Monday, July 17, 2023

आपातकाल ंर बीकानेर– 1

 5 जून, 1974 के जेपी के आह्वान के बाद सम्पूर्ण क्रान्ति आन्दोलन पूरे बिहार में फैल गया। बीच-बीच में समय निकाल कर जेपी देश के अन्य राज्यों में अलख जगाने का काम करते। इसी दौरान जब बिहार में आन्दोलन अपने पूरे यौवन पर था तभी 27 अक्टूबर, 1974 को वे बीकानेर भी आये। जननायक मुरलीधर व्यास की रेलवे स्टेशन सम्मुख की मूर्ति का अनावरण करने। उसी दिन दोपहर बाद स्थानीय स्टेडियम में जनसभा आहूत थी-इसकी अध्यक्षता मनीषी डॉ. छगन मोहता ने की। आजादी के टूटते सपने का जिक्र करते हुए जेपी ने भ्रष्टाचार और अव्यवस्था से मुक्ति के लिए स्थानीय युवाओं से सम्पूर्ण क्रान्ति का आह्वान किया।

इसी बीच 1975 का जून महीना आ गया। इस महीने में लगातार कुछ ऐसा घटित हुआ कि देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने अपना आत्मविश्वास पूरी तरह खो दिया। 12 जून को इन्दिरा गांधी के लोकसभा चुनाव के खिलाफ रिट का फैसला आया-चुनाव में सरकारी साधनों के दुरुपयोग के चलते इलाहाबाद हाइकोर्ट ने इन्दिरा गांधी का चुनाव रद्द घोषित कर दिया। 18 जून को गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे आये। गुजरात नवनिर्माण आन्दोलन के चलते वहां कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला। सूबे में जनता मोर्चे की पहली गैर कांग्रेसी सरकार बन गई। 23 जून को जेपी दिल्ली आ गये-गांधी शान्ति प्रतिष्ठान उनकी गतिविधियों का केन्द्र रहा। जून में बनी इन परिस्थितियों पर सभी बड़े व्यक्तित्व और नेता विचार करने जेपी के पास लगातार आते रहे। कांग्रेस के 60-65 सांसदों ने भी चन्द्रशेखर की अगुवाई में जेपी में भरोसा जताया। यह और इस प्रकार की सभी सूचनाएं इन्दिरा गांधी की बेचैनी बढ़ाने के लिए पर्याप्त थीं। इसी बीच 25 जून की शाम दिल्ली के रामलीला मैदान में जेपी की जनसभा आयोजित की गई। सरकार की बौखलाहट देखने लायक थी-तब की राजकपूर की लोकप्रिय फिल्म बॉबी को जनसभा के ऐन समय दिल्ली दूरदर्शन से दिखाने की घोषणा दूरदर्शन प्रसारण पूरे दिन चालू रख कर बार-बार की गई। (तब दूरदर्शन का प्रसारण का सुबह-शाम का समय निश्चित था। बिना राजकपूर की स्वीकृति के जनसभा के समय बॉबी फिल्म दिखाई गई, बावजूद इसके जेपी की इस जनसभा में आए जनसमूह ने इन्दिरा गांधी को पूरी तरह हिला दिया। 25 जून की रात को ही पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे की सलाह पर इन्दिरा गांधी ने देश में आंतरिक आपातस्थिति लागू करना तय कर लिया। 26 जून को तड़के 4 बजे गांधी शान्ति प्रतिष्ठान से जेपी की गिरफ्तारी से शुरू हुआ सिलसिला कई दिनों तक चला। देश में कहीं भी या कोई भी जो इन्दिरा विरोधी था उसे मीसा (आंतरिक सुरक्षा अधिनियम) के अंतर्गत जेल में बंद कर दिया।

26 जून से बीकानेर में भी गिरफ्तारियां शुरू हुईं। बीकानेर से सर्वोदयी सोहनलाल मोदी, समाजवादियों में आर के दास गुप्ता, मक्खन जोशी, देवीदत्त, सम्पत कोचर, नारायण रंगा, आसाराम माली और बिशन मतवाला; माक्र्सवादियों में पूर्णानन्द व्यास, हरिराम चौधरी और रामस्वरूप मांझू, आनन्दमार्गी संन्यासी भविषानन्द और कुछ बाद में पूर्व कांग्रेसी विधायक और मजदूर नेता गोकुलप्रसाद पुरोहित और बाद इसके एकमात्र जनसंघी सोमदत्त श्रीमाली को मीसा के अन्तर्गत बीकानेर जेल में बंद कर दिया गया। श्रीगंगानगर जिले के माक्र्सवादी नेता शोपतसिंह और हेतराम बेनीवाल को भी मीसा में गिरफ्तार कर बीकानेर जेल भिजवा दिया गया।

कुछ अन्य लोगों को जिनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े दाऊदयाल आचार्य और ओम आचार्य जैसे लोग भी शामिल थे, इन्हें डी आई आर (डिफेन्स ऑफ इंडिया रूल्स) के तहत गिरफ्तार किया गया था जिन्हें बाद में विभिन्न कारणों से छोड़ दिया गया।

—दीपचन्द सांखला

26 जून, 2012ै

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