Monday, November 11, 2013

नन्दू महाराज का जाना

जमीन की राजनीति करके अपने राजनीतिक कॅरिअर की शुरुआत करने वाले पूर्व भाजपा विधायक नन्दलाल व्यास (नन्दू महाराज) का देहान्त परसों लम्बी बीमारी के बाद हो गया। इस चुनावी माहौल में उनकी कमी कुछ ज्यादा ही खलेगी। इसी वर्ष आठ मार्च के अपने सम्पादकीय में किए गये महाराज के व्यक्तित्व के उल्लेख कोविनायकउन्हें श्रद्धाञ्जलि स्वरूप पुन: प्रकाशित कर रहा है-
जैसा कि उनका स्वभाव है कि वह दबंग, न्यायाधीश, प्रशासक और कोतवाल, इन सभी भूमिकाओं में तुरंत जाते हैं... स्वयं नन्दू महाराज, उनके समर्थकों और प्रशंसकों का मानना है कि इसके बिना कोई ताबे ही नहीं आता! नन्दू महाराज के इसी व्यवहार के चलते उन्हें नोटिस भी किया जाता है और सम्बन्धित पक्ष घबराता और सहमता भी है।
राजनीति का पेशा बिना परफार्मिंग आर्ट (प्रदर्शन कला) की पुट के अधूरा माना गया है। सो, व्यावहारिक राजनीति करने वाले सभी अपने-अपने स्वभाव, क्षमता और अनुकूलताओं के हिसाब से अलग-अलग भूमिकाओं में होते हैं। नन्दू महाराज को यही मुफीद लगा और इसी के चलते वह सब बौद्धिक-अबौद्धिक, चल-अचल उन्होंने हासिल किया है जिसके बूते ही वे आज इस हैसियत में हैं।

11 नवम्बर, 2013

No comments: