Friday, November 15, 2013

बाड़े बदले जाने के मायने

प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टियोंकांग्रेस और भाजपाके टिकट बंटवारे का काम के पूरा होते ही असंतुष्ट और बागी जैसे शब्द कमोबेश सभी जिलों से सुनाई देने लगे हैं। जिले में इसकी शुरुआत पहले पूर्व भाजपाई गोविन्द मेघवाल को कांग्रेस ने खाजूवाला से टिकट देकर और बाद में असंतुष्ट भाजपाई नेता गोपाल गहलोत को बीकानेर (पूर्व) से अपना उम्मीदवार घोषित करके कर दी। जैसा कि होता आया है इस तरह के निर्णयों के बाद किन्हीं का जमीर जाग जाता है तो किन्हीं के अहम् को चोट पहुंचती है। पिछले चुनाव में भाजपा के ऐसे ही निर्णय से आहत गोविन्द मेघवाल ने तभी बगावत कर दी तो गोपाल गहलोत ने अपनी उस नाराजगी को दबाए रखा। हालांकि भाजपा ने महापौर के चुनाव मेंसामान्य बारीके बावजूद ओबीसी के गोपाल गहलोत को उतार कर डेमेज कन्ट्रोल की कोशिश की थी लेकिन गोपाल गहलोत के हारने के बाद उनका आरोप था कि शहर के दोनों भाजपाई विधायकों ने सहयोग करना तो दूर उलटे परोक्ष-अपरोक्ष रूप से विरोधी उम्मीदवार को सहयोग किया।
भारतीय मतदाता के एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक के रूप में पूरी तरह शिक्षित ना होने के बावजूद अब वह स्थितियां नहीं हैं। बहुत कम ऐसे नेता होंगे जिनके अन्दरखाने कहे से वोट किसी को दिये और ना दिए जाते हों हां, खुल्लम-खुल्ला किसी के पक्ष में जाने पर जरूर कुछ सौ या अधिक से अधिक कुछ हजार तक वोट किसी के साथ जरूर जा सकते हैं। खैर इस चुनावी राजनीति में इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप चलते रहेंगे और चुनाव संपन्न हो जाएंगे। फिर कुछ नेता गांठे बांध कर अपने-अपने धंधों के लिए राजनीतिक लाभ उठाने की जुगत में लग जाएंगे। आम आदमी की पीड़ा और उसकी जरूरतों का खयाल रखने वाला नेता कम से कम इस जिले में तो नजर नहीं रहा है।
गोपाल गहलोत को कांग्रेसी टिकट मिलने के बाद से ही ऐसी चर्चाएं आम हैं कि शहर जिला भाजपा के तब के अध्यक्ष शशि शर्मा सहित कार्यकारिणी के सदस्यों ने वर्तमान दोनों विधायक गोपाल जोशी और सिद्धीकुमारी को फिर से उम्मीदवार बनाने की अपील प्रदेश इकाई को की थी और इस उल्लेख के पत्र को सार्वजनिक करने पर पार्टी ने पूरी शहर इकाई को ही भंग कर दिया था। उक्त पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में अध्यक्ष रहे शशि शर्मा सहित कइयों के कांग्रेस में जाने की चर्चा गोपाल गहलोत को कांग्रेसी टिकट मिलने के साथ ही शुरू हो गई थी। यह कयास लगाये जा रहे थे कि इनमें से अधिकांश 19 को होने वाली राहुल गांधी की सभा में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करेंगे। इसी बीच कल पांच कांग्रेसी जिनमें एक वे सलीम भाटी भी शामिल हैं जिन्हें कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी में सचिव का पद मिला हुआ था और दूसरे श्याम तंवर हैं जो देहात इकाई में प्रवक्ता पद हासिल किए हुए थे। बाड़े बदल चुके और बदलने को आतुर इन दोनों ही पार्टियों के ऐसे नेताओं और उपनेताओं की फेहरिस्त पर नजर डालें तो लगता है इनमें से सभीमॉस लीडरकी हैसियत को हासिल नहीं हैं। शशि शर्मा और उनकी टीम अधिकांश को अब तक जो भी हासिल हुआ वह गोपाल गहलोत के कारण ही हुआ है। दोनों ही पार्टियों के ऐसे सभी नेताओं में ऐसा कोई नहीं है जिनके कहने मात्र से कुछ हजार तो क्या कुछ सौ वोट भी इधर से उधर हो लें। हां, इनमें कुछ ऐसे जरूर हैं कि वे खुद अपने लिए वोट मांगे तो ये कुछ हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा भी इनमें से अधिकांश का राजनीति करते रहना मजबूरी इसलिए भी है कि इस राजनीति के बूते ही ये अपने धंधे-पानी को चलाए और बनाए रख पा रहे हैं।

15 नवम्बर, 2013

No comments: