Tuesday, May 2, 2017

दिवाली से रामराज्य (29 अक्टूबर, 2011)

टीवी की खबरों को छोड़ दें तो अखबार दो दिन बाद आपके हाथों में आये हैं। टीवी के खबरिया चैनलों के बावजूद जिला और शहर की खबरों के लिए बीकानेर में आज भी अखबारों पर निर्भरता कायम है।
पाठकों के लिए सुकून की बात यह है कि इन दो-तीन दिनों में शहर और जिले में हुई छिटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई है। रही बात सुघटना की तो आज के जमाने में कोई बड़ा हादसा हो, यह अपने आप में उल्लेखनीय है। पौराणिक हिसाब से देखें तो सभी बुराइयों के प्रतीक रावण का वध करके श्रीराम लौट आये हैं। यह कामना तो कर ही सकते हैं कि देश, राज्य और जिले का शासन-प्रशासन राम राज्य हो जाय। लेकिन इस उम्मीद से पहले स्वयं प्रजा को भी रामराज्य की प्रजा होने की अपनी पात्रता दिखानी होगी।
संत तुलसीदास के शब्दों में रामराज्य की व्याख्या्र
दैहिक दैबिक भौतिक तापा।
रामराज नहिं काहुहि ब्यापा॥
सब नर करहिं परसपर प्रीती।

चलहिं स्वधर्म निरत स्रुति नीती॥

                                           वर्ष 1 अंक 59, शनिवार, 29 अक्टूबर, 2011

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