Thursday, December 6, 2018

नगर विकास न्यास और नगर निगम के मसाणिया बैराग (15 फरवरी, 2012)

करणी औद्योगिक क्षेत्र में हाल ही में एक हादसा हुआ। इस हादसे में एक जान चली गई। रीको के अधिकारियों ने यह कह कर किनारे होने की कोशिश की कि बिना इजाजत के यह निर्माण हो रहा था। रीको के अधिकारी क्या यह बता पायेंगे कि उनके द्वारा विकसित क्षेत्रों में अब तक हुए निर्माणों में से आधे निर्माण भी क्या बाकायदा इजाजत और पारित नक्शों के आधार पर हुए हैं? रीको ही क्यों, नगर निगम, नगर विकास न्यास भी पिछले दो-तीन दशकों से इस प्रक्रिया के प्रति घोर गैर जिम्मेदार हैं। अलबत्ता पहले तो ॠण या अन्य किसी औपचारिकता के लिए इजाजत तामीर की जरूरत ना हो तो निर्माणपूर्व यह इजाजत ली ही नहीं जाती है। इजाजत यदि ले भी ली गई है तो पारित नक्शे के अनुसार ही सबकुछ हो रहा है यह सब जांचने-परखने की कोई प्रक्रिया उक्त विभागों में या तो तय नहीं है और यदि तय भी है तो इस तरह की सक्रियता कभी देखी नहीं गईं। कभी कोई किसी खुली या गोपनीय शिकायत के आधार पर या किसी दबाव से सक्रियता दिखाई भी जाती है तो दाबा-चिंथी का प्रभावी दौर शुरू हो जाता है।
इन दिनों शहर में एक लोभ और शुरू हो गया। पिछले एक अरसे से बने और बन रहे भवनों का निर्माण पट्टे की तयशुदा जमीन से चार इंच से लेकर दो-तीन फुट तक सड़क गली की जगह तक मय हेकड़ी बढ़ाने का प्रचलन सा हो गया है। करणी औद्योगिक क्षेत्र में हुए हादसे के बाद इसे मसाणियां बैराग कहें या अखबारी दबाव में दिया बयान? न्यास और निगम दोनों के ही अधिकारियों ने अभियान चला कर सावचेती बरतने का आश्वासन दिया है। इस तरह की चौकसी अभियान की निरंतरता तो क्या शुरुआत भी कर पायेंगे वे? पुलिस महकमे के साथ-साथ यह दो विभाग भी हैं जहां सर्वाधिक दाबा-चिंथी चलती है। न्यास की नाक कही जाने वाली सभी कॉलोनियां न केवल अवैध निर्माणों की शिकार हैं बल्कि रिहायशी भूखंडों पर व्यावसायिक निर्माण हो कर व्यावसायिक गतिविधियां भी धड़ल्ले से चल रही हैं। निगम और न्यास का ध्यान क्या इस ओर भी जायेगा!
-- दीपचंद सांखला
15 फरवरी, 2012

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