Saturday, July 20, 2013

बीकानेर की वैश्विक साख पर बट्टा

अन्य अनेक शहरों की तरह आत्ममुग्धता से प्रभावित बीकानेर के भी लोग अपने शहर को अनोखा, निराला, छोटी काशी, धर्मनगरी आदि-आदि विशेषणों से अलंकृत करते नहीं थकते, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग इस भाव के ठीक विपरीत कुछ ऐसा करने से भी बाज नहीं आते जिससे इसकी साख पर बट्टा लगे।
यौनिक कुण्ठाओं को निकालने और सहलाने का एक बड़ा माध्यम आजकल इण्टरनेट और उसमें संचालित सोशल साइट्स हो गई हैं। फेसबुक, वाट्सएप और ट्यूटर पर ऐसे हजारों आइडी और पेज धड़ल्ले से बनाए और देखे जा सकते हैं। अलावा इसके गुगल की यू-ट्यूब पर ऐसे ही ऑडियो-विडियो क्लिप्स की भरमार है। इलेक्ट्रोनिक्स मीडिया की खुलकर हो रही इसतरक्कीमें कुछ भी ढका या बन्द रह पाएगा कहना मुश्किल है। लेकिन इन क्लिप्स को भ्रमित करने वाले शीर्षक देने और किसी को बदनाम करने के लिए ऑडियो-विडियो में कारीगरी करने की छूट देने की मनःस्थिति में भारतीय समाज फिलहाल तो नहीं दिखता है।
पिछले सात माह से यू-ट्यूब परहनीसिंह बीकानेर प्रवचननाम से एक ऑडियो सक्रिय है, इसे सुनेंगे तो स्क्रीन पर साधु-संतनुमा कुछ लोगों के चित्र आते रहते हैं। अना मारिया के नाम से डाली गई करीब सात मिनट की इस ऑडियो क्लिप को कथाशैली में रिकार्ड किया गया है। रिकार्डिंग चलताऊ नहीं है। लगता है, बाकायदा इसे किसी साऊण्ड प्रूफ स्टूडियो में रिकार्ड किया गया और कथावाचनों के नेपथ्य से चलने वाला संगीत भी बजता रहता है। इस क्लिप को अब तक अट्ठाइस हजार से ज्यादा लोग विजिट कर चुके हैं। फीटे या कहें अश्लील क्रियाओं के वर्णन यौनांग नामों के पीछे देव और देवी लगा कर किया गया है।
अन्य कई शहरों-कस्बों की तरह बीकानेर में भी होली त्यौहार के महीने फाल्गुन (फागण) को यौन कुण्ठाओं से मुक्तिमास की मौन सामाजिक मान्यता मिली हुई है। लेकिन उसमें भी कुछ मर्यादाओं का खयाल तो रखा ही जाता है।
यू-ट्यूब की उक्त उल्लेखित शीर्षकहनीसिंह बीकानेर प्रवचनना केवल भ्रमित करने वाला है बल्कि आपत्तिजनक भी है। हनीसिंह फीटे बोल के अपने गानों के लिए कुख्यात है, मोटी रकम लेकर कार्यक्रम देता है, अभी हाल ही में उसके गुड़गांव कार्यक्रम में पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी। ऐसी खबर है कि अपनी कुख्याति की कीमत उसने हाल ही में पिचहत्तर लाख रुपये वसूली है, किसी फिल्म के एक गाने की रिकार्डिंग के लिए यह राशि ली गई। उक्त उल्लेखित क्लिप में संभवतः हनीसिंह नाम का उल्लेख उसके फीटेपणे की कुख्याति को भुनाने के लिए तोबीकानेर प्रवचनउसमें शायद इसलिए जोड़ा गया हो कि बीकानेर और धार्मिक प्रवचनों में रुचि रखने वाले भी श्रोता के रूप में मिल जाए।
विनायक का इस क्लिप पर ध्यान कल तब गया जब परदेश में रहने वाले एक गैर बीकानेरी विद्वान के सन्दर्भ से कुछ जानकारियां चाही गईं और इसी दौरान इस क्लिप का उल्लेख गया। बीकानेर में रुचि रखने वाले ऐसे कई लोग इन सोशल साइट्स पर प्रतिकूल सामग्री मिलने पर अच्छा महसूस नहीं करते होंगे। इस तरह की वारदातें ना केवल साइबर अपराध में आती हैं बल्कि नैतिक और सांस्कृतिक अपराध में भी गिना जा सकता है। पुलिस महकमा कोई कार्रवाही करेगा इसमें सन्देह है लेकिन गाहे-बगाहे नैतिक-सांस्कृतिक मूल्यों की झण्डाबरदारी करने वालों को भी कोई तकलीफ होगी? हां, उन्हें यदि लग जाए कि इसी बहाने कुछ सुर्खिया मिल जाएगी तो जरूर सक्रिय होंगे।
रही बात इन सोशल साइट्स को चलाने वालों की तो उन्हें इस तरह की क्लिपों से प्रचार ही मिलता है- वे केवल उन्हीं आपत्तियों पर कार्रवाई करते दिखते हैं जिससे किसी व्यक्ति विशेष को व्यक्तिगत ठेस पहुँच सकती है। बाकि आपत्तियों-रिपोर्टों पर वे दिमाग तो क्या आंख-कान भी नहीं लगाते।

20 जुलाई,  2013

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