Tuesday, October 29, 2013

पटना की घटना के बहाने

गांधी मैदान, पटना में नरेन्द्र मोदी की सभा की शुरुआत में सात बम धमाके हुए। पूरे बिहार और आसपास से आए और जुटाए गये लोगों में से छह की मौत और सौ से ज्यादा घायल हो गये। मोदी की सभाओं और आयोजनों में इस तरह की आशंकाएं बनी रहती हैं। कहते हैं इंटेलीजेंसी ब्यूरो ने समय रहते चेता दिया था पर बिहार सरकार इससे इनकार करती है। ऐसे आपसी विवाद तब जल्दी सुर्खी पा लेते हैं जब केन्द्र और प्रभावित राज्य में अलग-अलग दल की सरकार हो। मरने वाले चले गये और घायल अपनी प्रतिकूलताओं को कोस रहे होंगे। सरकार कुछ मुआवजा देकर अपने कर्तव्य का निर्वहन मान लेगी। प्रभावित परिजन अनुकूलताएं ना बनने तक अपने दुर्भाग्य की दुहाई देते जैसे-तैसे जिन्दगी गुजारने के जतन में लग जाएंगे।
आगामी लोकसभा चुनावों में राजग ने आंकड़ा हासिल किया तो नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री हो जाएंगे और सप्रंग ने हासिल कर लिया तो राहुल या किसी मनमोहनसिंह को थरप दिया जाएगा। दोनों ही कुछ खास हासिल ना कर पाएं तो कोई चन्द्रशेखर, इन्द्रकुमार गुजराल या एचडी देवगौड़ा जैसे इतिहास में दर्ज होने भर को लगेंगे।
पटना जैसी घटनाएं और नहीं होगी इसकी कोई गारंटी देश इन परिस्थितियों में नहीं दे सकता। कुल जमा कुर्सी हासिल करने की मंशाओं के चलते इस तरह की घटनाओं की गुंजाइश बनी रहती है। जनता द्वारा चुनी हुई सरकारें होने भर को लोकतंत्र माने तो लोकतंत्र है अन्यथा वोट जिस तरह से लिए और दिए जाते हैं उसको जानते-समझते लोकतंत्र नहीं कह सकते। अधिकांश मतदाता अपने लिए सरकार चुनने की बजाय, किसी की बात रखने, किसी को राजी करने, अपने किसी उल्लू के सीधे होने की उम्मीद और तत्कालिक लाभ हासिल होने की हवस में वोट देते हैं।विनायककई बार कह चुका है और फिर कहने से भी नहीं चूक रहा है कि देश के नागरिकों में एक लोकतांत्रिक देश का नागरिक होने की समझ का पैदा होना जरूरी है। उनमें उनके वोट की ताकत पहचानने और वोट को सर्वजन हित साधने का साधन समझने के विवेक की जरूरत है। तकलीफ के साथ लिखना पड़ रहा है कि इस तरह के व्यापक स्तरीय शिक्षण के काम में लगा ना कोई समूह नजर रहा है और ना ही कोई संगठन।
देश को इस अराजक उजाड़ से सचमुच उबारने की इच्छा रखने वालों को किसी पार्टी या उम्मीदवार में लिप्तता की बजाय गहन विचार और कार्ययोजना के साथ संलग्न होने की जरूरत है। जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक 1984, 2002, संसद पर हमला, 26/11 और पटना जैसी घटनाएं होती रहेंगी और घोर स्वार्थी लोग सीधे-सादे लोगों का इस तरह दुरुपयोग करने से नहीं चूकेंगे।

29 अक्टूबर, 2013

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