Saturday, July 19, 2014

श्रद्धा-भक्ति की आड़ में करतूतें

'विनायक' इसी कालम में एक से अधिक बार अपना मंतव्य जाहिर कर चुका है कि आस्था श्रद्धा निहायत ऐसे व्यक्तिगत मसले हैं जिन्हें तब तक चुनौती नहीं दी जानी चाहिए कि जब तक वह किसी अन्य की व्यक्तिगत स्वतंत्रता, निष्ठा और आस्था में बाधक बने।
आसाराम नाम के प्रवचनकार और उनके बेटे नारायण दुष्कर्म के आरोपी हैं और लम्बे समय से न्यायिक हिरासत में हैं। इन बाप-बेटों और इन दोनों पर लगे आरोपों में सहयोगी रहे कई अन्य भी अन्दर हैं। आसाराम को जब गिरफ्तार किया गया- कहा जा रहा है तबसे उनके लोग उनमें आस्था रखने वाले कई श्रद्धालु हर उस व्यक्ति को येन-केन प्रभावित करने की कोशिश में लगे हैं जिनकी वजह से आसराम और नारायण पर लगे आरोपों की पुष्टि होने की संभावना है। ये लोग इसके लिए लाखों-करोड़ों नकदी के प्रलोभन देने और पांव पकडऩे से लेकर गला दबाने तक को तत्पर हैं। कल ही कुछ लोग जोधपुर के उस होटल के कमरे तक पहुंचने में कामयाब हो गये जहां शाजापुर (मध्यप्रदेश) से आए दुष्कर्म पीडि़ता नाबालिग के माता-पिता ठहरे हुए हैं। इतना ही नहीं आसाराम भक्तों ने तैश में आकर दम्पती को ऊंची आवाज में जान से मारने की धमकी तक दे डाली। यह दम्पती जोधपुर न्यायालय में चल रहे आसाराम के मुकदमे में जिरह के लिए आए हुए थे।
इससे पहले ऐसे समाचार थे कि कुछ लोग शाजापुर में पर्याप्त सुरक्षा में रह रहे इस दम्पती और उनकी पीडि़ता पुत्री को प्रभावित करने और डराने-धमकाने की कई बार कोशिश कर चुके हैं।
अभी कुछ समय पूर्व उस अमृत प्रजापति का निधन हो गया जिसे आसाराम के कथित भक्तों ने गोलियों से घायल इसलिए कर दिया था कि पूर्व में आसाराम की सेवा में रह चुके इस वैद्य ने कुछ ऐसी बातें जाहिर कीं जिनसे आसाराम की मुश्किलें बढ़ी हैं।
कहते हैं आसाराम और उनके ट्रस्टों के पास स्याह-सफेद अकूत सम्पत्ति है। श्रद्धालुओं के चढ़ावे और ब्याज की आमदनी से इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही थी। आसाराम और नारायण पर आरोप हैं कि वे अपने भक्तों की इस तर्कातीत श्रद्धा की आड़ में अपनी यौन कुंठाओं को पोसते हुए नाबालिग किशोर-किशोरियों के साथ प्राकृतिक-अप्राकृतिक यौनाचार में लिप्त थे। अपनी इन कुंठाओं को पोसने के लिए वे श्रद्धा का शोषण करने और सभी तरह के प्रलोभनों को काम में लेते रहे हैं।
उक्त सब के बावजूद पीडि़त परिवार फिलहाल तक अपनी श्रद्धा के साथ घटे धोखे को पुष्ट करने के लिए अडिग है तो दूसरी ओर इस सब के बाद भी आसाराम के शेष बचे कुछ भक्त केवल अपनी श्रद्धा में अडिग हैं बल्कि इसे जाहिर करने के लिए हिंसक, हास्यास्पद और खर्चीली करतूतें करने से भी बाज नहीं आते। प्रमाण, सबूत और साक्ष्य फिलहाल तक आसाराम के खिलाफ पाए गए हैं तभी तमाम कोशिशों के बावजूद बाप-बेटे की जमानत तक नहीं हो पायी है।
आसाराम को यह मुगालता भी था कि केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनते ही उन्हें छोड़ दिया जायेगा। तभी मोदी की शपथ से दो दिन पूर्व न्यायालय जाते आसाराम ने बड़े आत्मविश्वास से खुद चलाकर कहा कि बस दो दिन की बात और है। उस बात को भी दो माह बीत चुके हैं। आरोपों में थोड़ी भी चलनी होती और पीडि़त परिवार हिम्मत हार जाता तो आसाराम और नारायण जैसे लोग अपनी प्रतिष्ठा फिर से प्राप्त करने में देर नहीं लगाते। ये बाप-बेटे ही क्यों, कई अन्य प्रवचनकार और धर्मगुरु इसी श्रद्धा-भक्ति के नाम पर अपनी विभिन्न कुंठाओं और लालच लालसाओं को पोस रहे हैं। इतनी सावचेती की जरूरत तो है कि आपके साथ भी वैसा ही कुछ हो जिसे शाजापुर का उक्त परिवार भुगत रहा है। समाज में यह सावचेती बढ़ेगी तो फिर साहस करने वाले पीडि़ता के परिजनों जैसे लोग हतोत्साहित नहीं होंगे, वहीं आसाराम और उनके ये भक्त न्याय प्रक्रिया का सम्मान करेंगे और कल जैसी करतूतें करने का दुस्साहस नहीं करेंगे।

19 जुलाई, 2014

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