Thursday, July 3, 2014

सनी लियोनी, हनीसिंह और नरेन्द्र मोदी

मौका लगते ही एक जुमला सुनने को मिल ही जाता है- 'बदनाम हुए तो क्या हुआ नाम तो हुआ' इस जुमले को सुनते यही एहसास होता है कि इसी बहाने वह अपने को तसल्ली दे रहा है। देशीय फलक पर देखें तो यह जुमला अब केवल तसल्ली का नहीं रह गया, बहुत कुछ हासिल करने की युक्ति भी बन गया है।
यों तो वैदिक से लेकर पौराणिक काल में रावण, दुर्योधन, शकुनि जैसों का उल्लेख सुनते रहते हैं, नकारात्मक सन्दर्भों और 'बुरे परिणामों' के साथ। वैदिक काल में इन्द्र की प्रतिष्ठा थी, अनादर अब भी नहीं है, लेकिन इस तथाकथित नैतिक और चारित्रिक युग में उनका स्मरण अनादर से नहीं किया जाता।
इस समय में या कहें इस इक्कीसवीं शताब्दी के शुरू में तीन व्यक्तियों ने करतूती सुर्खियां पानी शुरू की और 2012-13 तक इन तीनों ने ही राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अच्छी खासी पहचान बना ली। ये तीन नाम हैं-फिल्म अभिनेत्री सनी लियोनी उर्फ करनजीत कौर वोहरा, गायक यो यो हनीसिंह उर्फ हृदेशसिंह और नरेन्द्र दामोदरदास मोदी उर्फ नरेन्द्र मोदी। जायज तर्क के साथ इन तीनों की एक साथ तुलना पर बहुतों को एतराज हो सकता है कि नरेन्द्र मोदी की प्रसिद्धि के सामने सनी लियोनी और हनीसिंह की प्रसिद्धि कुछ नहीं और यह भी कि मोदी के साथ यह ज्यादती है। इन दोनों ही दलीलों से सहमत हूं। पर मकसद इन तीनों की तुलना नहीं, यह बताना है कि समय की तासीर बदल रही है और बदनामी के साथ हासिल मुकाम का उपयोग शीर्ष को हासिल करने के लिए किया जाने लगा है।
चौंतीस वर्षीय सनी लियोनी अमेरिका जा बसे हिमाचल मूल के सिक्ख दम्पती की बेटी है। सदी के शुरू में सनी ने अश्लील (पोर्न) फिल्मों से अपना कॅरिअर शुरू क्रिया और दुनिया की दस शीर्ष पोर्न स्टार में अपने को शामिल करवा कर खूब बदनाम भी हुई। पिछले दो-तीन वर्षों से सनी ने अपने देश की ओर रुख किया और हिन्दी फिल्मों में उस उम्र में नाम कमाया जिसे हिन्दी फिल्मों में सेवानिवृत्ति की उम्र माना जाता है।
दिल्ली में जन्मे और इंग्लैण्ड से संगीत में शिक्षित पंजाबी यो यो हनीसिंह दिसम्बर, 2012 के निर्भया कांड के बाद तब चर्चा में आए जब उन पर आरोप लगा कि उनके अश्लील गाने सुनकर लोग उत्तेजित होकर बलात्कार जैसी घटनाओं के लिए दुष्प्रेरित होते हैं। उस दौर में हनीसिंह यू ट्यूब पर देखे-सुने जाने वालों के सिरमौर होने को थे। हनीसिंह ने इस बदनामी से अपने को यह कह कर अलग करने की कोशिश की कि मेरे वीडियो (चलचित्र) पर अश्लील ऑडियो (आवाज) डालकर मुझे बदनाम किया गया। इस तरह शुचिता, नैतिकता और चारित्रिकता के भारत में सनी लियोनी और हनीसिंह ने समान प्रतिष्ठा पायी और आज टीवी पर संगीत और फिल्मी चैनलों को देखें तो ये दोनों छाए रहते हैं। टीआरपी (टेलीविजन रेटिंग पॉइण्ट) यह बताता है कि टीवी पर उन्हें ही दिखाया जाता है जिन्हें दर्शक देखना चाहते हैं।
इस समय अधिकांश को असहज करते हुए बात अब नरेन्द्र मोदी की कर लेते हैं। मोदी भी 2002-03 के उसी  काल में बदनाम होने शुरू हुए जब सनी लियोनी और हनीसिंह बदनाम होने लगे थे और देश पर छा जाने (2012-13) का काल भी इन तीनों का लगभग समान है। गोधरा विभीषिका के बाद गुजरात में समूहविशेष के साथ आयोजित हिंसा के बाद मोदी इतने बदनाम हुए कि उन्हीं की पार्टी के शीर्ष नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री को उन्हें 'राजधर्म' का स्मरण करवाना पड़ा। इन आरोपों से बचने के तरीकों की केवल लम्बी फेहरिस्त है बल्कि फर्जी एनकाउण्टरों की तो गुजरात में जैसे झड़ी ही लग गई थी। इन सबमें मोदी को दोषी ठहराया जाता रहा, आरोपित हुए लेकिन हाल-फिलहाल तक उन्होंने अपने को एक में भी अपराधी साबित नहीं होने दिया। 2012-13 के साल में या कहें गुजरात में तीसरी बार मुख्यमंत्री चुने जाने के बाद से उनकी पार्टी के अधिकांश नेता और कार्यकर्ता उनमें नायक की छवि देखने लगे और मोदी इसके लिए तत्पर भी थे। सितम्बर, 2013 में शुरू किए गये 'प्रधानमंत्री बनो' अभियान को इस तरह आयोजित और अंजाम दिया कि 1984 के बाद एक पार्टी के पूर्ण बहुमत के साथ बने पहले प्रधानमंत्री हैं। चुनाव अभियान के दौरान भी भ्रमित और मिथ्या कथनों की बात को लेकर वे कम बदनाम नहीं हुए।
सनी लियोनी, हनीसिंह के साथ मोदी का जिक्र करने पर एतराज जता सकने वालों से कन्नी काटते हुए यह चिन्ता जाहिर करना जरूरी लगता है कि क्या अब किसी क्षेत्र में शीर्ष तक पहुंचने के लिए बदनाम सीढिय़ों का सहारा लिया जाने लगेगा? स्थानीय स्तर पर इस तरह की बदनाम प्रतिष्ठाएं एक अरसे से कांग्रेस भी करती रही है लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा दुस्साहस वह अभी तक नहीं कर पायी थी। ये सब इसलिए जेह्न में आया जब केन्द्र में नई सरकार बनने के बाद से गुजरात के ही 'बदनाम' अमित शाह को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की चल रही बातों के बाद कल गृह मंत्रालय ने उन्हें जेड-प्लस की सुरक्षा मुहैया करवा दी है।

3 जुलाई 2014

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