Monday, July 17, 2023

सड़कों पर निकलता आमजन का गुस्सा

 पूगल रोड पर कल शाम मामूली रंजिश के चलते शोभासर के एक युवक की उसी के गांव के लोगों ने चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी। बताया जाता है कि गांव की ही एक महिला से छेड़छाड़ का विरोध इस्माइल नामक इस युवक के लिए इतना भारी पड़ गया कि उसकी दखलंदाजी से नाराज लोगों ने उसकी कल शाम हत्या ही कर दी। इसे एक सामान्य हत्या मानकर नजरंदाज नहीं किया जा सकता। लगातार बिगड़ रही कानून और व्यवस्था का ही नतीजा है कि लोग मामूली झगड़ों को लेकर ही हत्या जैसा जघन्य अपराध करने से भी नहीं हिचकिचाते। अपराधी तत्त्वों के हौसले निरंतर बुलंद होते जा रहे हैं और आमजन भय के वातावरण में जीने को मजबूर हो रहा है। अपराध करने के बावजूद पुलिस तंत्र की ढिलाई के चलते पकड़ में ही नहीं आने और यदि पकड़े भी गए तो कुछ ले-देकर मामला कमजोर करवा अंतत: कानूनी शिकंजे से बच निकलने के रास्तों ने भी अपराध बढऩे को हवा दी है।

पहचान होने के बावजूद आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने से नाराज शोभासर गांव के पीड़ित पक्ष के साथ मिलकर लोगों ने बीतीरात पहले पीबीएम अस्पताल की मोर्चरी के बाहर प्रदर्शन किया और बाद में पब्लिक पार्क स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय के समक्ष भी प्रदर्शन किया। घटना के प्रति बढ़ते रोष का ही नतीजा है कि आज मृतक के परिजनों ने दोपहर तक मोर्चरी से इस्माइल का शव नहीं उठाया। हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर पहले पीबीएम अस्पताल में मोर्चरी के बाहर प्रदर्शन किया और बाद में पीबीएम के सामने रास्ता जाम कर दिया। कुछ समय बाद घटना से उद्वेलित लोग म्यूजियम चौराहे पर जमा हो गये और वहां टायर जलाकर व अन्य अवरोध लगाकर इस चौराहे तक पहुंचने वाले सभी रास्तों पर जाम लगा दिया।

हत्या की घटना के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन व रास्ता जाम की घटनायें जल्दी में उठाया गया कदम कहा जा सकता है। क्योंकि पुलिस को भी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अभी चौबीस घंटे भी नहीं मिल पाए हैं। पर इस रोष प्रदर्शन को केवल इस्माइल की हत्या से जोड़कर नहीं देखा जा सकता। नित 'नये अपराधÓ होने तथा आपराधिक तत्त्वों के अपने धन व बाहुबल तथा सत्ता बल के चलते खुले घूमते रहने से उपज रहे असंतोष का ही कारण है कि बगैर किसी प्रचार के शोभासर के लोग तथा उनके समर्थन में शहर के लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आये।

इन हालात में यह जरूरी है कि पुलिस हत्या के दोषी लोगों को शीघ्रता से पकड़कर उन्हें कानून के अनुसार सख्त से सख्त सजा दिलवाये। यही नहीं, कानून और व्यवस्था के बिगड़ते हालात को भी दुरुस्त करने के लिए सख्त कदम उठाये जाएं। अब होने तो यह लगा है कि पुलिस जहां-तहां प्रभावशाली अपराधी तत्त्वों के बचाव में ही लगी ज्यादा दिखाई देती है। पीड़ित पक्ष यदि कोई आमजन है तो उसकी सुनवाई तो दूर एफआईआर तक दर्ज करवाने में उसे पसीना आ जाता है। इन्हीं हालात में लोगों का रोष फूटकर यदा-कदा सड़कों पर आज की तरह ही निकलता है और तब पूरा प्रशासन चौकस नजर आने लगता है। ऐसी स्थितियों के बार-बार बनने से रोकने के लिए जरूरी है कि पुलिस-प्रशासन निष्पक्षता से काम करे और आपराधिक तत्त्वों से सख्ती से निबटे।

—दीपचन्द सांखला

30 जून, 2012

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