखने लगे तब तक स्टेशन रोड स्थित रेलवे फाटक पर कोयला गली की तरफ डबल बेरियर लगवाने की बहुत जरूरत है जिससे कोयला गली का इकतरफा यातायात सुगमता से स्टेशन रोड की ओर जा सके-इसमें रेलवे को द्वारपाल बढ़ाने की जरूरत नहीं होगी, एक ही व्यक्ति दोनों तरफ के फाटक खोल और बन्द कर सकता है-इस तरह की व्यवस्था रेलवे ने देश में कई जगह कर रखी है।

नेताओं-जन प्रतिनिधियों को भी ऐसी व्यवस्था के लिए रेलवे अधिकारियों से मिल कर प्रयास करने चाहिए। उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि रेलवे बायपास बनने और राधा नाचने में कोई बड़ा अन्तर नहीं है-वो भी तब जब लगभग सभी फाटकों पर या तो वैकल्पिक व्यवस्था (आरओबी) हो चुकी है या निर्माणाधीन है या योजनाधीन है। इस बायपास के मुद्दे से किन्हीं के व्यक्तिगत हित सधते हों तो उसकी बात अलग है।

दीपचन्द सांखला

26 मई, 2012

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