Saturday, June 1, 2013

बीकानेर की सातों सीटें : किनके भरोसे निश्चिंत हैं गहलोत!

हो सकता है कल मुख्यमंत्री बीकानेर जिले में हों, संभावना है कि वे कोलायत तहसील में कुछ गांवों के उद्घाटनी दौरे पर आएं। विनायक ने अपने 16 अप्रैल के सम्पादकीय में जैसा बताया था कि आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर जिले की सातों सीटों पर कांग्रेस की स्थिति आश्वस्त करने जैसे नहीं है, वैसी सी स्थितियां अब भी हैं। उक्त संपादकीय गहलोत की संभावित बीकानेर यात्रा के अवसर पर लिखा गया था। उन्हें 17 मई को बीकानेर-पुरी एक्सप्रेस को हरी झण्डी दिखा रवाना करना था। अतिव्यस्तता के चलते इस कार्यक्रम में वे नहीं पाए थे। आशंकाएं ऐसी ही अब भी हैं, क्योंकि गहलोत की व्यस्तता पिछले एक अरसे से तिगुनी हो गई है। सरकार चलाने तथा फ्लैगशिप और लोककल्याणकारी योजनाओं की निगरानी जैसी प्रशासनिक जिम्मेदारी के साथ-साथ सिर पर गये चुनावों को देखते हुए पार्टी संगठन की जिम्मेदारी भी गहलोत पर ही आन पड़ी है। पार्टी के मुखिया डॉ चन्द्रभान तो लगभग मिट्टी के माधो की ही भूमिका में देखे जा रहे हैं। वे ऐसे हैं तब ही इस पद पर हैं, इससे ज्यादा हैसियत का पार्टी अध्यक्ष सरकार के रहते चल भी नहीं सकता।
वसुन्धरा की सुराज यात्रा के जवाब में कांग्रेस की सन्देश यात्रा का सारा दारमदार खुद मुख्यमंत्री पर ही है। ऐसी व्यस्तताओं के चलते हो सकता है मुख्यमंत्री कल फिर नहीं पाएं! लेकिन उक्त उल्लेखित संपादकीय मेंविनायकने विस्तार से सातों सीटों का तलपट रखकर आशंका जता दी थी कि गहलोत ने इस जिले को किनके भरोसे छोड़ रखा है। कहने को तो यहां पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व मंत्री और मौके का आभास होते ही मुख्यमंत्री पद की दावेदारी करने से ना चूकने वाले डॉ बीडी कल्ला भी हैं तो भारी भरकम पोर्टफोलियो के साथ गृहराज्यमंत्री वीरेन्द्र बेनीवाल भी। अपने स्वभाव के चलते क्षेत्र के चुनौतीहीन नेता होने से चूके रामेश्वर डूडी भी यहीं के हैं। लेकिन इन तीनों की जद्दोजेहद अपने-अपने चुनाव क्षेत्र की सीमा लांघने में असमर्थ है। पिछला चुनाव डॉ. बीडी कल्ला और रामेश्वर डूडी दोनों हार गये थे तो वीरेन्द्र बेनीवाल की जीत का श्रेय खुद से ज्यादा प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी को है, जिसने समझौते के तहत यह सीट इनलोद को दे दी थी, भाजपा शायद यह गलती ना दोहराए।
रामेश्वर डूडी को नोखा से टिकट पार्टी दे देगी इससे वे खुद ही आश्वस्त नहीं हैं। पार्टी कन्हैयालाल झंवर को टिकट देगी तो रामेश्वर डूडी के भरसक प्रयास रहेंगे कि उनकी खुद की पार्टी वहां से ना जीत पाए, और हो सकता है वे इसमें सफल भी हो जाएं। डॉ. कल्ला की स्थिति कोई ज्यादा सुधरी नहीं लगती, बिसात पिछले चुनाव सी बिछे तो आगामी चुनाव में ज्यादा से ज्यादा कल्ला की हार का अन्तर कम हो सकता है। कोलायत और बीकानेर पूर्व में कांग्रेस के पास वर्तमान विधायकों की जोड़ का कोई उम्मीदवार ही नहीं है। श्रीडूंगरगढ़ में भाजपा में लौटे पूर्व विधायक और वर्तमान नगरपालिका अध्यक्ष किसनाराम नाई कांग्रेस विधायक मंगलाराम को लगातार चौथी बार विधानसभा में पहुंचने देंगे, इसमें पूरा सन्देह है। खाजूवाला की बात करें तो भाजपा-विद्रोही गोविन्दराम मेघवाल की पिछले दिनों गहलोत की अकेले में हुई बातचीत में क्या सिटपिट बनी ये तो वे दोनों ही बता सकते हैं, लेकिन फिलहाल कांग्रेस के पास ऐसा कोई नाम नहीं जो खाजूवाला सीट को निकाल ले जाए। कहने का कुछ भाव यही है कि बीकानेर जिले को कुछ अतिरिक्त समय देकर गहलाेत को खुद ही देखना होगा अन्यथा वर्तमान की दो सीटें भी हाथ से जा सकती हैं।

1 जून, 2013

No comments: