लोक में एक कैबत है-सांप-छछूंदर की। छछूंदर चूहे जैसा ही चूहे की प्रजाति का जीव होता है-छूऽऽ-छूऽऽ की ध्वनि निकालता रहता है, इसलिए उसका नाम छछूंदर पड़ा-लेकिन एक ‘गुण’ और पाया जाता है उसमें। उसकी देह से गहरी बू आती रहती है। बू आ रही है और कहें कि गुण है तो भाई छछूंदर की जान तो बू ही बचाती है तब तो गुण ही मानोगे न। सांपों का प्रिय भोजन चूहा प्रजाति के जीव होते हैं। भूखा सांप यदि छछूंदर को निगलने की कोशिश करे तो बदबू के चलते उसे न निगल सकता है और न ही भूख के चलते उगल।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रिमो ममता बनर्जी और हमारे प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह लगभग सांप-छछूंदर की ही स्थिति में हैं-मनमोहन सिंह से ममता अब न निगलते बनती है न उगलते। विकल्प उनके पास दो और भी हैं पर वे दोनों ही नेवले की भूमिका में आते देर नहीं लगाएंगे। यह है संप्रग-दो को आभासी समर्थन देने वाले-मुलायम और मायावती। मनमोहनसिंह के कम बोलने का कारण भी शायद गले में अटका छछूंदर ही हो। छछूंदर को उगल दें तो भूख से मर जायेंगे या नेवलों से दो-दो हाथ करने होंगे और निगलें तो वित्तमंत्री रहते मनमोहनसिंह द्वारा बोई वैश्वीकरण और आर्थिक उदारीकरण की फसल को काट नहीं पाएंगे।
आज देखना है कि सांप-छछूंदर की कहानी से अलग भी कोई भूमिका ममता अपना पाती हैं कि नहीं। शाम तक उन्हें अन्तिम निर्णय जो करना है।
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क्रिकेट की गति और गत!!!
क्रिकेट की गति और गत यह हो जायेगी-तीस साल पहले इसके किसी खैरख्वाह ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। कैरी पैकर ने इस खेल को सर्कस में बदल पैसा कमाने के लिए इस खेल को घुड़दौड़ और खिलाड़ियों को घोड़ा बनाने की असफल कोशिश की थी लेकिन वह खुद सफल भले ही न हो पाए हों पर-हर कहीं धंधा ढूंढ़ लेने वालों को रास्ता जरूर दिखा गये। उसके बाद क्रिकेट के बारे में जिस तरह की खबरें लगातार आती रही हैं उससे इस बात की पुष्टी होती रहती है।
गति की बात करें तो टैस्ट मैच का यह खेल पचास ओवर और पचास से बीस ओवर तक आ गया-रही गत की बात तो खिलाड़ी रन बना-बना और विकेट ले-लेकर जेकपॉट होने की जुगत में लगे हैं-चूंकि वास मनुष्य के शरीर में है तो गुण न सही बेईमानी जरूर ग्रहण करने लगे और पैसों के लिए बळ पड़ती फिक्सिंग से नहीं चूकते हैं।
अभी यह सब इसलिए याद आ गया क्योंकि ट्वेंटी-20 आज से शुरू हो रहे है और इसके प्रचार के लिए टीवी में एकाधिक तरह के विज्ञापन आ रहे हैं। विज्ञापनों के स्थाई मॉडल हैं अभिनेता रणबीर कपूर, नीतूसिंह-ॠषिकपूर का बेटा। हर विज्ञापन में उसे बदतमीजी करते दिखाया जाता है-और विज्ञापन के अन्त में बदतमीजी के औचित्य को यह कह कर सिद्ध करता भी कि यह टी-ट्वेंटी है-न तमीज से खेला जाता है और न तमीज से देखा...
— दीपचन्द सांखला
18 सितम्बर, 2012
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