Wednesday, December 26, 2018

डॉ. बीडी कल्ला का अलाप (25 फरवरी, 2012)

उत्तर-पश्चिम रेलवे के मण्डल महाप्रबन्धक अपने रूटीन दौरे पर कल बीकानेर में थे। कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष, प्रदेश में कांग्रेसी सरकार की संभावनाओं के समय मुख्यमंत्री पद के संभावितों की सूची में शामिल, शहर विधानसभा सीट से पांच बार नुमाइंदगी कर चुके और कैबिनेट मंत्री के दर्जे के साथ वर्तमान में राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ बीडी कल्ला रेल बायपास के मुद्दे पर महाप्रबन्धक से मिलने गये। अब हम उनकी इस मुलाकात पर यह कहावत लागू करें कि ‘बींद के मुंह से लाळ पड़ै तो बेचारे बाराती क्या करें’, तो कई इसे अतिशयोक्ति कह सकते हैं। डॉ कल्ला जिस पारिवारिक माहौल से आये हैं उसके चलते हम यह कहें कि उन्हें सुर-बेसुर का ज्ञान नहीं है तो इसे अतिशयोक्ति जरूर कहा जाएगा। इस मुलाकात का उल्लेखनीय यह है कि रेल बायपास के नाम पर सुर्खी बटोरू समूहों के बेसुर को आलाप देने में लगे हैं तो संदेह और संशय, दोनों खड़े होते हैं। डॉ कल्ला ने क्या कभी गंभीरता से विचार किया है कि शहर के रेल फाटकों का व्यावहारिक समाधान रेल बायपास ही है?
मण्डल रेल महाप्रबंधक ने कोटगेट रेल फाटक की जगह अन्डर ब्रिज के लिए रेलवे की  सहमति जताई है। यह तो हुआ रेलवे का पक्ष कि उनके हिसाब से यह व्यावहारिक है। उन्हें ना तो शहर के जोगराफिया से मतलब है न सांस्कृतिक धरोहर से। लगभग सवा आठ फुट से भी कम ऊंचाई का यह अन्डर ब्रिज शहर के हृदय स्थल कोटगेट जहां पर थोड़ी-सी बारिश होने पर एक-डेढ़ फुट पानी बहने लगता है, क्या व्यावहारिक होगा? शहर की नुमाइंदगी के तथाकथित सभी ठेकेदारों को अपने स्वार्थों से अलग हटकर शहर के व्यापक हित में सोचने का थोड़ा समय तो निकालना चाहिए।
--दीपचंद सांखला
25 फरवरी, 2012

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