Thursday, July 12, 2018

बीकानेर व्यापार उद्योग मण्डल : असल कौनसा है, तय हो गया


जिले के उद्यमियों की प्रतिनिधि संस्था बीकानेर व्यापार उद्योग मंडल के चिर-प्रतीक्षित चुनाव आखिर 8 जुलाई 2018 को हो ही गये। कुल 325 मतदाताओं में से 278 ने मतदान में भाग लेकर इन चुनावों को ना केवल असल बल्कि आधिकारिक निर्वाचन भी साबित कर दिया। वैसे किसी संस्था का चुनाव 85.54 प्रतिशत मतदान के  साथ हो तो उसे असल साबित करने को किसी अन्य सबूत की जरूरत नहीं होती।

इससे पूर्व इस संगठन के आधिकारिक चुनाव 27 जनवरी, 2009 को हुए थे। शहर के उद्यमियों ने तब बड़े भरोसे के साथ शहर में सर्वाधिक प्रतिष्ठ माने जाने वाले व्यवसायी शिवरतन अग्रवाल को यह मानकर अध्यक्ष चुना था कि वे व्यक्तिगत एषणाओं से उठकर संगठन को व्यवस्थित करने का काम करेंगे। लेकिन इस संगठन के इतिहास में वे संभवतः सर्वाधिक नकारात्मक अध्यक्ष साबित हुए। संस्था संविधान के  हिसाब से प्रति दो वर्ष में नई कार्यकारिणी चुनी जानी चाहिए।  हलांकि जनवरी 2009 से पूर्व भी निर्वाचन समय पर नहीं होते थे। लेकिन उम्मीद थी कि शिवरतन अग्रवाल 26 जनवरी, 2011 से पूर्व चुनाव करवा देंगे, लेकिन इस जिम्मेदारी में वे अपने पूर्ववर्तियों से भी ज्यादा गैर-जिम्मेदार निकले।

हां, 3 दिसम्बर, 2011 को उन्होंने इस्तीफा देने का ढोंग जरूर किया, ढोंग कहना अनर्गल इसलिए नहीं है कि उसके  बाद से वे हाल तक पद से चिपके रहे। पद पर चिपके  नौ वर्ष बीतते ना बीतते कुछ ग्लानि होने लगी होगी, शायद इसीलिए 19 जून, 2018 को पुलिस की मदद से माहेश्वरी भवन में चुनाव के नाम पर कोथली में गुड़ फोड़ा गया। कई तरह से संदिग्ध इस चुनाव को स्थान भी संदिग्ध बनाता है। मण्डल के  अपने कार्यालय में सभा-गोष्ठी जैसे कार्यों के लिए ठीक-ठाक आकार का हॉल बना है, जो चुनाव करने-कराने वालों के ही कब्जे में है तो दूसरे भवन में चुनाव करवाने की जरूरत समझ से परे है। अलावा इसके 19 जून के उस चुनाव में मण्डल के उन्हीं मतदाताओं को अन्दर जाने दिया जो कोथली में गुड़ फोड़ने वालों के भरोसे के थे, शेष को पुलिस की मदद से रोका गया। हो सकता है जहां मण्डल का भवन है, उस क्षेत्र के थाने विशेष ने सेवाएं उपलब्ध करवाने से इनकार कर दिया हो तो जहां सुविधा मिली वहां चुनाव करवा लिए।

मण्डल के निवर्तमान पूर्व अध्यक्ष शिवरतन अग्रवाल ने 9 वर्षों से ज्यादा समय तक अपनी इच्छाएं और अपने 'सरकिटों' के लालच अच्छे से पूरे कर लिए होंगे तभी उन्हें बैटन दूसरों को पकड़वाने की सूझी होगी। 

बावजूद इस सब के  शहर में शिवरतन अग्रवाल की प्रतिष्ठा अभी भी है, उसी का खयाल रखते हुए सज्जनता से उन्हें ना केवल तत्संबंधी सभी मुकदमें वापस ले लेने चाहिए बल्कि भवन तथा अन्य जरूरी दस्तावेज 8 जुलाई के  चुनावों में चुने गये अध्यक्ष तथा उनके द्वारा कार्यकारिणी घोषित करने के बाद बनी नई टीम के सुपुर्द कर देने चाहिए। प्रतिष्ठा ऐसी तुच्छताओं से बहुत बड़ी होती है।

संरक्षक मण्डल और नई कार्यकारिणी के दायित्व
अब तक जो हो लिया उसे छोड़ें लेकिन अब इसकी पुख्ता व्यवस्था करें कि संस्था में इस तरह की परिस्थितियों की पुनरावृत्ति ना हो। जिन 85 से ज्यादा प्रतिशत सदस्यों ने संरक्षक परिषद् के माध्यम से 8 जुलाई के चुनाव में नये अध्यक्ष में विश्वास जताया है, वे इस भरोसे को मान देवें।

संरक्षक परिषद और नई कारिकारणी का दायित्व है कि सबसे पहले मण्डल के विधान की विसंगतियों को दूर करने के लिए गहन विचार-विमर्श के बाद उसमें व्यापक संशोधन कर संविधान को पुन: पारित करवाएं। फिर उसके अनुरूप ना केवल संरक्षक परिषद् बल्कि कार्यकारिणी के आगामी चुनाव भी समयावधि में करवाना सुनिश्चित करें। यह देखना मण्डल का ही दायित्व है कि मण्डल से संबद्ध विभिन्न व्यापार संघों के चुनाव भी उनके  अपने विधान के अनुसार तय समयावधि में हो रहे हैं या नहीं। इसके  लिए मण्डल ऐसे सभी संबद्ध संघों के विधान अपने यहां फाइल करवाएंं बल्कि एक ऐसा दीवार चार्ट बना कर अपने कार्यालय में लगवाएंं, जिसमें प्रत्येक संघ की चुनावी तारीखें और प्रक्रिया की सूचना हर आगन्तुक देख सके। मण्डल अपनी यह जिम्मेदारी भी तय करे कि संबद्ध व्यापारिक संघों को उनके चुनाव की तारीख से तीन माह पूर्व ही चुनाव करवाने का ना केवल स्मरण करवाएंं बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंं कि विभिन्न संघों के चुनाव तय समय पर हो रहे हैं कि नहीं। इतना ही नहीं, संबद्ध संघ के चुनाव के दिन मण्डल का एक पर्यवेक्षक उनके  चुनाव स्थल पर उपस्थित भी रहे।

इससे ना केवल सभी संबद्ध संघ अपनी वैधानिक प्रक्रियाओं को पूरा करने को प्रेरित होंगे, बल्कि इससे खुद मंडल भी अपने को वैधानिक तौर पर सक्रिय रख सकेगा। यदि ऐसा होगा तो अवांछित लोग ऐसे संगठनों पर कभी भी काबिज होने का दुस्साहस नहीं कर पाएंगे और अगर हाल की सक्रियता केवल संकटकाल के लिए ही थी और फिर मण्डल के लिए समय नहीं निकालना हो तो ऐसे ही संकट के लिए अपने को बार-बार तैयार रखना होगा।
दीपचन्द सांखला
12 जुलाई, 2018

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