शहर में लूटपाट, हत्या और चोरी जैसी वारदातें लगातार बढ़ती जा रही हैं। इन वारदातों से जनसामान्य में असुरक्षा की भावना भी बढ़ रही है और जनता में विश्वास जगाने के लिए पुलिस प्रशासन कुछ प्रयास करता दिखाई नहीं दे रहा। छोटी-मोटी रंजिश के चलते हत्यायें अब आम होती जा रही हैं। कार-वाहन छीनने की घटनायें भी बढ़ी हैं। साथ ही बड़ी राशि की लूटपाट और चोरियों ने तो लगता है रिकार्ड ही तोड़ दिया है। गुरुवार रात गंगाशहर में एक ज्वैलर के यहां हुई चोरी की घटना में करीब 25 लाख के जेवरात व नकदी चले गए। इससे पहले भी गंगाशहर में ही चोरी व हत्या की वारदातें हो चुकी हैं।
एक व्यवसायी से दिन-दहाड़े हथियारों की नोक पर कार लूटकर ले जाने के मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कल ही नागरिकों के प्रतिनिधिमंडल ने पुलिस अधीक्षक से भेंट कर ज्ञापन दिया और अपनी नाराजगी भी जताई। गंगाशहर में पिछले दिनों हुई चोरी और हत्या की वारदात के बाद वहां के लोगों ने भी पुलिस अधीक्षक से मिलकर इन वारदातों पर नाराजगी जताई थी। इसके बाद कुछ दिन तक गश्त की व्यवस्था की गई। इसके बाद पहले जैसा हाल हो गया। नतीजा यह रहा कि गुरुवार रात फिर चोरी की इतनी बड़ी वारदात हो गई।
जिन इलाकों में पुलिस की रात्रि गश्त व्यवस्था है वह भी औपचारिकता मात्र ही रह गई है। गश्त पर जाने वाले जवान मध्यरात्रि के पहले तक तो घूमते दिखाई देते हैं और इसके बाद किसी बंद दुकान के आगे आराम करते ही मिलते हैं। पुलिस की गश्ती गाड़ी की लाइटें देखकर कुछ मिनट इनमें हलचल दिखाई देती है और बाद में फिर ये आराम की मुद्रा में आ जाते हैं।
चोरियों व अन्य अपराधों की रोकथाम के लिए जरूरी है कि रात्रि गश्त की व्यवस्था को महज औपचारिकता की बजाय चुस्त-दुरुस्त बनाया जाए। साथ ही अपराधियों व चोरी तथा अन्य वारदातों में लिप्त रहे लोगों के तौर-तरीकों आदि के बारे में आंकड़े जमा रखने की पहले से मौजूद व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाया जाए। देर रात तक खुले रहने वाले मयखानों व चाय-पान की दुकानों पर भी अंकुश लगाया जाए ताकि निश्चित समय बाद सड़कों पर आवाजाही नियंत्रित की जा सके। सड़कों के किनारे वाहन खड़े कर मदिरापान करने की प्रवृत्ति भी इन दिनों बढ़ती जा रही है। नशे की अधिकता में भी लड़ाई-झगड़े जैसे अपराध होने की संभावना रहती है।
यह भी प्रयास होना चाहिये कि चोरी-लूटपाट जैसी घटनायें रोकने के लिए अपेक्षित सावधानियों के बारे में पुलिस व जनता के बीच संवाद को प्रभावी बनाया जाए। इन सब उपायों के बाद यह भी जरूरी है कि घटित अपराधों के अनुसंधान में तेजी लाकर दोषी लोगों को शीघ्र पकड़कर सजा दिलाई जाए ताकि इनके हौसले पस्त हों।
—दीपचन्द सांखला
21 जुलाई, 2012
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