Friday, April 14, 2017

शहर का यातायात, बदहाल स्कूलें और व्यापार उद्योग मण्डल (14 सितम्बर, 2011)

कुछ सरकारी दफ्तर ऐसे हैं जिनसे आम नागरिकों में से किसी किसी का रोजाना साबका पड़ता है। ऐसे दफ्तरों को अपनी पब्लिक फ्रेंडली छवि बनाए रखने के लिए जब-तब जुगत भी करनी होती है। जैसे थानों में नागरिक समितियों का गठन और उनके साथ कभी-कभार बैठकें, इसी तरह की रस्म अदायगी पुलिस का आला-अमला भी करता है।
कल मंगलवार को ही व्यापार उद्योग मण्डल के कार्यालय में पुलिस के आला अफसरों और व्यापारियों की एक बैठक शहर के यातायात को लेकर हुई। व्यापार मण्डल को शिकायत थी कि पुलिस इस तरह की बैठकें तो करती है लेकिन इन बैठकों में हुए निर्णयों और दिये सुझावों-आश्वासनों पर अमल नहीं करती। हर बार की तरह इस बार भी पुलिस ने आश्वस्त किया है कि ठोस कार्यवाही करके यातायात व्यवस्था को सुधारा जायेगा। उम्मीद पर दुनिया कायम है, हो सकता है इस बार उम्मीदें पूरी हों। और नहीं भी हो तो होने वाली ऐसी ही अगली बैठक में उम्मीदें फिर हरी होंगी।
इस बैठक में दो सुझाव ऐसे भी निकल कर आये जिनमें कहा गया है कि स्टेशन रोड स्थित फोर्ट स्कूल का मैदान और कोटगेट के अन्दर स्थित पाबू पाठशाला की खाली पड़ी जमीन पर पार्किंग और स्टैण्ड बना दिये जाय।
पिछले चालीस वर्षों में सरकारी स्कूलों की स्थिति बद से बदतर होती गई हैं। फोर्ट स्कूल के वास्तु का कबाड़ा तो भोंडेपन से निकाले गये राजीव गांधी मार्ग से पहले ही हो चुका है? नेता और नगर विकास न्यास के अभियन्ता और अफसर दक्षता और सौन्दर्यबोध के साथ इस मार्ग को निकालते तो फोर्ट स्कूल भवन की भव्यता नष्ट नहीं होती।
व्यापारियों को अपने हितों से ऊपर उठ कर व्यापक समाज हित में भी कभी विचार करना चाहिए। इस वर्ग से इस तरह की उम्मीद इसलिए भी की जाती है, क्योंकि यह समाज का एक समर्थ और सक्षम हिस्सा है।
होना तो यह चाहिए था कि व्यापारियों को एक बैठक शिक्षा विभाग के साथ करके फोर्ट स्कूल, सादुल स्कूल, सिटी स्कूल, लेडी एल्गिन स्कूल, महारानी स्कूल, पाबू पाठशाला जैसी स्कूलों का पुराना गौरव लौटाने का प्रयास करते। शहर के कई सक्रिय व्यापारी या तो खुद या उनके माता-पिता इन्हीं स्कूलों से शिक्षा पाये होंगे। इन एक-एक स्कूल का सालाना बजट ज्यादातर व्यापारिक प्रतिष्ठानों के वार्षिक टर्नओवर से ज्यादा होगा। इन स्कूलों को दिया जाने वाला बजट कहीं और से नहीं नागरिकों-व्यापारियों द्वारा विभिन्न मदों में सरकार को चुकाये भुगतानों से ही आता है।
स्कूल प्रतिष्ठा के साथ नहीं चल रहे हैं तो उनकी जगह का इस्तेमाल टैक्सी स्टैण्ड, पार्किंग में हो ऐसा सुझाव क्या उचित है?

                                   वर्ष 1 अंक 22, बुधवार, 14 सितम्बर, 2011


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