Thursday, April 27, 2017

स्टीव जॉब्स और भारतीय मध्यम वर्ग (07 अक्टूबर, 2011)

सीरियाई पिता और अमेरिकन मां के पुत्र स्टीव जॉब्स अपनी 18 वर्ष की उम्र में ही अमेरिकन संस्कृति से उकता कर भारत गये। यहां के एक आश्रम में कुछ समय रहे। कहते हैं कि वे भारत की गरीबी और भीड़भाड़ से भी जल्दी ही उकता गये और लौट गये। सामान्य शिष्टाचार के नाते खाली लौटना उन्हें उचित नहीं लगा होगा तो यहां सिर मुंडवाया और बौद्ध होकर गये।
स्टीव की भारत से उकताहट का नतीजा दुनिया के तमाम निम्न मध्यम और मध्यम वर्ग (भारतीय हिसाब से) को आज तक भुगतना पड़ रहा है। क्योंकि स्टीव की तकनीक और उत्पाद दुनिया के इस वर्ग के लिए हमेशा दूर की कौड़ी ही बने रहे। चाहे मेकन्तोश कम्प्यूटर हो और आईपॉड, आईफोन और आईपेड टैबलेट। ये उत्पाद अपनी कीमतों और विपणन नीति के चलते दुनिया के अधिकतम नागरिकों के लिए कभी सुलभ नहीं हो पाये। स्टीव इसे संभव कर सकते थे, आईबीएम इसका उदाहरण है। आईबीएम अपनी व्यापारिक नीति में यदि इतना उदार नहीं होता तो क्या कम्प्यूटर और उससे जुड़ी सुविधाओं का उपयोग दुनिया की ठीक-ठाक आबादी, आज जितना कर रही है, नहीं कर पाती।

फिर भी स्टीव ने जितनों के लिए भी किया उल्लेखनीय है। जितने उल्लेख की पात्रता वे रखते हैं भारतीय टी वी और अखबारों ने तो उससे ज्यादा ही रेखांकित किया है।

                                           वर्ष 1 अंक 42, शुक्रवार, 07 अक्टूबर, 2011

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