Tuesday, June 9, 2015

रेलवे की सुविधाओं पर यूं भी

भारतीय रेलवे अपनी सेवाओं को यात्री-अनुकूल बनाने में प्रयासरत है। जाहिर है रेलवे की इससे जहां आय बढ़ेगी वहीं यात्रियों को भी कुछ सुविधाएं हासिल होंगी। रेलवे ही क्यों हमारे देश के सभी सरकारी महकमे लकीर के फकीर हैं। ऐसे कई सारे नियम कायदे हैं जिनमें थोड़ा-सा फेरबदल कर दिया जाए तो सेवाएं और उपभोक्ता दोनों की अनुकूलताएं बढ़ जायेंगी। लालूप्रसाद यादव जब रेलमंत्री थे, मंत्रालय का डंका उन्होंने ही बजवाया। रेलवे में तब रेक (डब्बों) और पावर (इंजन) के खड़े रहने के अन्तराल को उसी स्टेशन से जुड़े मार्गों पर काम लिया जाने लगा। लालूप्रसाद ने एक अति जरूर करवाई कि थ्री टिअर शयनयान के गलियारे की दो सीटों के बीच जो सीट डाली वह लालच का ही परिणाम था, जिसे बाद में वापस भी लेना पड़ा।
रेलवे को अपने इस सेवा सुधार युग में टू टिअर शयनयान डब्बों की गलियारे वाली सीटों का किराया तृतीय श्रेणी शयनयान के बराबर ही लेना शुरू कर देना चाहिए। इन श्रेणियों में सफर करने वाले और रेल प्रबंधन खुद भी जानते होंगे कि टू टिअर शयनयान के गलियारों की सीट पर यात्रा करने वालों को थ्री टिअर शयनयान के गलियारों की सीट पर यात्रा करने वाले यात्रियों से अतिरिक्त सुविधा कुछ भी नहीं मिलती। ऐसे में ये वसूली अतिरिक्त ही मानी जाती है।
रेलवे ने हाल ही में सामान्य श्रेणी के यात्रियों के लिए न्यूनतम पन्द्रह रुपये देकर दिन में शयनयान के डब्बों और कुर्सीयान डब्बों की खाली सीटों पर बैठने की सुविधा दी है, यह उल्लेखनीय है। इससे जहां बिना आरक्षण यात्रा करने वालों को सुविधा रहेगी वहीं रेलवे को अतिरिक्त आमदनी भी होगी। कुछ ही माह पहले रेलवे ने एक और उल्लेखनीय सुविधा दी वह यह कि किन्हीं कारणों से बिना टिकट चढऩे को मजबूर यात्री रोडवेज की बसों की तरह रेलगाड़ी में भी टिकट निरीक्षक से टिकट बनवा सकते हैं। ऐसा अकसर होता है कि कई कारणों से यात्री टिकट नहीं ले पाते, जिनमें खिड़की पर लम्बी लाइन या समय का अभाव मुख्य होते हैं, ऐसे सभी यात्री लाभान्वित होंगे।
बढ़ते यात्री भार के चलते रेलवे को यह निर्णय भी करना चाहिए कि जिन गाडिय़ों में ज्यादा यात्री चलते हैं और सीटें और शायिकाएं नहीं मिलती उन गाडिय़ों में डबलडेकर चेयरकार की ही तरह डबलडेकर शयनयान और डबलडेकर टू टिअर शयनयान जैसी नई श्रेणिया शुरू करने के लिए डब्बों का आकल्पन करवाए। इन डब्बों में यात्रियों को शयनयान श्रेणी और थ्री टिअर वाली सुविधाएं रेलवे लगभग दे सकता है। इन नए आकल्पित डब्बों के माध्यम से रेल लगभग पचास प्रतिशत अतिरिक्त यात्री ढो सकेगी। अन्दाजा लगाएं कि डबलडेकर की इन नई श्रेणियों से जहां प्रतीक्षारत यात्रियों को भारी राहत हासिल होगी वहीं रेलवे को मौजूदा संसाधनों में ही अतिरिक्त आय होने लगेगी।
रेलवे को अपने डब्बों और प्लेटफार्म के हर कोने को कैमरे की जद में लाना चाहिए। इससे फायदा यह होगा कि ऊपर की कमाई का लालच रखने वाले टिकट निरीक्षकों और अटैंडेंटों पर अंकुश लगेगा। इन कैमरों से अतिरिक्त सुविधा यह भी हासिल की जा सकती है कि साफ-सफाई का निरीक्षण भी इनके माध्यम से हो सकेगा। इस तरह थोड़ी मुस्तैदी रहे और रेलकर्मी अपनी ड्यूटी के प्रति ईमानदार हो जाए तो कम से कम यह महकमा सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की सेवाओं में जनता का भरोसा वापस ला सकता है जो बाजार के इस युग में बहुत जरूरी है। बाजारवाद में पिसना उपभोक्ता को ही है जिसे नजरअन्दाज नहीं करना चाहिए।

9 मई, 2015

No comments: